यूपी में प्रशासनिक फेरबदल: 11 जिलाधिकारियों समेत 33 आईएएस अधिकारियों का तबादला, विशाल सिंह बने नए सूचना निदेशक
लखनऊ, 22 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर प्रशासनिक स्तर पर बड़े पैमाने पर फेरबदल देखने को मिला है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोमवार देर रात 33 भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों के तबादले किए, जिसमें 11 जिलाधिकारियों (डीएम) के साथ-साथ कई वरिष्ठ अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। इस तबादला सूची में सबसे चर्चित नाम सूचना निदेशक शिशिर सिंह का रहा, जिन्हें हटाकर विशाल सिंह को उत्तर प्रदेश का नया सूचना निदेशक नियुक्त किया गया है। इस प्रशासनिक सर्जरी ने न केवल नौकरशाही में हलचल मचाई है, बल्कि यह भी संकेत दिए हैं कि सरकार प्रशासन को और चुस्त-दुरुस्त करने के मूड में है।
तबादले का विवरण
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार कई प्रमुख जिलों के जिलाधिकारियों को बदला है। जिन जिलों के डीएम बदले गए हैं, उनमें वाराणसी, आजमगढ़, हापुड़, बरेली, अम्बेडकर नगर, गाजीपुर, झांसी, कुशीनगर, महोबा, भदोही और संत कबीर नगर शामिल हैं। इसके अलावा, कई वरिष्ठ अधिकारियों को मुख्यमंत्री कार्यालय और अन्य महत्वपूर्ण विभागों में नई जिम्मेदारियां दी गई हैं।
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विशाल सिंह बने नए सूचना निदेशक: सूचना निदेशक के पद पर शिशिर सिंह को हटाकर विशाल सिंह को नियुक्त किया गया है। शिशिर सिंह को अब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विशाल सिंह को उनकी कुशल प्रशासनिक क्षमता के लिए जाना जाता है, और माना जा रहा है कि वह सूचना विभाग को नई दिशा देंगे।
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कौशल राज शर्मा को मुख्यमंत्री का सचिव: वाराणसी क्षेत्र के मंडल आयुक्त रहे कौशल राज शर्मा को मुख्यमंत्री का सचिव बनाया गया है। उनकी जगह वाराणसी के जिलाधिकारी एस. राज लिंगम को नया कमिश्नर नियुक्त किया गया है। यह तबादला खासा चर्चा में है, क्योंकि शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माना जाता है।
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अन्य प्रमुख तबादले:
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अभिषेक पांडेय, जो मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष थे, अब हापुड़ के नए जिलाधिकारी होंगे।
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संजय कुमार मीणा, गोरखपुर के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ), को मेरठ विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है।
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अलीगढ़ की संयुक्त मजिस्ट्रेट शाश्वत त्रिपुरारी को गोरखपुर का नया सीडीओ नियुक्त किया गया है।
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रवींद्र कुमार-2, जो पहले बरेली के डीएम थे, अब आजमगढ़ के नए डीएम होंगे, जबकि आजमगढ़ के पूर्व डीएम नवनीत सिंह चहल को मुख्यमंत्री का विशेष सचिव बनाया गया है।
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चंदौली की संयुक्त मजिस्ट्रेट हर्षिका सिंह को प्रयागराज का सीडीओ नियुक्त किया गया है।
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तबादलों का मकसद
प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह तबादला सूची योगी सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह आगामी चुनौतियों के लिए प्रशासन को और मजबूत करना चाहती है। उत्तर प्रदेश में अगले कुछ वर्षों में कई बड़े आयोजन और परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जिनमें कुंभ मेला और विभिन्न विकास योजनाएं शामिल हैं। ऐसे में प्रशासनिक दक्षता और समन्वय को बढ़ाने के लिए यह फेरबदल जरूरी माना जा रहा है।
इसके अलावा, कुछ तबादले राजनीतिक और प्रशासनिक संतुलन को बनाए रखने के लिए भी किए गए हैं। विशेष रूप से वाराणसी जैसे महत्वपूर्ण जिले में बदलाव को लेकर यह माना जा रहा है कि सरकार वहां और अधिक गतिशील नेतृत्व चाहती है। कौशल राज शर्मा की मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्ति को भी इसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
सूचना निदेशक का बदलाव क्यों चर्चा में?
सूचना निदेशक के पद पर शिशिर सिंह का तबादला और विशाल सिंह की नियुक्ति सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है। शिशिर सिंह को योगी सरकार के करीबी अधिकारियों में गिना जाता था, और उनके नेतृत्व में सूचना विभाग ने कई महत्वपूर्ण अभियान चलाए थे। हालांकि, हाल के दिनों में कुछ मामलों में सूचना विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठे थे, जिसके बाद यह बदलाव किया गया।
विशाल सिंह, जो अब इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे, पहले भी कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी क्षमता साबित कर चुके हैं। उनकी नियुक्ति को लेकर उम्मीद की जा रही है कि वह सूचना विभाग को और अधिक प्रभावी बनाएंगे, खासकर डिजिटल और सोशल मीडिया के दौर में, जहां सूचना का प्रसार और प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रशासनिक चुनौतियां और भविष्य
उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारु रखना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। हाल के वर्षों में योगी सरकार ने कई बार बड़े पैमाने पर तबादले किए हैं, जिसका मकसद न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना है, बल्कि नौकरशाही में नई ऊर्जा का संचार करना भी है। हालांकि, बार-बार होने वाले तबादलों को लेकर कुछ विशेषज्ञों ने चिंता भी जताई है। उनका कहना है कि लगातार तबादलों से अधिकारियों को किसी एक जगह पर लंबे समय तक काम करने का मौका नहीं मिलता, जिससे कुछ योजनाओं के कार्यान्वयन में देरी हो सकती है।
वहीं, सरकार का तर्क है कि तबादले प्रशासनिक जरूरतों और अधिकारियों की कार्यक्षमता के आधार पर किए जाते हैं। इस बार के तबादलों में भी कई युवा और अनुभवी अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं, जो यह दर्शाता है कि सरकार नई पीढ़ी के नेतृत्व को भी मौका देना चाहती है।
नौकरशाही में हलचल
33 आईएएस अधिकारियों के इस तबादले ने नौकरशाही में खासी हलचल मचा दी है। कई अधिकारी, जिन्हें नई जिम्मेदारियां मिली हैं, अब अपने नए पदों पर काम शुरू करने की तैयारी में हैं। वहीं, कुछ अधिकारियों के तबादले को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा तेज है। कुछ लोग इसे सरकार की रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं, तो कुछ इसे नियमित प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा बता रहे हैं।
खास तौर पर, वाराणसी और सूचना विभाग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हुए बदलाव को लेकर लोग तरह-तरह की अटकलें लगा रहे हैं। हालांकि, प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना है कि तबादले नौकरशाही का अभिन्न हिस्सा हैं, और इनका मकसद हमेशा बेहतर शासन सुनिश्चित करना
