• October 15, 2025

महंगाई से थोड़ी राहत: 98 रुपये प्रति किलो हो गई 150 रुपये में बिकने वाली अरहर की दाल, छोला दाल हुआ महंगा

लखनऊ, 17 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए खाद्य वस्तुओं की कीमतों में राहत की खबर सामने आई है। पिछले कुछ महीनों से आसमान छू रही अरहर दाल की कीमतों में अब भारी कमी देखी जा रही है। जहां 2024 में अरहर दाल की फुटकर कीमत 150 रुपये प्रति किलो से ऊपर पहुंच गई थी, वहीं अब यह 98 रुपये प्रति किलो तक आ गई है। यह कमी खरीफ की अच्छी फसल और आयात में वृद्धि के कारण संभव हुई है। हालांकि, इस राहत के बीच छोला दाल (चना दाल) की कीमतों में वृद्धि ने उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ा दी है। यह लेख अरहर दाल की कीमतों में कमी, छोला दाल की महंगाई, और इसके पीछे के कारणों का विश्लेषण करता है।
अरहर दाल की कीमतों में राहत
अरहर दाल, जिसे तुअर या तूर दाल भी कहा जाता है, भारतीय रसोई का एक अभिन्न हिस्सा है। 2023 और 2024 में इसकी कीमतों में भारी उछाल देखा गया था, जब यह 150 रुपये से 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थी। उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 में अरहर दाल की औसत खुदरा कीमत 149.27 रुपये प्रति किलो थी, जो एक साल पहले 110.14 रुपये थी। इस उछाल का कारण मोज़ाम्बिक जैसे देशों से आयात में कमी, घरेलू उत्पादन में गिरावट, और जमाखोरी जैसी समस्याएं थीं।
हालांकि, 2025 की खरीफ फसल ने बाजार की तस्वीर बदल दी है। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेश मिश्रा के अनुसार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और उत्तर प्रदेश में अरहर की फसल इस बार अच्छी रही है। इसके अलावा, म्यांमार और अफ्रीकी देशों से आयात में वृद्धि ने भी कीमतों को नियंत्रित किया है। थोक बाजार में अरहर दाल की कीमत 100 रुपये प्रति किलो तक गिर गई है, और फुटकर बाजार में यह 98 रुपये से 110 रुपये प्रति किलो के बीच बिक रही है।
लखनऊ दाल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण गुप्ता ने बताया कि यूपी में जल्द ही स्थानीय फसल बाजार में आएगी, जिससे कीमतें और कम होकर 90 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती हैं। यह कमी मध्यम और निम्न-आय वर्ग के परिवारों के लिए बड़ी राहत है, जिन्होंने महंगाई के कारण अरहर दाल को अपनी थाली से लगभग हटा लिया था।
छोला दाल की कीमतों में वृद्धि
अरहर दाल की कीमतों में कमी के बावजूद, छोला दाल (चना दाल) की कीमतों में वृद्धि ने उपभोक्ताओं को परेशान कर दिया है। 2024 में चना दाल की औसत कीमत 82.93 रुपये प्रति किलो थी, जो 2023 में 70.51 रुपये थी। अप्रैल 2025 में यह कीमत बढ़कर 90 रुपये से 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। व्यापारियों का कहना है कि चना दाल की मांग में वृद्धि और आपूर्ति में कमी इसके पीछे प्रमुख कारण हैं।
लखनऊ के फतेहगंज के विक्रेता मुकेश अग्रवाल ने बताया कि चना दाल की खपत त्योहारी सीजन और सर्दियों में बढ़ जाती है, क्योंकि इसे बेसन, नमकीन, और दाल के रूप में खूब इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इस साल चने की फसल में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई, जिससे थोक कीमतों में उछाल आया है। इसके अलावा, डीजल-पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि ने परिवहन लागत को बढ़ाया, जिसका असर फुटकर कीमतों पर पड़ा है।
कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक
  1. खरीफ फसल और आयात: अरहर दाल की कीमतों में कमी का प्रमुख कारण 2024-25 की खरीफ फसल में अच्छी पैदावार है। कर्नाटक, महाराष्ट्र, और यूपी में अरहर की उपज बेहतर रही, और मोज़ाम्बिक, कीनिया, और जिम्बाब्वे जैसे देशों से आयात में 172% की वृद्धि ने बाजार में आपूर्ति बढ़ाई। सरकार ने अरहर, मसूर, और उड़द दाल के ड्यूटी-फ्री आयात की अवधि को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है, जिसने कीमतों को नियंत्रित करने में मदद की।

  2. मांग और आपूर्ति का असंतुलन: छोला दाल की कीमतों में वृद्धि का कारण मांग और आपूर्ति में असंतुलन है। चने की फसल में कमी और त्योहारी मांग ने कीमतों को बढ़ाया है। इसके विपरीत, अरहर दाल की पर्याप्त आपूर्ति ने इसकी कीमतों को नीचे लाया।
  3. परिवहन लागत: डीजल और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि ने खाद्य वस्तुओं की परिवहन लागत को बढ़ाया है, जिसका असर छोला दाल जैसी दालों की कीमतों पर पड़ा है।

  4. जमाखोरी और सरकारी नीतियां: सरकार ने 2023 और 2024 में जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक लिमिट और छापेमारी जैसे कदम उठाए थे, लेकिन इसका प्रभाव सीमित रहा। अब आयात में वृद्धि और स्टॉक लिमिट को और सख्त करने से अरहर दाल की कीमतें नियंत्रित हुई हैं।

उपभोक्ताओं पर प्रभाव
अरहर दाल की कीमतों में कमी ने मध्यम और निम्न-आय वर्ग के परिवारों को राहत दी है। लखनऊ की गृहिणी प्रिया देवी ने कहा, “पिछले साल अरहर दाल इतनी महंगी थी कि हमने मसूर और चना दाल खाना शुरू कर दिया था। अब 98 रुपये में मिल रही है, तो थोड़ी राहत मिली है।” हालांकि, छोला दाल की बढ़ती कीमतों ने रसोई का बजट फिर से प्रभावित किया है। एक औसत परिवार, जो प्रतिमाह 4 किलो दाल की खपत करता है, को छोला दाल की कीमतों में 10-15 रुपये प्रति किलो की वृद्धि से 40-60 रुपये का अतिरिक्त बोझ झेलना पड़ रहा है।
सरकार के प्रयास
केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार ने दालों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं:
  • आयात बढ़ाना: अरहर, मसूर, और उड़द दाल के ड्यूटी-फ्री आयात की अवधि मार्च 2025 तक बढ़ाई गई है।

  • भारत दाल ब्रांड: सरकार 60 रुपये प्रति किलो में चना दाल बेच रही है, और अन्य दालों के स्टॉक लिमिट को घटाया गया है।

  • किसानों के लिए प्रोत्साहन: गृह मंत्री अमित शाह ने दाल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक वेब पोर्टल लॉन्च किया, जिसके माध्यम से किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अरहर दाल बेच सकते हैं।

भविष्य की संभावनाएं
दाल व्यापारियों का अनुमान है कि अरहर दाल की कीमतें अगले कुछ महीनों में और कम हो सकती हैं, क्योंकि यूपी की फसल बाजार में आएगी। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि अफ्रीकी देशों से आयात में सुधार और स्थानीय उत्पादन से अरहर दाल की कीमतें 90 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती हैं।
हालांकि, छोला दाल की कीमतों में तत्काल राहत की उम्मीद कम है। व्यापारियों का कहना है कि चने की नई फसल मई 2025 तक बाजार में आएगी, जिसके बाद कीमतें स्थिर हो सकती हैं। सरकार को चना दाल की आपूर्ति बढ़ाने और परिवहन लागत को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने होंगे।
Digiqole Ad

Rama Niwash Pandey

https://ataltv.com/

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *