• October 17, 2025

रेडियो की खनक सदैव रहेगी बरकरार?

 रेडियो की खनक सदैव रहेगी बरकरार?

इसमें दो राय नहीं कि सूचना-मनोरंजन की पारंपरिक उपाधि सदैव रेडियो के हिस्से ही रहेगी। आज का दिन रेडियो के लिए खास है। क्योंकि समूचा संसार आज ‘विश्व रेडियो दिवस’ मना रहा है। रेडियो की अहमियत मानव जीवन से कितना वास्ता रखती है, जिसका अंदाज मौजूदा वर्ष-2024 की थीम से लगा सकते हैं। इस बार की थीम ‘सूचना देने, मनोरंजन करने और शिक्षित करने वाली एक सदी’ रखी गई है जिसका उद्देश्य रेडियो के उल्लेखनीय अतीत, प्रासंगिक वर्तमान और गतिशील भविष्य पर व्यापक प्रकाश डालना। ये सच है कि सूचना यो मनोरंजन विधाओं में चाहे कितने ही साधन क्यों न उपलब्ध जाएं।

पर, रेडियो की अहमियत और उसकी प्रासंगिकता कभी भी कम नहीं होगी। विश्व रेडियो दिवस सालाना 13 फरवरी को मनाया जाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है, जिसे यूनेस्को ने अपने 36 वें वार्षिक सम्मेलन से मनाने का निर्णय लिया था। 13 फरवरी ही वह तारीख थी जो 1946 में अमेरिका में पहली बार रेडियो ट्रांसमिशन से संदेश भेजा गया था और संयुक्त राष्ट्र रेडियो की शुरुआत हुई. इसलिए संयुक्त राष्ट्र रेडियो की वर्षगांठ के दिन से ही वर्ल्ड रेडियो डे मनाने का चलन आरंभ हुआ। विश्व के ऐसे कई छोटे मुल्क जो अब भी काफी पिछड़े हुए हैं, वो सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिहाज से आधुनिक युग में भी रेडियो पर ही निर्भर हैं।

भारत में भी आजादी के कुछ दशकों तक संचार का प्रमुख जरिया रेडियो ही रहा। 80 के दशक से पूर्व जनमानस के बचपन का सीधा वास्ता भी रेडियो से ही होता था! संचार के विभिन्न आयाम जैसे, गाना, समाचार, स्वर चित्रहार, अच्छी-बुरी सभी सूचनाएं रेडियो से ही मिलती थीं। लाइव मैच की कमेंट्री हो, या सरकारी कामकाज, खेतिबाड़ी, रोजगार आदि की जानकारी का भी एक मात्र साधन रेडियो ही होता था। नब्बे के दशक के बाद जैसे ही देश ने बदलाव की अंगड़ाई ली, उसके बाद बहुत कुछ पीछे छूट गया, काफी कुछ बदला. हालांकि उससे कुछ समय पहले ‘ब्लैक एंड बाईट’ टीवी ने दस्तक दे दी थी।

लेकिन जबसे कलर टीवी का आगाज हुआ, लोगों की अभिरुचि एकाएक रेडियो से कम हूई। इसके बाद ’आल इंडिया रेडियो’ ने भी प्रादेशिक स्तर पर कई स्टेशनों को समेट लिया। तब, दर्शक तेजी से टीवी की ओर दौड़े, लेकिन एक वर्ग ऐसा था जिसका मन फिर भी रेडियो से नहीं डगमगाया? उन्होंने सदैव रेडियो को ही प्राथमिकता दी, उनके लिए रेडियो ना सिर्फ संगीत का रंगमंच रहा, बल्कि, मन का संचार, आत्मा का संगीत और भावनाओं की अभिव्यक्ति जैसा रहा। वक्त चाहे कितना ही क्यों न बदले, लेकिन रेडियो का वजूद हमेशा जिंदा रहेगा। रेडियो को सुनने वालों की कमी नहीं होगी। नित नए निजी रेडियो एफएम खुल रहे हैं। नए-पुराने ज़माने के गाने लोग आज भी मोबाइल के जरिए एफफम पर सुनते हैं, दरअसल वो जानते हैं कि जो मजा रेडियो में है वो और अन्य में नहीं?

मौजूदा केंद्र सरकार रेडियो के प्रचार व प्रसार-प्रसारण पर ज्यादा ध्यान दे रही है। तभी, प्रधानमंत्री खुद अपना पसंदीदा प्रोग्राम ’मन की बात’ रेडियो पर करते हैं। रेडियो के प्रति उनका स्नेह काबिले तारीफ है। रेडियो दिवस के मनाने की पीछे भी एक लंबी कहानी है। ’स्पेन रेडियो अकादमी’ ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाने के लिए पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रस्ताव रखा था। फिर साल 2011 में यूनेस्को के सदस्य देशों ने उस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकारा। तब जाकर 13 फरवरी का दिन ’विश्व रेडियो दिवस’ के लिए मुकर्रर हुआ। पर, असल मायनों में हिंदुस्तान को ही रेडियो का जनक माना जाता है। एक लॉजिक है इसके पीछे? एक जमाने में अफगानिस्तान, नेपाल और एशियायी देशों के शासक-राजा सिर्फ भारतीय रेडियो को ही सुना करते थे, क्योंकि वो भारतीय प्रस्तोताओं के प्रस्तुतिकरण के कायल होते थे। हमसे प्रेरणा लेकर ही उन्होंने अपने देशों में रेडियो का प्रसार करवाया। रेडियो की सबसे प्रसिद्ध और खनकती सुरीली अमीन सयानी की आवाज आज भी लोगों के कानों में गूंजती है।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी की घोषणा भी रेडियो के ही जरिए की थी। मॉर्डन जमाना भी रेडियो के महत्व और जरूरत से वाकिफ है। गत कुछ वर्षों से विश्व के देश रेडियो की ओर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं। तभी, 2023 में, विश्व रेडियो दिवस का विषय ‘रेडियो और शांति’ रखा गया जिसका उद्देश्य शांति को बढ़ावा देना और संघर्ष को रोकने के लिए स्वतंत्र रेडियो के महत्व पर ध्यान केंद्रित करना था। वहीं, कोरोना काल में वर्ष-2021 में, ‘नई दुनिया, नया रेडियो“ थीम निर्धारित की गई जिसका मकसद थी, कोविड-19 महामारी द्वारा लाए गए परिवर्तनों को अपनाने और आकार देने में रेडियो की भूमिका पर केंद्रित थी। रेडियो को तवज्जो देने का ये सिलसिला यूं ही जारी रखने की दरकार भी है।

Digiqole Ad

Rama Niwash Pandey

https://ataltv.com/

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *