योगी का ऐलान: यूपी के हर स्कूल में अनिवार्य होगा ‘वंदे मातरम’ का गायन, राष्ट्रप्रेम जगाने का दावा
10 नवंबर 2025, गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जो शिक्षा और राष्ट्रवाद को जोड़ने का वादा करता है। ‘एकता यात्रा’ कार्यक्रम में उन्होंने ऐलान किया कि राज्य के सभी स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में ‘वंदे मातरम’ का सामूहिक गायन अनिवार्य होगा। इसका मकसद हर नागरिक में भारत माता के प्रति सम्मान जगाना बताया गया। लेकिन क्या यह कदम वाकई एकता का प्रतीक बनेगा? या फिर राजनीतिक विवादों का नया दौर शुरू करेगा? सरदार पटेल की जयंती पर शुरू हुई यह पहल राष्ट्रीय एकता दिवस से जुड़ी है, जहां PM मोदी के वंदे मातरम पर बयान के बाद हलचल मची। योगी ने विभाजनकारी ताकतों पर निशाना साधा। इस लेख में हम जानेंगे घोषणा की पूरी कहानी, इसका पृष्ठभूमि और संभावित असर।
घोषणा का क्षण: एकता यात्रा में योगी का राष्ट्रवाद का संदेश
9 नवंबर को गोरखपुर में ‘एकता यात्रा’ और ‘वंदे मातरम’ सामूहिक गायन कार्यक्रम के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा, “राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए। हम उत्तर प्रदेश के हर स्कूल और शैक्षणिक संस्थान में इसका गायन अनिवार्य करेंगे, ताकि हर नागरिक भारत माता और मातृभूमि के प्रति श्रद्धा से भर जाए।” यह ऐलान सरदार वल्लभभाई पटेल के 150वें जन्म वर्षगांठ पर हुआ, जहां 30 अक्टूबर को ‘रन फॉर यूनिटी’ का जिक्र किया। योगी ने BJP और सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों का उल्लेख किया—स्वदेशी, आत्मनिर्भरता और एकता पर जनजागरण। उन्होंने कहा, “सरदार पटेल को चर्चाओं का हिस्सा बनाएं।” यह कदम PM मोदी के हालिया बयान से जुड़ा, जहां उन्होंने 1937 में गीत के कुछ छंद हटाने को विभाजन का बीज बताया। योगी ने जोर दिया कि वंदे मातरम का विरोध ही देश के बंटवारे का कारण था। कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल हुए, जो राष्ट्रप्रेम का प्रतीक बना। लेकिन विपक्ष ने इसे सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया। यह घोषणा यूपी के 2.5 लाख से ज्यादा स्कूलों को प्रभावित करेगी, जहां मॉर्निंग असेंबली में गायन शुरू हो सकता है।
ऐलान का मकसद: एकता दिवस से प्रेरित, विभाजनकारी ताकतों पर चेतावनी
योगी ने स्पष्ट किया कि यह कदम राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का है। उन्होंने कहा, “जाति, क्षेत्र, भाषा के नाम पर बांटने वाली ताकतों को पहचानें। नया जिन्ना न पैदा हो, इसके लिए विभाजनकारी मंसूबों को कुचलना होगा।” वंदे मातरम को 1896-1922 तक कांग्रेस सेशन्स में गाया जाता था, लेकिन 1923 में मोहम्मद अली जौहर के विरोध के बाद विवाद बढ़ा। योगी ने इसे ऐतिहासिक संदर्भ से जोड़ा, कहा कि गीत का सार्वजनिक गायन स्कूलों में जरूरी है। यह फैसला राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्टूबर) पर ‘रन फॉर यूनिटी’ से प्रेरित है, जहां पटेल की एकीकरण भूमिका को याद किया गया। योगी ने जनजागरण अभियान का जिक्र किया, जो देशभर में चल रहा। विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी—कांग्रेस ने इसे ‘सांप्रदायिक उन्माद’ बताया, जबकि SP ने कहा कि शिक्षा पर फोकस बजट और सुविधाओं पर होना चाहिए। लेकिन BJP समर्थकों ने इसे सकारात्मक कदम माना, जो युवाओं में देशभक्ति जगाएगा। यूपी सरकार जल्द दिशानिर्देश जारी करेगी, जिसमें गायन की फ्रीक्वेंसी और तरीका तय होगा। यह कदम यूपी के अलावा अन्य राज्यों में बहस छेड़ सकता है।
संभावित असर: शिक्षा में राष्ट्रवाद, लेकिन विवादों का बादल
यह ऐलान यूपी की शिक्षा व्यवस्था को नया आयाम देगा, जहां 2.5 करोड़ छात्र प्रभावित होंगे। योगी ने कहा, “वंदे मातरम का विरोध ही भारत विभाजन का कारण था।” इससे स्कूलों में साप्ताहिक या दैनिक गायन अनिवार्य हो सकता है, जो बच्चों में सम्मान की भावना जगाएगा। लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि जबरन लागू करने से धार्मिक संवेदनशीलता प्रभावित हो सकती है। PM मोदी के वंदे मातरम पर बयान के बाद कांग्रेस ने माफी मांगी, रवीश कुमार ने गांधी के हवाले से बचाव किया। योगी का यह कदम BJP की राष्ट्रवादी एजेंडे को मजबूत करेगा, खासकर 2027 यूपी चुनाव से पहले। शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि इससे एकता मजबूत होगी। लेकिन अल्पसंख्यक संगठनों ने विरोध जताया, कहा कि यह संविधान की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ। आने वाले दिनों में दिशानिर्देश जारी होंगे, जो अमल की कुंजी होंगे। कुल मिलाकर, यह फैसला राष्ट्रप्रेम को बढ़ावा देगा या विवाद, समय बताएगा।