• December 30, 2025

‘बैटल ऑफ गलवान’ से ड्रैगन में खलबली: सलमान खान की फिल्म पर बिफरा चीन, तथ्यों को तोड़-मरोड़कर दिखाने का लगाया आरोप

भारतीय सिनेमा और राजनीति के गलियारों में इन दिनों केवल एक ही नाम की गूंज है— ‘बैटल ऑफ गलवान’। बॉलीवुड के मेगास्टार सलमान खान की आगामी फिल्म के टीजर ने रिलीज होते ही सरहद पार चीन में एक ऐसा तूफान खड़ा कर दिया है, जिसकी तपिश अब बीजिंग के सरकारी दफ्तरों तक महसूस की जा रही है। साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई ऐतिहासिक और हिंसक झड़प पर आधारित यह फिल्म न केवल मनोरंजन का साधन बनी है, बल्कि एक कूटनीतिक विवाद का केंद्र भी बन गई है। चीन के सरकारी मीडिया ने इस फिल्म के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जबकि भारत के फिल्मकारों और विशेषज्ञों ने इसे ड्रैगन की बौखलाहट और असुरक्षा का परिणाम बताया है।

गलवान की शौर्य गाथा और सलमान खान का दमदार अवतार

फिल्म ‘बैटल ऑफ गलवान’ उस रात की कहानी को बड़े पर्दे पर लाने का प्रयास है, जब लद्दाख की बर्फीली चोटियों पर भारतीय सैनिकों ने चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के धोखे का मुंहतोड़ जवाब दिया था। इस फिल्म का निर्देशन चर्चित फिल्ममेकर अपूर्व लखिया कर रहे हैं, जो अपनी एक्शन और वास्तविकता आधारित फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। फिल्म में सलमान खान मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। वे शहीद कर्नल बिक्कुमल्ला संतोष बाबू के किरदार में नजर आएंगे, जो 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे।

कर्नल संतोष बाबू ने 15 जून 2020 की उस काली रात को अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था। फिल्म में सलमान खान के साथ चित्रंगदा सिंह मुख्य महिला किरदार में हैं। इनके अलावा फिल्म में जेन शॉ, अंकुर भाटिया और विपिन भारद्वाज जैसे मंझे हुए कलाकार भी अहम भूमिकाओं में दिखाई देंगे। फिल्म के टीजर में जिस तरह से भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान को दिखाया गया है, उसने देशवासियों में राष्ट्रवाद की लहर पैदा कर दी है, लेकिन यही शौर्य गाथा चीन की आंखों में खटक रही है।

चीन के सरकारी मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ का जहर और बौखलाहट

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र कहे जाने वाले अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने इस फिल्म के खिलाफ एक विस्तृत और तीखा लेख प्रकाशित किया है। इस लेख में दावा किया गया है कि ‘बैटल ऑफ गलवान’ में ऐतिहासिक तथ्यों को पूरी तरह से तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। चीनी मीडिया ने फिल्म को ‘सिनेमाई अतिशयोक्ति’ करार देते हुए कहा कि यह केवल भारतीय दर्शकों के बीच राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काने और मनोरंजन के उद्देश्य से बनाई गई है।

ग्लोबल टाइम्स के लेख में तथाकथित चीनी विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि बॉलीवुड फिल्में अक्सर वास्तविकता से कोसों दूर होती हैं। लेख में कर्नल संतोष बाबू के बलिदान को ‘तथाकथित भूमिका’ कहकर खारिज करने की कोशिश की गई है। चीन का कहना है कि कोई भी फिल्म इतिहास को नहीं बदल सकती और न ही पीएलए के संप्रभुता की रक्षा करने के संकल्प को कमजोर कर सकती है। यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि गलवान का जिक्र आज भी चीन के लिए एक दुखती रग साबित हो रहा है।

एलएसी पर चीन के झूठे दावे और भारतीय सेना पर आरोप

फिल्म के विरोध की आड़ में चीन ने एक बार फिर अपने पुराने और झूठे दावों को दोहराया है। ग्लोबल टाइम्स के लेख में यह दावा किया गया कि गलवान घाटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के चीनी हिस्से में आती है। चीन ने बेशर्मी से 2020 की झड़पों के लिए भारत को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। लेख में आरोप लगाया गया कि भारतीय सैनिकों ने जानबूझकर एलएसी पार की और चीनी सैनिकों को उकसाया, जिससे सीमा क्षेत्र की स्थिरता बिगड़ी।

चीन का यह प्रोपेगेंडा पूरी दुनिया के सामने है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह स्थापित तथ्य है कि चीनी सेना ने ही यथास्थिति (Status Quo) बदलने की कोशिश की थी, जिसके परिणामस्वरूप वह हिंसक झड़प हुई। चीनी मीडिया ने यह भी आरोप लगाया कि भारत अपनी फिल्मों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने के लिए कर रहा है। चीनी सैन्य विशेषज्ञ सॉन्ग झोंगपिंग के हवाले से लेख में कहा गया कि फिल्में किसी देश की जमीन की सीमाओं को प्रभावित नहीं कर सकतीं, लेकिन चीन के इस बयान में छिपी घबराहट साफ देखी जा सकती है।

हताहतों की संख्या पर ड्रैगन का पुराना प्रपंच

2020 की गलवान झड़प में भारत ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था कि उसके 20 जांबाज सैनिकों ने देश के लिए अपना बलिदान दिया। पूरा देश आज भी उन शहीदों के सामने नतमस्तक है। वहीं दूसरी ओर, चीन ने महीनों तक अपने मारे गए सैनिकों की संख्या को छिपाए रखा। महीनों बाद बीजिंग ने केवल चार सैनिकों के मारे जाने की बात कबूली, जबकि अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों और मीडिया रिपोर्ट्स ने यह दावा किया था कि चीनी सैनिकों के हताहत होने की संख्या भारत से कहीं अधिक थी।

अब ग्लोबल टाइम्स अपने लेख में भारत पर यह आरोप लगा रहा है कि भारत ने हताहतों की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर बताया है। चीन का यह पैंतरा उसकी अपनी जनता के सामने अपनी हार और कमजोरी को छिपाने का एक तरीका माना जा रहा है। फिल्म में जिस तरह से चीनी सैनिकों के नुकसान को दिखाया गया है, उससे चीनी सरकार को डर है कि कहीं उसकी सेना की अजेय होने की छवि धूमिल न हो जाए।

भारतीय फिल्म जगत का करारा जवाब: ‘सच कड़वा होता है’

चीनी मीडिया के इन आरोपों और दावों पर भारतीय फिल्म जगत ने बेहद सख्त प्रतिक्रिया दी है। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने कहा कि चीन की यह प्रतिक्रिया कोई हैरानी की बात नहीं है। उन्होंने कहा, “जब भी कोई भारतीय फिल्मकार देश के दुश्मनों की करतूतों और हमारी सेना की बहादुरी पर फिल्म बनाता है, तो दुश्मन देश की बेचैनी सामने आ ही जाती है। भारत अब एक बदला हुआ और मजबूत देश है। ग्लोबल टाइम्स की यह प्रतिक्रिया केवल चीन की असुरक्षा की भावना को दिखाती है।”

वहीं, अभिनेता और निर्माता राहुल मित्रा ने भी चीनी दावों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि फिल्में केवल कल्पना के आधार पर नहीं बनतीं, उनके पीछे महीनों का गहरा शोध (Research) होता है। सलमान खान और अपूर्व लखिया जैसे बड़े नाम बिना पुख्ता तथ्यों के इतनी संवेदनशील विषय पर फिल्म नहीं बनाएंगे। मित्रा के अनुसार, ग्लोबल टाइम्स केवल अपनी सरकार का मुखपत्र है, इसलिए उससे सच्चाई की उम्मीद करना ही बेकार है। भारतीय फिल्मकारों का मानना है कि ‘बैटल ऑफ गलवान’ इतिहास का वह आइना है जिसे देखकर चीन डर रहा है।

निष्कर्ष: राष्ट्रवाद और सिनेमा का संगम

‘बैटल ऑफ गलवान’ केवल एक फिल्म नहीं है, बल्कि यह उन 20 शहीदों को एक श्रद्धांजलि है जिन्होंने बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर तिरंगे का मान रखा था। सलमान खान जैसे सुपरस्टार का इस प्रोजेक्ट से जुड़ना यह सुनिश्चित करता है कि यह कहानी भारत के कोने-कोने तक और विश्व मंच पर पहुंचेगी। चीन का विरोध इस बात का प्रमाण है कि सिनेमा में वह शक्ति है जो प्रोपेगेंडा की दीवारों को ढहा सकती है।

जैसे-जैसे फिल्म की रिलीज डेट नजदीक आएगी, यह विवाद और गहरा सकता है, लेकिन भारतीय फैंस और फिल्म से जुड़े लोगों का साफ कहना है कि सच को पर्दे पर आने से कोई ताकत नहीं रोक सकती। सलमान खान का कर्नल संतोष बाबू के रूप में पर्दे पर उतरना उन करोड़ों भारतीयों के लिए गर्व का विषय है, जो अपनी सेना के शौर्य को सलाम करते हैं।

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