• December 25, 2025

शेख हसीना का धमाका: छात्र आंदोलन था विदेशी साजिश, अमेरिका-पाकिस्तान पर लगाए गंभीर आरोप

2 नवंबर 2025, नई दिल्ली: बांग्लादेश की बेदखली के 15 महीने बाद शेख हसीना ने चुप्पी तोड़ी। छात्र आंदोलन को ‘आतंकी हमला’ ठहराते हुए उन्होंने अमेरिका और पाकिस्तान पर साजिश का इल्जाम लगाया। क्या यह सत्ता हथियाने की विदेशी चाल थी? या हसीना की हार का बहाना? जुलाई-अगस्त 2024 की वह हिंसा, जिसमें 1,400 से ज्यादा मौतें हुईं, अब नई बहस का केंद्र। मोहम्मद यूनुस पर भी उंगली उठाई। भारत में शरण लिए हसीना का यह बयान बांग्लादेश की राजनीति को फिर हिला देगा। आइए, इस षड्यंत्र की परतें खोलें, जहां हर आरोप एक नई आग भड़का सकता है।

चुप्पी टूटी: छात्र आंदोलन को आतंकी हमला ठहराया

महीनों की खामोशी के बाद शेख हसीना ने ‘द प्रिंट’ को इंटरव्यू दिया। उन्होंने कहा, “इसे क्रांति मत कहो, यह बांग्लादेश पर आतंकी हमला था।” जुलाई-अगस्त 2024 का छात्र आंदोलन, जो नौकरी कोटे के खिलाफ शुरू हुआ, हसीना के मुताबिक अमेरिका ने प्लान किया और पाकिस्तान ने अंजाम दिया। “छात्रों को आगे रखकर मुझे हटाने की साजिश रची गई। हत्याएं पुलिस ने नहीं, आतंकियों ने कीं ताकि जनता भड़के।” 5 अगस्त 2024 को सेना प्रमुख की सलाह पर हसीना ढाका से भारत भागीं। अब भारत में सुरक्षित सरकारी आवास में रह रही हैं। यह बयान अवामी लीग के समर्थकों को हौसला देगा, लेकिन अंतरिम सरकार के लिए चुनौती। क्या यह दावा बांग्लादेश की स्थिरता को फिर डिगा देगा?

मोहम्मद यूनुस पर सीधा हमला: सेंट मार्टिन द्वीप की जंग

हसीना ने नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सूत्रधार ठहराया। “यूनुस ने अमेरिकियों के इशारे पर साजिश रची, फंडिंग की और हमला करवाया। वह धोखेबाज है, जिसने महत्वाकांक्षा के लिए देश बेचा।” आरोप है कि अमेरिका बंगाल की खाड़ी के रणनीतिक सेंट मार्टिन द्वीप चाहता था। “अगर मैं मान जाती, तो सत्ता नहीं छिनती। लेकिन देश नहीं बेचा।” यूनुस अब अंतरिम सरकार चला रहे हैं, जिन्होंने अवामी लीग पर रोक लगाई। मई 2025 में पार्टी का पंजीकरण रद्द, हसीना पर हत्या के 152 मुकदमे। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में मौत की सजा की मांग। हसीना इसे ‘राजनीतिक नाटक’ बता रही हैं। यूनुस के समर्थक इसे बदले की भावना कहते हैं। यह आरोप बांग्लादेश-अमेरिका रिश्तों को तनाव दे सकता है।

पाकिस्तान का काला अध्याय: 1971 से चली साजिश की जड़ें

हसीना ने पाकिस्तान को भी बख्शा नहीं। “पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां चरमपंथी नेटवर्क को फंड करती रहीं। 1971 से हस्तक्षेप जारी है।” जुलाई 2024 की हिंसा में कट्टर संगठनों को सक्रिय करने का इल्जाम। दिसंबर 2025 में चुनाव आयोग तारीखें घोषित करेगा, फरवरी 2026 तक वोटिंग। लेकिन हसीना के समर्थक वोट बहिष्कार की धमकी दे रहे। अमेरिका-यूरोपीय संघ ने हिंसा पर चिंता जताई, लेकिन हस्तक्षेप से इनकार। भारत ने ‘आंतरिक मामला’ कहा, लेकिन कूटनीतिक समर्थन दे रहा। हसीना के 15 सालों में आर्थिक उछाल आया, लेकिन दमन की आलोचना भी। अब क्या होगा—लोकतंत्र बहाल या नई अस्थिरता? यह बयान बांग्लादेश की सियासत को नया मोड़ देगा।
Digiqole Ad

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *