चार साल में 1,200 से ज्यादा बार अफगान सीमा का उल्लंघन: पाकिस्तान-अफगानिस्तान तनाव चरम पर
काबुल, 19 अक्टूबर 2025: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच डूरंड लाइन पर तनाव ने नया मोड़ ले लिया है। अफगान सूत्रों ने दावा किया है कि पिछले चार वर्षों में पाकिस्तानी सेना ने 1,200 से अधिक बार सीमा और 710 बार हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। हाल के काबुल पर पाकिस्तानी हवाई हमलों के बाद सैन्य झड़पें भड़क उठीं, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। अफगानिस्तान ने 11 अक्टूबर को सीमित जवाबी कार्रवाई की, लेकिन संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा। दोनों देशों के बीच युद्धविराम प्रयास हो रहे हैं, फिर भी हवाई हमले जारी हैं। आखिर क्या है इस उग्रता की जड़, और क्या दक्षिण एशिया में बड़ा संकट मंडरा रहा है? आइए, इस जटिल विवाद को तीन हिस्सों में समझते हैं।
उल्लंघनों का सिलसिला: चार साल की आक्रामकता
अफगान सूत्रों के अनुसार, पिछले चार वर्षों (2021-2025) में पाकिस्तानी सेना ने डूरंड लाइन पर 1,200 से अधिक बार घुसपैठ की, जिसमें मोर्टार हमले शामिल हैं। हवाई क्षेत्र का उल्लंघन 712 बार हुआ, जिसमें नूरिस्तान, कुनार, नांगरहार, खोस्त और पक्तिका प्रांतों में 16 बमबारी की घटनाएं दर्ज की गईं। इन हमलों में 114 पाकिस्तानी आदिवासी शरणार्थी, अफगान नागरिक और सीमा रक्षक मारे गए। 2024 की शुरुआत से अब तक 102 नागरिक और सीमा रक्षक शहीद हुए, जबकि 139 घायल हुए। सूत्रों ने बताया कि दिसंबर 2024 में पाकिस्तानी विशेष दूत सादिक खान की काबुल यात्रा के दौरान पक्तिया और पक्तिका में बमबारी हुई, जिसमें कई नागरिक हताहत हुए। अगस्त 2025 में नूरिस्तान, नांगरहार और खोस्त पर हवाई हमले किए गए, जिससे मकान-दुकानें तबाह हो गईं। अफगानिस्तान ने वर्षों तक धैर्य रखा, लेकिन पाकिस्तान के लगातार उल्लंघनों ने स्थिति को असहनीय बना दिया।
काबुल हमला और जवाबी कार्रवाई: तनाव का चरम
9-10 अक्टूबर 2025 को पाकिस्तान ने काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका में हवाई हमले किए, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) प्रमुख नूर वाली महसूद को निशाना बनाने का दावा करते हुए किए गए। अफगान अधिकारियों के मुताबिक, काबुल के अब्दुल हक स्क्वायर में हमले से कम से कम 15 नागरिक मारे गए, जबकि पाकिस्तान ने इसे TTP ठिकानों पर सटीक हमला बताया। 11 अक्टूबर को अफगान तालिबान ने डूरंड लाइन पर पाकिस्तानी चौकियों पर जवाबी हमला किया, जिसमें आर्टिलरी, ड्रोन और ग्राउंड ऑपरेशन शामिल थे। पाकिस्तान ने दावा किया कि 200 से अधिक तालिबान लड़ाके मारे गए, जबकि अफगानिस्तान ने 58 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत की बात कही। संघर्ष में 250 से अधिक लोग मारे गए, जिसमें 18 अक्टूबर को पक्तिका के उर्गुन में एक हवाई हमले में तीन अफगान क्रिकेटर और पांच अन्य शामिल हैं। अफगानिस्तान ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आत्मरक्षा बताया, लेकिन पाकिस्तान ने TTP को अफगान मिट्टी से संचालित होने का आरोप लगाया।
युद्धविराम प्रयास और भविष्य की चुनौतियां
13 अक्टूबर को दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई, लेकिन 15 अक्टूबर को फिर झड़पें भड़कीं, जिसमें काबुल और कंधार में पाकिस्तानी हवाई हमले हुए। संयुक्त राष्ट्र और कतर-सऊदी अरब की मध्यस्थता से 15 अक्टूबर को नया युद्धविराम लागू हुआ, जो फिलहाल कायम है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने वार्ता की पेशकश की, जबकि तालिबान प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि संप्रभुता का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं। डूरंड लाइन, जो 1893 में ब्रिटिश काल में खींची गई, अफगानिस्तान द्वारा अस्वीकृत है और पश्तून जनजातियों को बांटती है। TTP जैसे समूहों की मौजूदगी, शरणार्थी संकट और क्षेत्रीय शक्तियों (भारत, ईरान) का हस्तक्षेप तनाव बढ़ा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि बिना स्थायी संवाद के यह संघर्ष दक्षिण एशिया को अस्थिर कर सकता है, जहां सैन्य खर्च और मानवीय संकट बढ़ रहा है।
