• December 25, 2025

नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार को राहत, राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से किया इनकार

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित राउज एवेन्यू कोर्ट से नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और गांधी परिवार के अन्य सदस्यों को मंगलवार को बड़ी राहत मिली। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर आरोपपत्र पर फिलहाल संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस के लिए कानूनी और राजनीतिक दोनों दृष्टि से अहम माना जा रहा है। हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में नामित आरोपी प्राथमिकी (एफआईआर) की प्रतिलिपि पाने के हकदार नहीं हैं।

इस फैसले के बाद कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। पार्टी ने इसे सत्य और न्याय की जीत बताते हुए राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई करार दिया है।

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?

नेशनल हेराल्ड मामला कांग्रेस पार्टी से जुड़े उस विवाद से जुड़ा है, जिसमें एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) और यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुए कथित वित्तीय लेनदेन की जांच की जा रही है। एजेएल वही कंपनी है, जो कभी कांग्रेस से जुड़े प्रतिष्ठित अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ का प्रकाशन करती थी।

प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस नेताओं से जुड़ी कंपनी यंग इंडियन के माध्यम से एजेएल की संपत्तियों का कथित रूप से गलत तरीके से अधिग्रहण किया गया। ईडी का दावा है कि इस पूरे लेनदेन में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े पहलू शामिल हैं। इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी प्रमुख आरोपी बताए गए हैं।

हालांकि, कांग्रेस लगातार इस आरोप को खारिज करती रही है और इसे राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बताती आई है।

कोर्ट का फैसला: ईडी के आरोपपत्र पर संज्ञान से इनकार

राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी द्वारा दाखिल किए गए आरोपपत्र पर तत्काल संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले में कुछ कानूनी प्रक्रियाओं का पालन आवश्यक है और मौजूदा परिस्थितियों में आरोपपत्र पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता।

हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अन्य आरोपी प्राथमिकी की प्रति पाने के अधिकारी नहीं हैं। इस टिप्पणी को लेकर कानूनी हलकों में चर्चा हो रही है, क्योंकि आम तौर पर आरोपी को एफआईआर की प्रति मिलती है, लेकिन इस मामले में अदालत ने अलग रुख अपनाया।

अदालत का यह आदेश ईडी के लिए एक झटका माना जा रहा है, जबकि कांग्रेस इसे अपनी दलीलों की पुष्टि के रूप में देख रही है।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया: ‘सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं’

कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेताओं ने इसे खुलकर स्वागतयोग्य कदम बताया। कांग्रेस नेता सुखदेव भगत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“मैं समझता हूं कि एक कहावत है—सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं। यह फैसला बहुत ही स्वागत योग्य है। निश्चित रूप से यह सत्य की जीत है। मैं कहूंगा—सत्यमेव जयते।”

उन्होंने आगे कहा कि यह मामला शुरू से ही राजनीतिक द्वेष के तहत बनाया गया था और अब अदालत के फैसले से यह स्पष्ट हो रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ लगाए गए आरोप टिकाऊ नहीं हैं।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को डराने और बदनाम करने के लिए कर रही है, लेकिन न्यायपालिका निष्पक्षता के साथ काम कर रही है।

राजनीतिक दृष्टि से क्यों अहम है यह फैसला?

नेशनल हेराल्ड मामला पिछले कई वर्षों से कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक टकराव का बड़ा मुद्दा रहा है। भाजपा लगातार गांधी परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रही है, जबकि कांग्रेस इसे राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताती है।

राउज एवेन्यू कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब देश में राजनीतिक माहौल पहले से ही गरम है और आने वाले समय में चुनावी गतिविधियां तेज होने वाली हैं। ऐसे में अदालत से मिली राहत को कांग्रेस अपने पक्ष में नैतिक जीत के रूप में पेश कर सकती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस आदेश से कांग्रेस को यह कहने का मौका मिला है कि उसके शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ लगाए गए आरोप न्यायिक जांच में कमजोर साबित हो रहे हैं।

ईडी के आरोप और कांग्रेस का बचाव

ईडी का कहना है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के जरिए एजेएल की संपत्तियों का कथित तौर पर अनुचित तरीके से हस्तांतरण किया गया और यह मनी लॉन्ड्रिंग कानून के दायरे में आता है। एजेंसी का दावा है कि उसने पर्याप्त दस्तावेज और सबूत अदालत के सामने रखे हैं।

वहीं, कांग्रेस का कहना है कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी कंपनी है और इसमें किसी प्रकार का व्यक्तिगत लाभ नहीं उठाया गया। पार्टी का यह भी तर्क है कि जिस लेनदेन की बात की जा रही है, उसमें न तो कोई नकद लेनदेन हुआ और न ही किसी को निजी आर्थिक लाभ मिला।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह पूरा मामला कानूनी से ज्यादा राजनीतिक है और इसका उद्देश्य केवल गांधी परिवार को निशाना बनाना है।

राउज एवेन्यू कोर्ट का यह आदेश नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण राहत के रूप में देखा जा रहा है। ईडी के आरोपपत्र पर संज्ञान न लेना कांग्रेस के उस तर्क को बल देता है कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है।

हालांकि, कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और आगे अदालतों में इस मामले पर सुनवाई जारी रहेगी। फिलहाल, कांग्रेस इस फैसले को ‘सत्य की जीत’ बताकर जश्न के मूड में नजर आ रही है, जबकि ईडी के अगले कदम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

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