• December 25, 2025

PM मोदी का इथियोपिया में ऐतिहासिक संबोधन: ‘वंदे मातरम’ और इथियोपिया के राष्ट्रगान में एक जैसी मातृशक्ति, संबंधों को मिली रणनीतिक मजबूती

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी इथियोपिया यात्रा के दौरान वहाँ की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए भारत और इथियोपिया के बीच गहरे सांस्कृतिक और भावनात्मक संबंधों का एक नया अध्याय लिखा। ‘शेरों की भूमि’ कहे जाने वाले इथियोपिया में पीएम मोदी ने दोनों देशों के राष्ट्रगान के बीच की अनूठी समानता का उल्लेख कर सबको भावुक कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और इथियोपिया भले ही भूगोल में दूर हों, लेकिन उनकी आत्मा और संस्कृति एक जैसी है।

‘लोकतंत्र के मंदिर’ में 1.4 अरब भारतीयों का संदेश

इथियोपियाई संसद के भव्य भवन में सांसदों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसे ‘सौभाग्य का क्षण’ बताया। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र के इस मंदिर में, प्राचीन ज्ञान और आधुनिक आकांक्षाओं वाले इस महान राष्ट्र के हृदय में उपस्थित होना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं अपने साथ 1.4 अरब भारतीयों की मित्रता और शुभकामनाएं लेकर आया हूँ।”

पीएम मोदी ने इथियोपिया की लोकतांत्रिक यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि जहाँ जनता की इच्छा और राज्य की इच्छा एक दिशा में चलती है, वहीं प्रगति का पहिया तेजी से घूमता है। उन्होंने इथियोपिया को विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक बताते हुए कहा कि यहाँ का गौरवशाली इतिहास इसके पहाड़ों और घाटियों में आज भी जीवंत है।

‘वंदे मातरम’ और इथियोपियाई राष्ट्रगान का भावुक संगम

प्रधानमंत्री के संबोधन का सबसे खास हिस्सा वह रहा जब उन्होंने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक समानता का जिक्र किया।

  • धरती को माना ‘मां’: पीएम मोदी ने कहा, “भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ और इथियोपिया का राष्ट्रगान—दोनों में ही अपनी धरती को ‘मां’ के रूप में संबोधित किया गया है। यह मात्र एक शब्द नहीं है, बल्कि यह मातृभूमि के प्रति हमारे साझा दृष्टिकोण और अगाध प्रेम को दर्शाता है।”

  • साझा विरासत: उन्होंने जोर देकर कहा कि ये भावनाएं हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने और अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए प्रेरित करती हैं। प्रधानमंत्री ने इथियोपिया को ‘शेरों की भूमि’ कहते हुए कहा कि यहाँ आकर उन्हें किसी दूसरे देश में नहीं, बल्कि अपने घर जैसा महसूस हो रहा है।

सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए आभार

प्रधानमंत्री मोदी ने इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली और वहाँ की सरकार को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उन्हें इथियोपिया के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, ‘ग्रैंड ऑनर निशान’ से सम्मानित किया। पीएम ने कहा, “मैं भारत की जनता की ओर से अत्यंत विनम्रता के साथ इस सम्मान को स्वीकार करता हूँ। यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि उन करोड़ों भारतीयों का है जो इथियोपिया के साथ अटूट मित्रता रखते हैं।”

रणनीतिक साझेदारी की नई शुरुआत

प्रधानमंत्री का यह संबोधन एक अत्यंत सफल द्विपक्षीय वार्ता के ठीक अगले दिन हुआ। भारत और इथियोपिया ने अपने संबंधों को अब ‘रणनीतिक साझेदारी’ (Strategic Partnership) के स्तर तक बढ़ा दिया है। दोनों देशों के बीच भविष्य के सहयोग के लिए कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर सहमति बनी है:

  1. खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा: कृषि और पोषण के क्षेत्र में भारत इथियोपिया को अपनी तकनीक और अनुभव साझा करेगा।

  2. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI): भारत का सफल ‘यूपीआई’ और ‘डिजिटल इंडिया’ मॉडल इथियोपिया में भी लागू करने पर चर्चा हुई।

  3. फार्मास्यूटिकल्स और मेडिकल टूरिज्म: ‘दुनिया की फार्मेसी’ के रूप में विख्यात भारत, इथियोपिया में सस्ती दवाओं और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

  4. महत्वपूर्ण खनिज और ऊर्जा: सौर ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों के खनन में सहयोग के लिए नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

‘सबका साथ, सबका विकास’ का वैश्विक आह्वान

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के अंत में भारत के विकास मंत्र का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत आज ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के आह्वान के साथ आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने इथियोपिया को विश्वास दिलाया कि भारत अपनी विकास यात्रा में अफ्रीकी देशों, विशेषकर इथियोपिया को एक समान भागीदार के रूप में देखता है।

संबोधन की मुख्य बातें:

  • इथियोपिया: इसे ‘शेरों की भूमि’ और ‘प्राचीन सभ्यता का केंद्र’ बताया।

  • सांस्कृतिक सूत्र: राष्ट्रगान में ‘भूमि को मां’ कहने वाली समानता पर जोर।

  • सम्मान: इथियोपिया के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार के लिए आभार व्यक्त किया।

  • सहयोग: डिजिटल बुनियादी ढांचे और ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी का ऐलान।

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा न केवल कूटनीतिक रूप से सफल रही, बल्कि इसने सांस्कृतिक सेतु निर्माण का भी कार्य किया। ‘वंदे मातरम’ का उल्लेख कर उन्होंने यह संदेश दिया कि भारत और अफ्रीका की जड़ें और संस्कार एक ही मिट्टी से जुड़े हैं।

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