बरेली की बहू इरम का टूटा नाता: बेटा-बेटी को छोड़ पाकिस्तान लौटीं, मोबाइल फोन बंद
बरेली, 1 मई 2025: उत्तर प्रदेश के बरेली में एक दुखद और चर्चित घटना ने लोगों का ध्यान खींचा है। पाकिस्तान से बहू बनकर भारत आई इरम ने अपने दो बच्चों—एक बेटा और एक बेटी—को ससुराल में छोड़कर पाकिस्तान वापस जाने का फैसला किया। खबरों के मुताबिक, इरम का अपने ससुराल वालों से रिश्ता टूट गया, और वह अब अपने बच्चों से अलग होकर पाकिस्तान लौट चुकी हैं। उनके मोबाइल फोन के बंद होने से परिवार और प्रशासन के बीच चिंता बढ़ गई है। यह घटना न केवल एक पारिवारिक त्रासदी को दर्शाती है, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों और नागरिकता से जुड़े जटिल मुद्दों को भी उजागर करती है।
इरम की कहानी: प्यार, शादी और तलाक
इरम की कहानी 2008 में शुरू हुई, जब उनकी शादी बरेली के एक युवक से हुई थी। पाकिस्तानी नागरिक इरम ने अपने पति के साथ बरेली में नया जीवन शुरू किया और दो बच्चों को जन्म दिया। शुरुआती सालों में उनका वैवाहिक जीवन सामान्य रहा, लेकिन समय के साथ ससुराल वालों के साथ उनके रिश्ते बिगड़ने लगे। इरम ने आरोप लगाया कि ससुराल वालों का व्यवहार उनके प्रति ठीक नहीं था, जिसके कारण उन्होंने सितंबर 2024 में भारत छोड़ने का मन बना लिया।
2024 में इरम और उनके पति के बीच तलाक हो गया। तलाक के बाद इरम ने अपने खिलाफ दर्ज एक मामले को वापस ले लिया, जिसके बाद उन्होंने पाकिस्तान लौटने की प्रक्रिया शुरू की। खबरों के अनुसार, इरम अपनी बेटी को अपने साथ ले जाना चाहती थीं, लेकिन उनके बेटे को ससुराल में ही छोड़ दिया गया। इस दौरान उनके बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था, जो इस घटना को और भी मार्मिक बनाता है।
पाकिस्तान वापसी और मोबाइल फोन बंद
इरम ने हाल ही में अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान के लिए प्रस्थान किया। उनके जाने के बाद उनका मोबाइल फोन बंद हो गया, जिसके कारण उनके परिवार और स्थानीय प्रशासन से संपर्क टूट गया। यह स्थिति तब और गंभीर हो गई, जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल 2025 तक देश छोड़ने का आदेश दिया था। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, और इसके बाद भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए, जिसमें मेडिकल वीजा भी 29 अप्रैल तक सीमित कर दिए गए।
इरम की वापसी को इस आदेश से जोड़ा जा रहा है, लेकिन उनके परिवार का कहना है कि यह फैसला व्यक्तिगत और पारिवारिक विवादों का नतीजा था। इरम के ससुराल वालों ने उनके उत्पीड़न के आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि इरम ने स्वेच्छा से बच्चों को छोड़कर जाने का फैसला किया।
भारत-पाकिस्तान संबंधों का संदर्भ
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़े कदम उठाए, जिसमें पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित करना और सभी पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश देना शामिल है। पिछले दो दिनों में 272 पाकिस्तानी नागरिक अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए भारत छोड़ चुके हैं।
इस पृष्ठभूमि में इरम का मामला और जटिल हो जाता है। उनकी कहानी उन कई पाकिस्तानी महिलाओं की तरह है, जो शादी के बाद भारत आईं, लेकिन नागरिकता, कानूनी जटिलताओं और सामाजिक दबावों के कारण मुश्किलों का सामना कर रही हैं। उदाहरण के लिए, बरेली की ही एक अन्य महिला सानिया, जो पाकिस्तान से शादी करके आई थीं, ने अपने पहले पति से तलाक के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। सानिया ने स्पष्ट कहा है कि वह अपने बच्चों और पति के साथ भारत में ही रहना चाहती हैं, लेकिन उनकी नागरिकता की स्थिति अनिश्चित है।

परिवार और बच्चों पर प्रभाव
इरम के जाने से उनके बच्चों पर गहरा भावनात्मक असर पड़ा है। उनके बेटे और बेटी, जो अभी छोटे हैं, मां के बिना ससुराल में रह रहे हैं। स्थानीय समुदाय में इस घटना को लेकर सहानुभूति और चर्चा का माहौल है। कुछ लोग इरम के फैसले को मजबूरी मान रहे हैं, तो कुछ इसे बच्चों के प्रति गैर-जिम्मेदाराना कदम बता रहे हैं।
इरम के ससुराल वालों ने दावा किया है कि उन्होंने बच्चों की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी ले ली है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इरम भविष्य में अपने बच्चों से मिलने भारत लौटेंगी या नहीं। उनके मोबाइल फोन के बंद होने से यह अनिश्चितता और बढ़ गई है।
प्रशासन और कानूनी स्थिति
बरेली पुलिस और जिला प्रशासन इस मामले की निगरानी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी नागरिकों को बाहर करने की प्रक्रिया की व्यक्तिगत रूप से समीक्षा की थी। बरेली उन जिलों में शामिल है, जहां ऐसी कार्रवाइयां तेजी से की गईं। इरम के मामले में प्रशासन ने उनके वीजा और यात्रा दस्तावेजों की जांच की, और उनकी वापसी को नियमानुसार मंजूरी दी गई।
हालांकि, इरम के मोबाइल फोन के बंद होने से कुछ सवाल उठ रहे हैं। प्रशासन यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि उनकी वापसी के बाद कोई कानूनी या सुरक्षा संबंधी जटिलता न हो। साथ ही, बच्चों की कस्टडी और भविष्य के लिए कानूनी प्रक्रिया पर भी विचार किया जा रहा है।
