इलाहाबाद हाईकोर्ट: सपा सांसद रामजी लाल सुमन की याचिका पर सुनवाई टली, गलत कोर्ट में लिस्टिंग के कारण देरी
प्रयागराज, 18 अप्रैल 2025: समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई टल गई है। यह याचिका गलत कोर्ट में सूचीबद्ध होने के कारण स्थगित हो गई। अब इस मामले की सुनवाई सोमवार, 21 अप्रैल 2025 को होगी, जब एमपी-एमएलए से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष बेंच इसे सुनेगी।
मामले का विवरण
रामजी लाल सुमन ने यह याचिका अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की मांग को लेकर दायर की थी। यह याचिका उनके द्वारा संसद में 16वीं शताब्दी के राजपूत राजा राणा सांगा पर दिए गए विवादित बयान के बाद उत्पन्न हुए विवाद के बाद दायर की गई थी। सुमन ने 21 मार्च 2025 को संसद में कहा था कि राणा सांगा ने मुगल सम्राट बाबर को इब्राहिम लोदी को हराने के लिए भारत आमंत्रित किया था। उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि यदि भारतीय मुसलमानों को बाबर की संतान कहा जाता है, तो उसी तर्क से अन्य समुदायों को राणा सांगा जैसे “गद्दार” की संतान माना जा सकता है।
इस बयान ने राजपूत संगठनों, विशेष रूप से अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा और करणी सेना, में तीव्र आक्रोश पैदा किया। 26 मार्च 2025 को करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर आगरा में सुमन के आवास पर हमला किया, जिसमें कई गाड़ियों को नुकसान पहुंचा, कुर्सियां तोड़ी गईं और घर की कांच की खिड़कियां चकनाचूर कर दी गईं। सुमन के बेटे और पूर्व विधायक रणधीर सुमन ने आगरा के हरिपर्वत थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी।

याचिका की मांगें
सुमन ने अपनी याचिका में निम्नलिखित मांगें रखी थीं:
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सुरक्षा प्रदान करना: सुमन ने करणी सेना द्वारा कथित तौर पर दी गई धमकियों के मद्देनजर केंद्र सरकार से अपने और अपने परिवार के लिए पर्याप्त सुरक्षा की मांग की। उन्होंने दावा किया कि करणी सेना ने उनसे राणा सांगा पर दिए गए बयान के लिए माफी मांगने को कहा और 12 अप्रैल को फिर से हमले की धमकी दी।
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निष्पक्ष जांच: सुमन ने अपने आगरा स्थित आवास पर हुए हमले की निष्पक्ष जांच की मांग की और हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की।
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कानूनी कार्रवाई: याचिका में करणी सेना के उन सदस्यों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई, जिन्होंने कथित तौर पर उनके आवास पर हमला किया।
सुमन ने यह भी बताया कि उन्होंने सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया।
सुनवाई क्यों टली?
18 अप्रैल 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुमन की याचिका पर सुनवाई निर्धारित थी। हालांकि, तकनीकी कारणों से यह सुनवाई नहीं हो सकी। अमर उजाला के अनुसार, याचिका को गलत कोर्ट में सूचीबद्ध कर दिया गया था, जिसके कारण इसे स्थगित करना पड़ा। अब यह मामला 21 अप्रैल 2025 को एमपी-एमएलए मामलों के लिए नामित विशेष बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
विवाद की पृष्ठभूमि
रामजी लाल सुमन का राणा सांगा पर दिया गया बयान राजपूत समुदाय के लिए अपमानजनक माना गया, क्योंकि राणा सांगा को मेवाड़ के शासक और एक वीर योद्धा के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनके बयान के बाद, करणी सेना और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने तीव्र विरोध जताया। करणी सेना ने सुमन की जीभ काटने की धमकी दी थी, जबकि क्षत्रिय महासभा ने उनके खिलाफ हाथरस और फिरोजाबाद की अदालतों में याचिकाएं दायर की थीं।
हाथरस की एमपी-एमएलए कोर्ट में क्षत्रिय महासभा के प्रदेश सचिव द्वारा दायर याचिका में सुमन के खिलाफ राणा सांगा को गद्दार कहने के लिए कार्रवाई की मांग की गई थी। इस मामले की सुनवाई 9 अप्रैल 2025 को होनी थी। फिरोजाबाद में भी एक याचिका दायर की गई, जिसमें बयान दर्ज करने के लिए 22 अप्रैल 2025 की तारीख तय की गई है।
पुलिस की कार्रवाई
राणा सांगा की जयंती (12 अप्रैल 2025) से पहले आगरा में सुमन के आवास के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। यह कदम विभिन्न संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन की आशंका के मद्देनजर उठाया गया था। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी थी।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
सुमन के बयान ने न केवल राजपूत समुदाय में आक्रोश पैदा किया, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी बहस छेड़ दी। समाजवादी पार्टी ने इस मामले में अपने सांसद का बचाव किया, जबकि बीजेपी ने इसे राजपूतों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करार दिया। सुमन ने बाद में स्पष्टीकरण दिया कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया।
