संयुक्त राष्ट्र का दोहरा रुख: शेख हसीना की फांसी की सजा पर ‘पीड़ितों के लिए महत्वपूर्ण’ तो कहा, लेकिन मृत्युदंड पर खेद
18 नवंबर 2025, जिनेवा: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया ने बहस छेड़ दी है। अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने हसीना को 2024 के छात्र आंदोलन पर क्रूर दमन के लिए दोषी ठहराया, लेकिन UN ने फैसले को पीड़ितों के लिए ‘महत्वपूर्ण क्षण’ तो बताया, वहीं मृत्युदंड पर खेद जताया। क्या यह न्याय की जीत है या राजनीतिक बदला? हसीना ने फैसले को ‘पक्षपाती’ करार दिया, जबकि यूनुस सरकार ने इसे ‘ऐतिहासिक’ कहा। भारत में निर्वासित हसीना का क्या होगा? और UN का यह ‘डबल स्टैंडर्ड’ कैसे बांग्लादेश के भविष्य को प्रभावित करेगा? इस लेख में हम जानेंगे UN के बयान की परतें, ट्रिब्यूनल के फैसले और वैश्विक प्रतिक्रियाओं को।
ट्रिब्यूनल का फैसला: अनुपस्थिति में फांसी, 1400 मौतों का बदला
17 नवंबर को ढाका के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को ‘मानवता के खिलाफ अपराधों’ के लिए फांसी की सजा सुनाई, जो उनकी अनुपस्थिति में हुई। जजों ने कहा कि हसीना ने 2024 के जुलाई-अगस्त प्रदर्शनों पर दमन का आदेश दिया, जिसमें 1,400 से ज्यादा मौतें हुईं—ज्यादातर सुरक्षाबलों की गोलीबारी से। पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी फांसी, पूर्व पुलिस प्रमुख को 5 साल की सजा। UN मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट ने 15 जुलाई से 15 अगस्त तक 1,400 मौतों का अनुमान लगाया। हसीना ने फैसले को ‘जनादेश-रहित सरकार की साजिश’ बताया, कहा कि ट्रिब्यूनल चरमपंथियों का कठपुतली है। यूनुस सरकार ने इसे ‘ऐतिहासिक न्याय’ कहा, लेकिन शांति की अपील की। ट्रायल हसीना द्वारा ही स्थापित ट्रिब्यूनल पर चला, जिसे आलोचक राजनीतिक हथियार मानते हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि यह फेयर ट्रायल स्टैंडर्ड्स से कम था। हसीना को 30 दिनों में सरेंडर करने या गिरफ्तारी पर अपील का मौका, वरना सजा अंतिम। यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है।
UN का बयान: न्याय की सराहना, लेकिन मृत्युदंड पर विरोध
UN मानवाधिकार प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने जिनेवा में कहा, “हसीना और पूर्व गृह मंत्री के खिलाफ फैसला पीड़ितों के लिए महत्वपूर्ण क्षण है। हमने हमेशा कमांड पोजीशन वालों को अंतरराष्ट्रीय मानकों से जवाबदेह ठहराने की मांग की।” लेकिन उन्होंने जोड़ा, “मृत्युदंड लागू करने पर खेद है, जिसका हम सभी परिस्थितियों में विरोध करते हैं।” महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “गुटेरेस मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क से सहमत हैं कि मृत्युदंड का इस्तेमाल किसी भी स्थिति में गलत है।” UN ने ट्रायल को ‘इन एब्सेंटिया’ होने पर चिंता जताई, कहा कि फेयर ट्रायल स्टैंडर्ड्स पूरी तरह पालने चाहिए। यह बयान डबल स्टैंडर्ड का आरोप लगाने वालों के लिए ईंधन है—न्याय की तारीफ लेकिन सजा का विरोध। UN ने पीड़ितों के लिए मुआवजा और उपचार की मांग की। यह प्रतिक्रिया बांग्लादेश में तनाव बढ़ा रही, जहां हसीना समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं।
वैश्विक प्रतिक्रियाएं: भारत का सतर्क रुख, बांग्लादेश में तनाव
फैसले के बाद यूनुस सरकार ने भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग दोहराई, लेकिन भारत के MEA ने कहा, “फैसले को नोट किया, बांग्लादेश के लोगों के हित में प्रतिबद्ध। शांति, लोकतंत्र और स्थिरता के लिए संवाद जारी रखेंगे।” हसीना अगस्त 2024 से भारत में निर्वासित हैं, जहां उनकी 15 साल की सत्ता विकास के साथ दमन से जुड़ी। UN का बयान अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बांग्लादेश पर नजर रखने को कहता है। हसीना के बेटे साजीब वाजेद ने चुनाव बहिष्कार की धमकी दी। ढाका में सुरक्षा कड़ी, लेकिन हिंसा की आशंका। विशेषज्ञ कहते हैं, यह फैसला यूनुस के शासन को मजबूत करेगा, लेकिन राजनीतिक विभाजन बढ़ाएगा। UN का रुख न्याय को बढ़ावा देता है, लेकिन मृत्युदंड विरोध से वैश्विक दबाव बनेगा। क्या हसीना का प्रत्यर्पण होगा? या बांग्लादेश और अस्थिर होगा? आने वाले दिन जवाब देंगे।