पठानकोट में आतंकी हमले का अलर्ट: नए साल के जश्न में खलल डालने की बड़ी पाकिस्तानी साजिश का पर्दाफाश
पठानकोट: पंजाब का सीमावर्ती जिला पठानकोट एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों के निशाने पर है। खुफिया एजेंसियों ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है कि पाकिस्तान नए साल की पूर्व संध्या पर पंजाब और विशेषकर पठानकोट में बड़े आतंकी हमले की योजना बना रहा है। इस इनपुट के बाद पूरे इलाके में ‘रेड अलर्ट’ जारी कर दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता के कारण आतंकियों का एक स्थानीय मददगार पुलिस की गिरफ्त में आ गया है, जिसने पूछताछ के दौरान पाकिस्तान की इस खौफनाक साजिश की कड़ियां खोल दी हैं।
सीमा पार से घुसपैठ की बड़ी तैयारी और स्लीपर सेल का जाल
खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी आतंकी संगठन पंजाब के रास्ते घुसपैठ करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस बार उनकी रणनीति पहले से अधिक जटिल और खतरनाक बताई जा रही है। सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने निष्क्रिय पड़े ‘स्लीपर सेल’ को सक्रिय कर दिया है। इन स्लीपर सेल का मुख्य काम सीमा पार से आने वाले आतंकियों को सुरक्षित पनाह मुहैया कराना, हथियारों की व्यवस्था करना और हमले के लिए लक्षित ठिकानों की रेकी करना है।
पंजाब पुलिस ने इस नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है। गंदला लाहड़ी क्षेत्र से पुलिस ने बिल्लू गुज्जर नामक एक संदिग्ध को हिरासत में लिया है। पुलिस का मानना है कि बिल्लू आतंकियों का प्रमुख मददगार है और वह लंबे समय से सीमा पार बैठे अपने आकाओं के संपर्क में था। हालांकि, उसका एक अन्य साथी नजाकत हुसैन फिलहाल फरार है, जिसकी तलाश में पुलिस और सुरक्षा बल लगातार छापेमारी कर रहे हैं। एसएसपी पठानकोट दलजिंदर सिंह ने पुष्टि की है कि संदिग्ध गतिविधियों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है और सुरक्षा घेरा मजबूत कर दिया गया है।
साजिश का मास्टरमाइंड मुजफ्फर अहमद और वर्चुअल नंबरों का खेल
इस पूरी साजिश के पीछे पाकिस्तानी नागरिक मुजफ्फर अहमद का नाम सामने आ रहा है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, मुजफ्फर अहमद इस आतंकी नेटवर्क का मुख्य संचालक है और वही पठानकोट में गतिविधियों को नियंत्रित कर रहा है। मुजफ्फर अहमद का उद्देश्य न केवल घुसपैठ कराना है, बल्कि पठानकोट एयरबेस, रेलवे स्टेशन और अन्य सामरिक महत्व के सैन्य ठिकानों पर आत्मघाती हमला करना है।
इस बार आतंकियों ने सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए संचार के आधुनिक और जटिल तरीकों का सहारा लिया है। वे आपस में बातचीत करने और अपने स्थानीय मददगारों से संपर्क साधने के लिए ‘वर्चुअल नंबरों’ का उपयोग कर रहे हैं। इन नंबरों को ट्रैक करना पारंपरिक कॉल की तुलना में काफी कठिन होता है, जिससे आतंकियों की पहचान गुप्त बनी रहती है। लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियां तकनीक और स्थानीय सूचना तंत्र के जरिए इस नेटवर्क को भेदने में जुटी हुई हैं।
25 से 31 दिसंबर के बीच हमले की आशंका और रेकी की खबरें
सुरक्षा एजेंसियों को प्राप्त विशिष्ट इनपुट के अनुसार, यह हमला 25 दिसंबर से 31 दिसंबर के बीच होने की प्रबल संभावना है। आतंकी नए साल के जश्न के दौरान होने वाली भीड़ और सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी संभावित ढिलाई का फायदा उठाना चाहते हैं। एक इनपुट में तो यहाँ तक बताया गया है कि 17-18 दिसंबर की रात को ही तीन आतंकियों के घुसपैठ करने की योजना थी, जिन्हें बिल्लू गुज्जर और नजाकत हुसैन की मदद मिलनी थी।
इसके अतिरिक्त, एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि पठानकोट की किसी स्थानीय धर्मशाला में कुछ संदिग्ध स्लीपर सेल के सदस्य ठहरे हुए हैं। ये संदिग्ध पिछले कुछ दिनों से शहर के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों और भीड़भाड़ वाले इलाकों की रेकी कर रहे हैं। पुलिस अब शहर के सभी होटलों, सराय और धर्मशालाओं के रिकॉर्ड खंगाल रही है और वहां ठहरने वाले संदिग्धों की सूची तैयार की जा रही है।
पठानकोट एयरबेस की सुरक्षा और 2016 की यादें
पठानकोट एयरबेस हमेशा से आतंकियों के रडार पर रहा है। 1 जनवरी 2016 को हुए आतंकी हमले के जख्म अभी भी हरे हैं, जब सेना की वर्दी पहनकर आए छह आतंकियों ने एयरबेस में घुसपैठ की थी। वर्तमान इनपुट ने एक बार फिर उसी तरह के खतरे की घंटी बजा दी है। इतिहास को देखते हुए, वायुसेना और थल सेना ने एयरबेस और आसपास के सैन्य कैंपों की सुरक्षा को कई गुना बढ़ा दिया है।
एयरबेस के चारों ओर सुरक्षा का अभेद्य घेरा तैयार किया गया है। अत्याधुनिक निगरानी उपकरणों और ड्रोन की मदद से सीमावर्ती क्षेत्रों और एयरबेस की परिधि पर नजर रखी जा रही है। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए विशेष कमांडो और सेना की टुकड़ियों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
चप्पे-चप्पे पर पहरा और विशेष चेकिंग अभियान
पठानकोट जिला पुलिस ने संवेदनशील क्षेत्रों जैसे डमटाल, ढांगू, भदरोया और मीलवां में सुरक्षा की कमान संभाल ली है। एसएसपी दलजिंदर सिंह के नेतृत्व में पुलिस बल और विशेष कमांडो रात के समय गहन तलाशी अभियान चला रहे हैं। रात के अंधेरे में किसी भी संदिग्ध गतिविधि को रोकने के लिए ‘नाइट डोमिनेशन’ अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत पूरी रात सड़कों पर गश्त की जा रही है।
हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से लगने वाली सीमाओं पर स्थित इंटरस्टेट नाकों पर चेकिंग सख्त कर दी गई है। हर आने-जाने वाले वाहन की बारीकी से जांच की जा रही है और पहचान पत्रों का सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। पुलिस ने आम जनता से भी अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या लावारिस वस्तु को देखते ही तुरंत नजदीकी पुलिस थाने को सूचित करें।
दहशतगर्दी के खिलाफ पंजाब पुलिस की जीरो टॉलरेंस नीति
पंजाब पुलिस का कहना है कि वे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों को भी विश्वास में लिया गया है ताकि वे किसी भी बाहरी व्यक्ति की आवाजाही पर नजर रख सकें। पुलिस का मानना है कि स्थानीय स्तर पर मददगारों के पकड़े जाने से आतंकियों की घुसपैठ की योजना को बड़ा झटका लगा है। बिल्लू गुज्जर से पूछताछ में कई अन्य नाम सामने आने की उम्मीद है, जिससे पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जा सके।
फिलहाल, पूरा पठानकोट एक छावनी में तब्दील हो चुका है। सुरक्षा बलों का एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शांति भंग करने की कोशिश करने वाला कोई भी आतंकी अपने मंसूबों में कामयाब न हो सके। आगामी 10 दिन सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और एजेंसियां पल-पल की जानकारी साझा कर रही हैं।