दिल्ली में दमघोंटू हवा का कहर: कोहरा, धुंध और स्मॉग की मोटी चादर, एक्यूआई 400 के पार
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मंगलवार सुबह लोगों की नींद एक बार फिर जहरीली हवा के साथ खुली। ठंड की शुरुआत के बीच धुंध और घने कोहरे के साथ स्मॉग की मोटी चादर ने पूरी दिल्ली को अपनी गिरफ्त में ले लिया। हालात इतने गंभीर रहे कि कई इलाकों में दृश्यता बेहद कम दर्ज की गई, वहीं सांस लेना तक मुश्किल हो गया। दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) मंगलवार सुबह 381 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। कई इलाकों में तो यह आंकड़ा 400 के पार पहुंच गया, जिससे लोगों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है।
दिल्ली-एनसीआर में पहले से ही प्रदूषण की मार झेल रहे लोगों के लिए ठंड और कोहरे ने परेशानी और बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम की मौजूदा परिस्थितियां—कम हवा की गति, नमी और तापमान में गिरावट—प्रदूषकों को वातावरण में ही फंसा देती हैं, जिससे स्मॉग की स्थिति और भयावह हो जाती है।
मंगलवार सुबह दिल्ली की हवा: हालात बेहद गंभीर
एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम फॉर दिल्ली के अनुसार, मंगलवार सुबह राजधानी का औसत एक्यूआई 381 दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के सुबह सात बजे तक के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली के कई इलाकों में हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है।
दिल्ली के प्रमुख इलाकों में दर्ज एक्यूआई इस प्रकार रहा:
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चांदनी चौक: 438
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जहांगीरपुरी: 426
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मुंडका: 426
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वजीरपुर: 426
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डीटीयू: 425
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अशोक विहार: 410
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विवेक विहार: 411
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आनंद विहार: 406
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पंजाबी बाग: 405
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बवाना: 403
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आईटीओ: 402
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आरके पुरम: 397
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सोनिया विहार: 393
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द्वारका सेक्टर-8: 391
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रोहिणी: 356
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नजफगढ़: 348
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लोधी रोड: 341
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आया नगर: 339
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आईजीआई एयरपोर्ट टी-3: 323
इन आंकड़ों से साफ है कि दिल्ली का शायद ही कोई इलाका ऐसा बचा हो, जहां हवा सांस लेने लायक कही जा सके।
दृश्यता पर भी पड़ा असर
धुंध, कोहरे और स्मॉग की संयुक्त परत के कारण मंगलवार सुबह कई इलाकों में दृश्यता बेहद कम दर्ज की गई। सड़कों पर वाहन चालकों को हेडलाइट और फॉग लाइट जलाकर चलना पड़ा। सुबह के समय स्कूल जाने वाले बच्चों, दफ्तर जाने वाले कर्मचारियों और मॉर्निंग वॉक करने वालों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ा।
विशेषज्ञों का कहना है कि स्मॉग और कोहरे का यह मेल न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम भी बढ़ा देता है।
सोमवार को भी गंभीर बनी रही स्थिति
दिल्ली में वायु गुणवत्ता लगातार तीसरे दिन ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई। सोमवार को भी सुबह की शुरुआत धुंध और कोहरे से हुई थी और पूरे दिन आसमान में स्मॉग की मोटी परत छाई रही। इस कारण कई इलाकों में दृश्यता बेहद कम रही।
सोमवार को दिल्ली का औसत एक्यूआई 427 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। हालांकि यह रविवार की तुलना में 34 अंकों की गिरावट थी, लेकिन इसके बावजूद हालात बेहद चिंताजनक बने रहे।
जहरीली हवा से बचने के लिए लोग एन95 मास्क लगाए नजर आए। कई लोगों ने आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत की। खासतौर पर अस्थमा, हृदय रोग और बुजुर्ग मरीजों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा।
एनसीआर में भी हालात खराब, ग्रेटर नोएडा सबसे प्रदूषित
दिल्ली के साथ-साथ पूरे एनसीआर क्षेत्र में भी वायु गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है। सोमवार को ग्रेटर नोएडा की हवा सबसे अधिक प्रदूषित रही, जहां एक्यूआई 447 दर्ज किया गया। यह गंभीर श्रेणी में आता है।
अन्य एनसीआर शहरों में स्थिति इस प्रकार रही:
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गाजियाबाद: 444
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नोएडा: 437
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गुरुग्राम: 345
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फरीदाबाद: 211
फरीदाबाद की हवा एनसीआर में सबसे बेहतर रही, हालांकि 211 का एक्यूआई भी ‘खराब’ श्रेणी में ही आता है।
बारिश के बाद भी क्यों बिगड़ी हवा?
इस साल दिल्ली में मई से सितंबर के बीच सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई थी। इस कारण मानसून के दौरान राजधानी की हवा अपेक्षाकृत साफ रही। लंबे समय बाद लोगों ने नीला आसमान और साफ हवा देखी थी।
हालांकि, 14 अक्तूबर के बाद मानसून की विदाई के साथ ही प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ने लगा। तापमान में गिरावट, हवा की गति कम होना, पराली जलाने की घटनाएं, वाहनों का धुआं, निर्माण कार्य और धूल—इन सभी कारणों ने मिलकर दिल्ली-एनसीआर को एक बार फिर गैस चैंबर में बदल दिया।
रविवार शाम 5 बजे तक दिल्ली-एनसीआर की हवा में पीएम10 का स्तर 449.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम2.5 का औसत स्तर 297.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था। यह मानकों से लगभग साढ़े चार गुना अधिक है।
वायु प्रदूषण का शरीर पर असर
विशेषज्ञों के अनुसार, हवा में मौजूद प्रदूषकों को लंबे समय तक सांस के जरिए लेने से शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इससे कोशिकाओं में सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव, इम्यून सिस्टम का कमजोर होना और म्यूटाजेनिसिटी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
पीएम2.5 और पीएम10 जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों के भीतर गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और रक्त धारा में मिलकर हृदय, मस्तिष्क और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके कारण सांस की बीमारियां, हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर तक का खतरा बढ़ जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है असर
वायु प्रदूषण का असर केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध मानसिक स्वास्थ्य से भी है। कई अध्ययनों में सामने आया है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा के संपर्क में रहने से अवसाद, स्किजोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर और व्यक्तित्व विकारों का खतरा बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषित हवा मस्तिष्क में सूजन और न्यूरोकेमिकल असंतुलन पैदा कर सकती है, जिससे मानसिक रोगों की आशंका बढ़ती है।
इन गतिविधियों से करें परहेज
उच्च प्रदूषण स्तर के दौरान कुछ गतिविधियां स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकती हैं। विशेषज्ञों की सलाह है कि:
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खुले में व्यायाम, पार्क में योग, सड़क पर जॉगिंग से बचें
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व्यस्त सड़कों के पास समय बिताने से परहेज करें
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सुबह-शाम बाहर निकलने से बचें, जब प्रदूषण स्तर अधिक रहता है
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मास्क का इस्तेमाल करें, खासकर एन95 या एन99
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घरों में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें, यदि संभव हो
मौसम विभाग और प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक मौसम की स्थिति में बड़े बदलाव की संभावना कम है। जब तक तेज हवा या बारिश नहीं होती, तब तक प्रदूषण के स्तर में खास सुधार की उम्मीद नहीं की जा रही है।
दिल्ली के लिए यह स्थिति एक बार फिर गंभीर चेतावनी है कि वायु प्रदूषण अब मौसमी समस्या नहीं, बल्कि स्थायी संकट बन चुका है। जब तक ठोस नीतियां, सख्त नियम और सामूहिक प्रयास नहीं किए जाते, तब तक राजधानी की हवा यूं ही लोगों की सेहत से खिलवाड़ करती रहेगी।
दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्रदूषण अब केवल आंकड़ों की समस्या नहीं, बल्कि आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी और स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। कोहरा, धुंध और स्मॉग की यह मोटी चादर आने वाले दिनों में और भी खतरनाक रूप ले सकती है। ऐसे में सतर्कता, सावधानी और जागरूकता ही इस समय सबसे बड़ा बचाव है।