दिल्ली में ‘उम्रदराज’ वाहनों पर लगा बैन हटा, CAQM को मंत्री सिरसा ने गिनाईं नए नियम की खामियां
परिवहन मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने CAQM को इस नियम की कई खामियां गिनाईं। उन्होंने कहा कि यह नियम बिना पर्याप्त तैयारी और जनता की राय लिए लागू किया गया, जिससे लोगों को अचानक परेशानी हुई। सिरसा ने तर्क दिया कि केवल वाहन की उम्र के आधार पर प्रतिबंध लगाना अव्यावहारिक है, क्योंकि कई पुराने वाहन BS-VI मानकों के तहत कम प्रदूषण करते हैं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब एनसीआर के अन्य शहरों जैसे नोएडा और गुरुग्राम में यह नियम लागू नहीं है, तो दिल्ली में ही इसे क्यों थोपा गया। दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (DPDA) ने भी कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि पेट्रोल पंप कर्मचारियों को कानून प्रवर्तन एजेंसी की तरह काम करने के लिए मजबूर करना गलत है। सिरसा ने पूर्व की AAP सरकार पर भी निशाना साधा, जिसने प्रदूषण नियंत्रण के लिए अपर्याप्त कदम उठाए। उन्होंने कहा कि लैंडफिल साइटों और अन्य प्रदूषण स्रोतों पर ध्यान न देकर केवल वाहनों को निशाना बनाना समस्या का समाधान नहीं है। सिरसा ने CAQM से एक ऐसी नीति बनाने की मांग की जो प्रदूषण और जनता की सुविधा के बीच संतुलन बनाए। इस आलोचना ने नियम को वापस लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लागू होने के पहले दिन से ही दिल्ली में तीखा विरोध शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर लोग इसे ‘तुगलकी फरमान’ बताकर सरकार की आलोचना कर रहे थे। AAP की नेता आतिशी ने इसे जनविरोधी नीति करार दिया और कहा कि यह नियम निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों को मजबूर करेगा कि वे नई गाड़ियां खरीदें, जो उनकी आर्थिक स्थिति के लिए मुश्किल है। एक स्थानीय निवासी ने X पर लिखा, “यह नीति वाहन निर्माताओं को फायदा पहुंचाने की साजिश है, जिससे टैक्स बढ़ेगा।” कई लोगों ने सुझाव दिया कि वाहनों की फिटनेस और प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) के आधार पर नियम बनाए जाएं, न कि उम्र के आधार पर। दिल्ली में पहले दिन 80 वाहन जब्त किए गए और 98 को नोटिस जारी किए गए, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ी। विशेषज्ञों ने भी कहा कि पुराने वाहन दिल्ली के प्रदूषण का केवल 50% PM2.5 और 80% NOx उत्सर्जन का कारण हैं, जबकि अन्य स्रोतों जैसे लैंडफिल और औद्योगिक इकाइयों पर ध्यान नहीं दिया गया। इस विरोध और जनता की परेशानी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने नियम को वापस लेने का फैसला किया, जो जनहित में एक सकारात्मक कदम है।
पुराने वाहनों पर प्रतिबंध हटने के बाद दिल्ली सरकार और CAQM अब एक नई नीति पर विचार कर रहे हैं। सिरसा ने सुझाव दिया कि वाहनों की फिटनेस और उत्सर्जन स्तर के आधार पर नियम बनाए जाएं, जैसा कि यूरोप में होता है। दिल्ली सरकार ने CAQM के साथ बैठक की योजना बनाई है, जिसमें एनसीआर के अन्य शहरों के साथ समान नियम लागू करने पर चर्चा होगी। प्रवेश वर्मा ने कहा कि जब तक पूरे एनसीआर में एकसमान नीति नहीं होगी, दिल्ली में इसे लागू करना अनुचित है। विशेषज्ञों का मानना है कि BS-VI मानकों के बाद वाहनों से उत्सर्जन में 80% कमी आई है, लेकिन PUC सिस्टम में सुधार की जरूरत है। दिल्ली सरकार स्क्रैपिंग नीति को बढ़ावा दे रही है, जिसमें पुराने वाहनों को https://vscrap.parivahan.gov.in पर रजिस्टर्ड सुविधाओं के जरिए स्क्रैप किया जा सकता है। साथ ही, सीNG वाहनों को इस नियम से छूट दी गई है, जो प्रदूषण कम करने में मददगार है। भविष्य में, सरकार को लैंडफिल साइटों, औद्योगिक उत्सर्जन और ट्रैफिक प्रबंधन पर भी ध्यान देना होगा। यह फैसला दिल्लीवासियों के लिए राहत है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक संतुलित और दीर्घकालिक नीति की जरूरत बनी रहेगी।
