बजट 2026 की तैयारी: मोदी सरकार ने आम जनता से मांगे सुझाव, समावेशी विकास के लिए ‘जनभागीदारी’ पर जोर
नई दिल्ली: भारत सरकार ने आगामी केंद्रीय बजट 2026-27 के निर्माण की प्रक्रिया को और अधिक लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। वित्त मंत्रालय ने ‘जनभागीदारी से जन कल्याण’ के मंत्र को आगे बढ़ाते हुए देश के आम नागरिकों से बजट के लिए सुझाव और विचार आमंत्रित किए हैं। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश की आर्थिक नीतियों और भविष्य की योजनाओं में हर वर्ग की आवाज शामिल हो।
सरकार की इस मुहिम का मुख्य लक्ष्य एक ऐसा बजट तैयार करना है जो न केवल आर्थिक आंकड़ों पर आधारित हो, बल्कि धरातल पर आम लोगों की जरूरतों और उनकी आकांक्षाओं को भी प्रतिबिंबित करे।
MyGov प्लेटफॉर्म के जरिए जनता की भागीदारी
सरकार ने डिजिटल इंडिया के प्रमुख प्लेटफॉर्म ‘MyGovIndia’ के माध्यम से नागरिकों तक पहुंच बनाई है। एक आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट में सरकार ने देशवासियों को इस महत्वपूर्ण कार्य में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। सरकार ने अपने संदेश में कहा, “जनता की राय से बजट का निर्माण। केंद्रीय बजट 2026-27 के लिए अपने सुझाव साझा करें और समावेशी विकास तथा राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियों में योगदान दें।”
इस पहल के तहत कोई भी नागरिक MyGov वेबसाइट या ऐप पर जाकर अगले वित्त वर्ष के बजट के लिए अपने सुझाव दे सकता है। चाहे वह टैक्स स्लैब में बदलाव की बात हो, कृषि क्षेत्र के लिए नई योजनाएं हों, या शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के सुझाव—सरकार ने सभी रचनात्मक विचारों का स्वागत किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया से सरकार को उन सूक्ष्म आर्थिक चुनौतियों को समझने में मदद मिलेगी जो अक्सर बड़े आंकड़ों में दब जाती हैं।
समावेशी विकास और राष्ट्रीय प्रगति का रोडमैप
बजट 2026-27 को लेकर सरकार का दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर अग्रसर है, और यह बजट उस दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। सुझाव मांगने के पीछे मुख्य विचार यह है कि नीतियां केवल वातानुकूलित कमरों में बैठकर न बनाई जाएं, बल्कि उनमें उन लोगों का इनपुट भी हो जिनके लिए ये नीतियां बनाई जा रही हैं।
समावेशी विकास के तहत सरकार का ध्यान विशेष रूप से मध्यम वर्ग को राहत देने, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर रहने की उम्मीद है। जनता के सुझावों से सरकार को यह प्राथमिकताएं तय करने में आसानी होगी कि किन क्षेत्रों में अधिक निवेश की आवश्यकता है और किन योजनाओं में बदलाव की गुंजाइश है।
पूर्व-बजट परामर्श: विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों से संवाद
आम जनता से सुझाव मांगने से पहले, केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पूर्व परामर्श (Pre-Budget Consultations) का व्यापक दौर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। नई दिल्ली में आयोजित इन बैठकों की श्रृंखला में अर्थव्यवस्था के विभिन्न स्तंभों के प्रतिनिधियों के साथ गहन चर्चा की गई।
परामर्श की शुरुआत देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ हुई, जहाँ वैश्विक आर्थिक स्थिति और भारत पर इसके प्रभाव पर मंथन किया गया। इसके बाद कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान देते हुए किसान संघों के प्रतिनिधियों और कृषि विशेषज्ञों से मुलाकात की गई। किसानों की आय दोगुनी करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।
बाद के सत्रों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME), पूंजी बाजार के विशेषज्ञों, स्टार्टअप संस्थापकों और विनिर्माण क्षेत्र के दिग्गजों को शामिल किया गया। इसके साथ ही बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा (BFSI), सूचना प्रौद्योगिकी (IT), और पर्यटन व आतिथ्य (Hospitality) क्षेत्र के हितधारकों से भी उनके फीडबैक लिए गए। अंत में, ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर श्रम कानूनों और कामगारों के कल्याण पर सुझाव जुटाए गए।
अगले कदम और बजट की दिशा
विशेषज्ञों और आम जनता से प्राप्त इन सभी सुझावों का अब वित्त मंत्रालय द्वारा विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा। बजट 2026-27 के निर्माण में इन सुझावों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सरकार का प्रयास है कि राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखते हुए विकास की रफ्तार को और तेज किया जाए।
जनता के सुझावों के लिए पोर्टल खुला होने से आम नागरिकों के पास यह सुनहरा मौका है कि वे देश की आर्थिक दिशा को आकार देने में अपना योगदान दें। बजट निर्माण की यह समावेशी प्रक्रिया न केवल लोकतंत्र को मजबूत करती है, बल्कि सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास के सेतु को भी और अधिक दृढ़ बनाती है।