• December 25, 2025

संसद में ‘वीबी-जी-राम-जी’ विधेयक पारित: शिवराज सिंह चौहान का कांग्रेस पर तीखा प्रहार, कहा- ‘नेहरू-गांधी परिवार ने बापू को भी चुराया’

नई दिल्ली | 18 दिसंबर, 2025

संसद के शीतकालीन सत्र में आज का दिन ऐतिहासिक और बेहद हंगामेदार रहा। लोकसभा में भारी शोर-शराबे और विपक्षी दलों के वॉकआउट के बीच ‘विकसित भारत जी-राम-जी’ (VB-G-RAM-JI) विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया। इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस पर कड़ा हमला बोलते हुए उसे ‘लोकतांत्रिक परंपराओं का हत्यारा’ करार दिया।

चौहान ने अपने संबोधन में न केवल विधेयक की महत्ता बताई, बल्कि कांग्रेस पर महात्मा गांधी के नाम का राजनीतिक दुरुपयोग करने और केवल अपने ‘खानदान’ का महिमामंडन करने का गंभीर आरोप भी लगाया।

1. ‘लोकतांत्रिक गरिमा को तार-तार कर रहा है विपक्ष’

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देने जब शिवराज सिंह चौहान खड़े हुए, तो विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इस पर कृषि मंत्री ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा:

“मैंने रात के डेढ़ बजे तक माननीय सदस्यों की बातों को बड़े धैर्य से सुना है। अब जवाब देना मेरा अधिकार है और मैं आसन से संरक्षण चाहता हूं। अपनी बात सुना देना और फिर सरकार का जवाब न सुनना, यह लोकतांत्रिक परंपराओं को तार-तार करना और संविधान की धज्जियां उड़ाना है।”

उन्होंने विपक्ष के इस व्यवहार को ‘वैचारिक हिंसा’ करार देते हुए कहा कि यह बापू (महात्मा गांधी) के आदर्शों की हत्या करने जैसा है।

2. गांधी बनाम गांधी: “कांग्रेस ने बापू को भी चुराने का पाप किया”

शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस द्वारा गांधी के नाम के उपयोग पर तीखा पलटवार किया। प्रियंका गांधी की हालिया टिप्पणियों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा एक ही परिवार को देश से ऊपर रखा है।

  • महिमामंडन का आरोप: कृषि मंत्री ने सदन में आंकड़े पेश करते हुए दावा किया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने महात्मा गांधी की अनदेखी कर केवल नेहरू-गांधी परिवार के नाम पर योजनाओं का अंबार लगा दिया।

  • 25 और 27 का आंकड़ा: चौहान ने कहा, “25 सरकारी योजनाओं के नाम राजीव गांधी के नाम पर और 27 योजनाओं के नाम इंदिरा गांधी के नाम पर रखे गए। शैक्षणिक संस्थानों, सड़कों, इमारतों और अवॉर्ड्स तक को इसी खानदान के नाम पर सीमित कर दिया गया।”

  • बापू का अपमान: उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने महात्मा गांधी के नाम का उपयोग तो किया, लेकिन उनके सिद्धांतों को कभी नहीं अपनाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तो “गांधी को भी गांधी से चुराने का पाप किया है।”

3. विकसित भारत जी-राम-जी विधेयक: गाँवों का कायाकल्प

विधेयक के तकनीकी और सामाजिक पहलुओं पर बात करते हुए कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह कानून गाँवों की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे को बदलने वाला है।

  • बापू की प्रेरणा: चौहान ने कहा कि बीजेपी की ‘पंच निष्ठा’ में गांधी जी के सामाजिक-आर्थिक दर्शन को प्रमुख स्थान दिया गया है। बापू ने कहा था कि ‘गाँव भारत की आत्मा है’, और यह विधेयक उसी आत्मा को सशक्त करने के लिए लाया गया है।

  • फंड के सदुपयोग का दावा: उन्होंने पिछली सरकारों पर फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान सरकार का जोर अंतिम व्यक्ति (Antyodaya) तक विकास पहुँचाने पर है। यह विधेयक किसानों और गरीबों के कल्याण के लिए एक ‘सुरक्षा कवच’ की तरह काम करेगा।

4. “चेन्नई हो या गुवाहाटी, अपना देश अपनी माटी”

विपक्ष द्वारा राज्यों के साथ भेदभाव के आरोपों पर शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों को याद किया। उन्होंने कहा:

“हमारे लिए यह देश केवल जमीन का एक टुकड़ा नहीं है, बल्कि एक जीता-जागता राष्ट्र पुरुष है। अलग भाषा और अलग वेष होने के बावजूद यह देश एक है। हम किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं करते।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘विकसित भारत जी-राम-जी’ योजना का लाभ बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के हर राज्य के ग्रामीणों को मिलेगा।

5. संसद की कार्यवाही स्थगित

विधेयक पारित होने के बाद भी सदन में गतिरोध कम नहीं हुआ। विपक्ष की नारेबाजी और वेल में आकर प्रदर्शन करने के कारण लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की मर्यादा का हवाला देते हुए कार्यवाही को स्थगित कर दिया।

आज की बहस के प्रमुख बिंदु:

विषय शिवराज सिंह चौहान का रुख
विपक्ष का हंगामा इसे ‘बापू के आदर्शों की हत्या’ बताया।
नेहरू-गांधी परिवार केवल अपने परिवार के महिमामंडन का आरोप लगाया।
भेदभाव का आरोप अटल जी की पंक्तियों से एकता का संदेश दिया।
विधेयक का उद्देश्य गांवों का विकास और गांधीवादी अर्थव्यवस्था को मजबूती।

आज की बहस ने यह साफ कर दिया है कि ‘विकसित भारत जी-राम-जी’ विधेयक केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह एक वैचारिक युद्ध का मैदान भी बन गया है। जहाँ सरकार इसे गांधीवादी मूल्यों की ओर वापसी बता रही है, वहीं विपक्ष इसे गांधी की विरासत के नाम को बदलने की कोशिश के रूप में देख रहा है।

अगला कदम: लोकसभा से पारित होने के बाद अब यह विधेयक राज्यसभा में जाएगा, जहाँ विपक्ष की ओर से एक बार फिर तीखे प्रतिरोध की संभावना है।

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