अयोध्या: राम मंदिर में शिव की पूजा करते राम की मूर्ति स्थापित होगी, 15 मई तक पूरा होगा निर्माण कार्य
अयोध्या, 14 अप्रैल 2025: श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण कार्य ने अब अंतिम चरण में प्रवेश कर लिया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, मंदिर का निर्माण कार्य 15 मई 2025 तक पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। इस ऐतिहासिक मंदिर में एक अनूठी मूर्ति स्थापित की जाएगी, जिसमें भगवान राम शिवलिंग की पूजा करते नजर आएंगे। यह मूर्ति मंदिर परिसर में भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होगी और हिंदू धर्म में राम और शिव के अटूट संबंध को दर्शाएगी।
मंदिर निर्माण की प्रगति
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने हाल ही में बताया कि मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। मंदिर के शिखर का निर्माण फरवरी 2025 तक पूरा हो चुका था, और अब परिसर में अन्य संरचनाओं जैसे प्राचीर, परिक्रमा पथ, और संग्रहालय पर काम चल रहा है। ट्रस्ट ने यह भी घोषणा की है कि मंदिर परिसर में कुल 18 मूर्तियां स्थापित की जाएंगी, जिनमें से अधिकांश जयपुर में तैयार की जा रही हैं। इन मूर्तियों का अंतिम निरीक्षण जनवरी 2025 में किया गया था।
मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार की स्थापना अक्षय तृतीया के अवसर पर की जाएगी, और दूसरी मंजिल पर भगवान राम के दरबार की मूर्तियां स्थापित होंगी। ट्रस्ट ने बताया कि मंदिर परिसर में 85 भित्ति चित्र लगाए जाएंगे, जिनमें से 21 पूर्ण हो चुके हैं। इनमें भगवान राम से संबंधित 6 भित्ति चित्र शामिल हैं।
शिव की पूजा करते राम की मूर्ति
मंदिर में स्थापित होने वाली विशेष मूर्ति में भगवान राम को शिवलिंग की पूजा करते हुए दर्शाया जाएगा। यह मूर्ति न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह हिंदू धर्म में राम और शिव के बीच गहरे आध्यात्मिक संबंध को भी उजागर करती है। रामायण में भी भगवान राम को शिव भक्त के रूप में चित्रित किया गया है, विशेष रूप से रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापना के प्रसंग में। यह मूर्ति मंदिर के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को और बढ़ाएगी।
ट्रस्ट के एक सदस्य ने बताया, “यह मूर्ति भक्तों को यह संदेश देगी कि भगवान राम न केवल मर्यादा पुरुषोत्तम थे, बल्कि वे शिव के परम भक्त भी थे। यह हिंदू धर्म की एकता और समन्वय का प्रतीक होगी।” मूर्ति को मकराना संगमरमर से बनाया जा रहा है, और इसे मंदिर के प्रथम तल पर एक विशेष स्थान पर स्थापित किया जाएगा।
15 मई तक निर्माण कार्य पूर्ण
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पुष्टि की है कि मंदिर का मुख्य ढांचा जून 2025 तक पूर्ण होने की उम्मीद है, लेकिन परिसर के सभी कार्य, जैसे प्राचीर, जूता रैक, और परिक्रमा पथ, 15 मई 2025 तक पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि कुछ चुनौतियां, जैसे पत्थर कार्वर की कमी और प्रथम तल के कुछ पत्थरों को मकराना पत्थरों से बदलने की आवश्यकता, के कारण पहले जून 2025 का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, अब अतिरिक्त श्रमिकों की व्यवस्था और तेज गति से काम के कारण मई में ही कार्य पूर्ण हो जाएगा।
मिश्रा ने यह भी कहा कि मंदिर का उभरता हुआ शिखर एविएशन सुरक्षा जांच से गुजर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित हो कि यह सभी मानकों को पूरा करता है। मंदिर परिसर में एक तालाब का निर्माण भी शुरू हो चुका है, जिसके डिजाइन और तकनीकी विवरण पर चर्चा चल रही है।

मंदिर परिसर की अन्य विशेषताएं
राम मंदिर परिसर में कई अन्य महत्वपूर्ण संरचनाएं भी बन रही हैं। मंदिर के चार द्वारों को अयोध्या के सम्मानित संतों के नाम पर रखने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, परिसर में सात मंदिर (सप्त मंदिर) बनाए जा रहे हैं, जिनमें ऋषियों और संतों की मूर्तियां स्थापित होंगी। ये मूर्तियां दिसंबर 2024 तक जयपुर से अयोध्या पहुंच चुकी थीं।
मंदिर के संग्रहालय में रामायण और भगवान राम के जीवन से संबंधित भित्ति चित्र प्रदर्शित किए जाएंगे। परिसर में आने वाले भक्तों की सुविधा के लिए परिक्रमा पथ पर टाइटेनियम की नई जालियां लगाई जा रही हैं। मंदिर के गर्भगृह में पहले से स्थापित राम लला की मूर्ति के दर्शन के बाद भक्त प्रथम तल पर राम दरबार और शिव की पूजा करते राम की मूर्ति के दर्शन कर सकेंगे।
भक्तों की सुविधा और सुरक्षा
मंदिर के उद्घाटन के बाद से, 22 जनवरी 2024 को हुई प्राण प्रतिष्ठा के बाद, 1.75 करोड़ से अधिक भक्त राम लला के दर्शन कर चुके हैं। ट्रस्ट ने भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कई सुविधाएं शुरू की हैं, जैसे दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग और भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष व्यवस्थाएं। मंदिर परिसर में प्रवेश और निकास मार्गों को और सुगम बनाने की योजना है, ताकि भक्तों को असुविधा न हो।
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अयोध्या में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। राम मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिसके कारण सड़कों का चौड़ीकरण, सुरक्षा व्यवस्था में वृद्धि, और अन्य सुविधाओं का विस्तार किया गया है।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
राम मंदिर का निर्माण न केवल एक धार्मिक उपलब्धि है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक भी है। मंदिर का डिजाइन नागर शैली में बनाया गया है, जो उत्तर भारत की पारंपरिक वास्तुकला को दर्शाता है। मंदिर 380 फीट लंबा, 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा है, और यह 7.0 तीव्रता के भूकंप को सहन करने में सक्षम है।
शिव की पूजा करते राम की मूर्ति की स्थापना मंदिर के आध्यात्मिक महत्व को और बढ़ाएगी। यह मूर्ति भक्तों को यह संदेश देगी कि सभी देवी-देवता एक-दूसरे से जुड़े हैं और हिंदू धर्म में एकता और समन्वय का विशेष स्थान है। मंदिर परिसर में बनने वाला संग्रहालय भी भविष्य में रामायण और भारतीय संस्कृति के अध्ययन का केंद्र बनेगा।
