पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा उलटफेर: हुमायूं कबीर ने फूंका ‘जनता उन्नयन पार्टी’ का बिगुल
पश्चिम बंगाल : पश्चिम बंगाल की सियासी बिसात पर सोमवार का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कद्दावर और विवादित नेता रहे हुमायूं कबीर ने आखिरकार अपनी नई राजनीतिक पारी का आगाज कर दिया है। मुर्शिदाबाद के भरतपुर से निलंबित विधायक कबीर ने अपनी नई पार्टी ‘जनता उन्नयन पार्टी’ की घोषणा कर दी है, जिसने राज्य के राजनीतिक समीकरणों को विशेष रूप से अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में गर्मा दिया है। बेलडांगा के पास मिर्जापुर से शुरू हुआ यह सफर अब कोलकाता और उत्तर बंगाल की गलियों तक पहुंचने का दावा कर रहा है। हुमायूं कबीर का यह कदम न केवल ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी के लिए एक चुनौती है, बल्कि राज्य के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी एक नए मोर्चे का संकेत है।
मिर्जापुर से नई शुरुआत और बाबरी मस्जिद का संदर्भ
हुमायूं कबीर ने अपनी पार्टी की लॉन्चिंग के लिए मुर्शिदाबाद जिले के मिर्जापुर क्षेत्र को चुना है। यह स्थान महज भौगोलिक पसंद नहीं, बल्कि एक गहरे राजनीतिक संदेश का हिस्सा है। दरअसल, यह वही इलाका है जहां कबीर ने एक प्रस्तावित बाबरी मस्जिद परियोजना की नींव रखकर राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी थी। पार्टी लॉन्च के दौरान कबीर के समर्थकों का भारी हुजूम देखा गया, जहां उन्होंने स्पष्ट किया कि टीएमसी से निलंबन उनके राजनीतिक जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नई और अधिक स्वायत्त शुरुआत है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि वे आम लोगों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं और अब किसी भी दल के अनुशासन की बेड़ियां उन्हें जनसेवा से नहीं रोक पाएंगी।
संगठनात्मक ढांचा और रणनीतिक विस्तार
नई पार्टी के गठन के साथ ही हुमायूं कबीर ने इसके सांगठनिक ढांचे पर भी काम शुरू कर दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि जल्द ही पार्टी के झंडे कोलकाता से लेकर सिलीगुड़ी तक दिखाई देंगे। संगठन को मजबूती देने के लिए उन्होंने पश्चिम मेदिनीपुर के प्रभावशाली नेता अल हाज हाजी को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने के संकेत दिए हैं। कबीर की रणनीति बेहद स्पष्ट है—वे मुर्शिदाबाद को अपना मुख्य गढ़ बनाएंगे, जो उनका जन्मस्थान भी है। उन्होंने घोषणा की है कि वे जल्द ही बरहामपुर से एक विशाल रोड शो निकालेंगे, ताकि अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर सकें। उनका मानना है कि मुर्शिदाबाद और आसपास के जिलों में उनकी व्यक्तिगत पकड़ नई पार्टी को एक ठोस आधार प्रदान करेगी।
विधानसभा चुनाव 2026 और 100 सीटों का लक्ष्य
हुमायूं कबीर ने अपनी पार्टी के भविष्य को लेकर जो दावे किए हैं, उन्होंने राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है। कबीर का लक्ष्य अगले विधानसभा चुनाव में 100 से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारना है। उनका मुख्य ध्यान उन 90 सीटों पर है जहां अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। कबीर का दावा है कि उनकी पार्टी कम से कम 90 सीटें जीतकर राज्य में ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वे किसी भी ऐसी सरकार का हिस्सा बनने के लिए तैयार होंगे जो उनके एजेंडे को स्वीकार करेगी, लेकिन वर्तमान में उनका उद्देश्य टीएमसी और भाजपा दोनों के एकाधिकार को चुनौती देना है।
ममता और सुवेंदु के खिलाफ सीधी जंग का ऐलान
जनता उन्नयन पार्टी के एजेंडे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि हुमायूं कबीर ने सीधे तौर पर राज्य के दो सबसे बड़े दिग्गजों को चुनौती दी है। कबीर ने संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ भवानीपुर विधानसभा सीट से और विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ नंदीग्राम से अपना उम्मीदवार उतारेगी। यह कदम दर्शाता है कि कबीर केवल अपनी जमीन बचाने की कोशिश नहीं कर रहे, बल्कि वे सत्ता के शीर्ष केंद्रों पर प्रहार कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं। उन्होंने अन्य छोटे दलों और उन ताकतों से भी हाथ मिलाने की अपील की है जो टीएमसी और भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विकल्प की तलाश में हैं।
टीएमसी से निलंबन और कबीर का बदलता रुख
हुमायूं कबीर और तृणमूल कांग्रेस के बीच के रिश्ते पिछले कई महीनों से तल्खी भरे रहे हैं। विवाद की चरम सीमा तब आई जब कबीर ने 6 दिसंबर को, जो अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी है, मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद के मॉडल पर एक नई मस्जिद की नींव रखी। टीएमसी नेतृत्व ने इसे पार्टी की धर्मनिरपेक्ष छवि के खिलाफ और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने वाला कदम माना। इसके बाद पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया और अंततः निलंबित कर दिया। निलंबन के तुरंत बाद कबीर ने विधायक पद से इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन अब उन्होंने अपना रुख बदल लिया है। उनका कहना है कि वे इस्तीफा नहीं देंगे और विधानसभा के भीतर रहकर भी अपनी नई पार्टी की आवाज बुलंद करेंगे।
अल्पसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण और राजनीतिक भविष्य
पश्चिम बंगाल की राजनीति में अल्पसंख्यक वोटों का बड़ा महत्व है, और हुमायूं कबीर इसी आधार को अपनी ताकत बनाना चाहते हैं। उनका आरोप है कि वर्तमान सरकार ने अल्पसंख्यकों का उपयोग केवल वोट बैंक के रूप में किया है और उनके वास्तविक विकास के लिए ठोस काम नहीं हुए। कबीर की ‘जनता उन्नयन पार्टी’ का मुख्य नारा विकास और सामाजिक न्याय के इर्द-गिर्द बुना गया है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि कबीर के लिए यह राह इतनी आसान नहीं होगी, क्योंकि टीएमसी का इस वोट बैंक पर मजबूत नियंत्रण है। लेकिन कबीर का आत्मविश्वास और उनका आक्रामक प्रचार आने वाले समय में बंगाल की राजनीति में नए समीकरण बना सकता है। सोमवार की इस घोषणा ने निश्चित रूप से राज्य के सत्ता गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।