कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत पर उबाल: दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर महिलाओं का भारी विरोध, पीड़िता की मां बोलीं- ‘अब सुप्रीम कोर्ट ही सहारा’
नई दिल्ली। देश को झकझोर देने वाले 2017 के उन्नाव दुष्कर्म मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के एक हालिया फैसले ने एक बार फिर नए विवाद को जन्म दे दिया है। आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को निलंबित करने और उन्हें सशर्त जमानत देने के आदेश के खिलाफ शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारी महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले को न्याय की हार बताया और अदालत परिसर के बाहर जमकर नारेबाजी की। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने की चेतावनी भी दी है।
दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला और लगाई गई शर्तें
विवाद की जड़ दिल्ली हाईकोर्ट का वह आदेश है, जिसमें अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर की अपील लंबित रहने तक उनकी सजा को निलंबित कर दिया है। मंगलवार को आए इस फैसले में कोर्ट ने सेंगर को दिल्ली में रहने की अनिवार्य शर्त के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने कुछ बेहद सख्त शर्तें भी रखी हैं, जिनमें अपना पासपोर्ट जमा करना, गवाहों या पीड़िता के परिवार से संपर्क न करना और नियमित रूप से संबंधित पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगाना शामिल है। हालांकि, इन शर्तों के बावजूद सामाजिक संगठनों और पीड़िता के परिवार में इस फैसले को लेकर गहरा असंतोष है।
हाईकोर्ट परिसर के बाहर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन
शुक्रवार सुबह से ही महिला संगठनों और नागरिक समाज के लोग दिल्ली हाईकोर्ट के गेट नंबर 1 के बाहर एकत्रित होने शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं जिन पर ‘दुष्कर्मी को जमानत क्यों?’ और ‘बेटियों को न्याय दो’ जैसे नारे लिखे थे। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहीं महिला कार्यकर्ता योगिता भयाना ने कड़े शब्दों में कहा, “पूरे भारत की महिलाएं इस बात से बेहद आहत हैं कि एक घोषित दुष्कर्मी की सजा को इस तरह निलंबित कर दिया गया है। यह विडंबना है कि जिस अदालत ने न्याय दिया था, वहीं से अब अन्याय की बू आ रही है। हम उसी जगह से न्याय की मांग करेंगे जहां हमें लगता है कि पीड़ित के साथ छल हुआ है।”
पुलिस की सख्त कार्रवाई और जंतर-मंतर जाने की हिदायत
प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या और नारेबाजी को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया। पुलिस ने लाउडस्पीकर के जरिए घोषणा की कि हाईकोर्ट के बाहर इस तरह का विरोध प्रदर्शन गैरकानूनी है और इससे न्यायिक प्रक्रिया में बाधा आ रही है। पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को तुरंत हटने की चेतावनी देते हुए कहा कि यदि वे प्रदर्शन जारी रखना चाहते हैं, तो उन्हें निर्धारित स्थान यानी जंतर-मंतर पर जाना होगा। पुलिस ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि आदेश का उल्लंघन किया गया, तो प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है।
पीड़िता की मां की भावुक अपील: ‘सुप्रीम कोर्ट से ही न्याय की उम्मीद’
इस पूरे घटनाक्रम के बीच पीड़िता की मां का बयान सामने आया है, जिसमें उनका दर्द और आक्रोश साफ झलकता है। उन्होंने कहा, “हमें इस फैसले से गहरा धक्का लगा है। जिस व्यक्ति ने मेरी बेटी का जीवन बर्बाद किया और मेरे पति की हत्या की साजिश रची, उसे जमानत मिलना हमारे घावों पर नमक छिड़कने जैसा है। हमें अब हाईकोर्ट पर भरोसा नहीं रहा। हम इस जमानत को रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।” उन्होंने मांग की कि सेंगर की जमानत तुरंत खारिज की जानी चाहिए और उनके पति के हत्यारों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए।
क्या था उन्नाव दुष्कर्म मामला?
बता दें कि यह मामला साल 2017 का है जब उन्नाव की एक नाबालिग लड़की ने तत्कालीन भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। लंबी कानूनी लड़ाई और पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के बाद यह मामला देशभर की सुर्खियों में आया था। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मामले को दिल्ली स्थानांतरित किया गया था, जहां 2019 में ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अब सजा के निलंबन और जमानत मिलने से इस केस में एक नया मोड़ आ गया है, जिसने न्याय प्रणाली और वीआईपी कैदियों को मिलने वाली राहत पर नई बहस छेड़ दी है।