वीर बाल दिवस 2025: भारत मंडपम में पीएम मोदी ने साहिबजादों के शौर्य को किया नमन, कहा- ‘उनके बलिदान ने हिला दिया था मुगल सल्तनत का वजूद’
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में एक भव्य कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों के अद्वितीय बलिदान और अदम्य साहस को याद करते हुए उन्हें भारत का असली गौरव बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि साहिबजादों का बलिदान केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि वह भारत के मूल विचारों और मजहबी कट्टरता के बीच हुई एक ऐसी लड़ाई थी जिसने तत्कालीन क्रूर मुगल हुकूमत की नींव हिला दी थी। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित बच्चों से संवाद किया और उनकी उपलब्धियों की सराहना की।
साहिबजादों का बलिदान: सत्य बनाम असत्य का संघर्ष
अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने साहिबजादों के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा अर्पित की। उन्होंने कहा कि आज का दिन भारत के इतिहास के उन स्वर्णिम और भावुक पलों को याद करने का है, जिन्होंने देश की दिशा बदल दी। पीएम मोदी ने कहा, “वीर साहिबजादे भारत के अदम्य साहस, शौर्य और वीरता की पराकाष्ठा हैं। उन्होंने उम्र और अवस्था की सीमाओं को तोड़ते हुए वह कर दिखाया जो सदियों तक प्रेरणा देता रहेगा।”
प्रधानमंत्री ने मुगल काल की क्रूरता का जिक्र करते हुए कहा कि साहिबजादों को बहुत छोटी उम्र में उस समय की सबसे बड़ी और क्रूर सत्ता से टकराना पड़ा था। उन्होंने कहा कि वह लड़ाई गुरु गोविंद सिंह जी के आदर्शों और औरंगजेब की कट्टरता के बीच थी। औरंगजेब चाहता था कि वह भारतीयों का मनोबल तोड़कर उनका धर्मांतरण कराए, लेकिन वह इस बात से अनजान था कि जिन साहिबजादों को वह डराने की कोशिश कर रहा था, उनके भीतर गुरु गोविंद सिंह का रक्त और अजेय संकल्प था। साहिबजादों ने क्रूरता के सामने झुकने के बजाय बलिदान का रास्ता चुना, जो आज भी सत्यनिष्ठा का सबसे बड़ा उदाहरण है।
‘अजीत हूं, जीता नहीं जाऊंगा’: साहिबजादा अजीत सिंह के वचनों का उल्लेख
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में साहिबजादा अजीत सिंह जी के उन साहसी शब्दों को याद किया जो आज भी हर भारतीय के भीतर जोश भर देते हैं। उन्होंने कहा कि साहिबजादा अजीत सिंह जी ने स्पष्ट रूप से कहा था— ‘नाम का अजीत हूं, जीता न जाऊंगा, जीता भी गया तो जीता न आऊंगा।’ पीएम मोदी ने कहा कि यह शब्द केवल एक बालक के बोल नहीं थे, बल्कि यह उस संस्कार और वीरता का परिचय थे जो उन्हें अपनी विरासत से मिले थे।
उन्होंने आगे कहा कि भले ही पूरी मुगलिया बादशाहत साहिबजादों के पीछे लग गई थी, लेकिन वे उनके इरादों को डिगा नहीं पाए। यह साहिबजादों की ही शक्ति थी कि उन्होंने मजहबी कट्टरता और आतंक के वजूद को झकझोर कर रख दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस राष्ट्र के पास ऐसा गौरवशाली अतीत और ऐसी वीर युवा पीढ़ी की विरासत हो, उसे कोई भी ताकत आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती।
वीर बाल दिवस: नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का नया मंच
प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2022 में वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बीते चार वर्षों में इस नई परंपरा ने साहिबजादों की गाथाओं को देश के कोने-कोने में नई पीढ़ी तक पहुंचाया है। उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि वीर बाल दिवस अब केवल एक औपचारिक दिवस नहीं रह गया है, बल्कि यह साहसी और प्रतिभावान बच्चों के निर्माण के लिए एक सशक्त मंच बन गया है।
पीएम मोदी ने इस वर्ष राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार जीतने वाले 20 बच्चों को बधाई दी। उन्होंने इन बच्चों से संवाद करते हुए कहा कि यह सम्मान केवल उनका नहीं है, बल्कि उनके माता-पिता, शिक्षकों और मेंटर्स का भी है जिन्होंने उन्हें इस काबिल बनाया। प्रधानमंत्री ने बच्चों के साथ काफी समय बिताया और उनके शौर्यपूर्ण कारनामों की विस्तार से सराहना की। उन्होंने कहा कि साहिबजादों की तरह ही आज के ये बच्चे भी भविष्य के सशक्त भारत की नींव हैं।
भविष्य के प्रति बढ़ता विश्वास और राष्ट्र निर्माण
समारोह के दौरान केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भी बच्चों को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल वीर पुरस्कारों के लिए आवेदनों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है, जो इस बात का प्रमाण है कि देश के बच्चे अपनी वीरता और प्रतिभा के प्रति सजग हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हम इन छोटे बच्चों की असाधारण उपलब्धियों को देखते हैं, तो भविष्य के प्रति हमारा विश्वास और भी मजबूत हो जाता है। यह पुरस्कार बच्चों के संघर्षों और सपनों की पहचान है, जो देश के करोड़ों अन्य बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर भी एक भावुक पोस्ट साझा की थी। उन्होंने लिखा कि वीर बाल दिवस श्रद्धा का दिन है, जो साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान को समर्पित है। उन्होंने माता गुजरी जी की अटूट आस्था और श्री गुरु गोविंद सिंह जी की शिक्षाओं को नमन किया। 26 दिसंबर की तारीख अब भारतीय कैलेंडर में उस साहस और दृढ़ विश्वास के प्रतीक के रूप में स्थापित हो चुकी है, जो आने वाली पीढ़ियों को सत्य की राह पर चलने के लिए प्रेरित करती रहेगी।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में गुरु गोविंद सिंह जी के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनकी सत्यनिष्ठा और त्याग के प्रतीक गुरु साहिब आने वाली कई सदियों तक मानवता का मार्गदर्शन करते रहेंगे। भारत मंडपम में हुए इस गरिमामय आयोजन ने साहिबजादों के बलिदान को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दी है।