आजम खान का बयान: सपा में टकराव या स्वास्थ्य की चिंता?
अजमेर, 25 अक्टूबर 2025: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान का हालिया बयान बिहार चुनावों से पहले चर्चा का विषय बन गया है। सपा के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल होने के बावजूद उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से प्रचार में हिस्सा लेने पर असमर्थता जताई। इस बयान ने सपा के भीतर और बाहर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य की बात है, या पार्टी में कुछ और चल रहा है? उनके बयानों में अखिलेश यादव और बिहार चुनाव को लेकर दिए गए संकेतों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। आइए, इस घटनाक्रम को तीन हिस्सों में समझते हैं।
आजम खान का स्वास्थ्य और प्रचार पर सवालसमाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान ने अजमेर में शनिवार को कहा, “मेरा स्वास्थ्य पहले ठीक हो, तबीयत ठीक नहीं है।” बिहार चुनावों के लिए सपा की स्टार प्रचारकों की सूची में उनका नाम शामिल होने के बावजूद, इस बयान ने संकेत दिया कि वह प्रचार में शायद ही हिस्सा लें। बिहार में चुनाव का समय नजदीक है, और आजम का यह रुख सपा के लिए रणनीतिक चुनौती पेश कर सकता है। उनके इस बयान ने NDA नेताओं को सवाल उठाने का मौका दिया, जो पहले से ही उनके स्टार प्रचारक बनाए जाने पर तंज कस रहे हैं। आजम ने BJP के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “जाहिर है, एक चोर का नाम लिस्ट में नहीं होना चाहिए,” जो उनके खिलाफ लगे पुराने आरोपों की ओर इशारा था। यह बयान सपा के भीतर एकता पर सवाल उठा रहा है।
अखिलेश से नाराजगी की अटकलें
पिछले कुछ समय से आजम खान और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच तनाव की खबरें सुर्खियों में रही हैं। हालांकि, दोनों नेताओं ने इन अटकलों को खारिज किया है, लेकिन आजम का ताजा बयान इन चर्चाओं को फिर हवा दे रहा है। अखिलेश के बयान पर कि 2027 में यूपी में सपा की सरकार बनेगी, आजम ने कहा, “राष्ट्रीय अध्यक्ष के तजुर्बे मुझसे कहीं ज्यादा हैं। हमें तो ऐसी खबरों से इत्मीनान मिलता है।” यह जवाब तारीफ के साथ-साथ सूक्ष्म व्यंग्य का संकेत देता है। आजम के जेल से रिहा होने के बाद उनके स्टार प्रचारक बनाए जाने पर NDA ने सवाल उठाए, जिसका जवाब देते हुए आजम ने अपनी बात बेबाकी से रखी। उनके इस रुख ने सपा के भीतर नेतृत्व और रणनीति पर चर्चा को और तेज कर दिया है।
बिहार चुनाव और तेजस्वी पर टिप्पणी
आजम खान ने बिहार में महागठबंधन के सीएम चेहरे तेजस्वी यादव को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर अलायंस ने तेजस्वी को सीएम चेहरा बनाया है, तो यह सभी को मान्य होना चाहिए। चिराग पासवान के बयान पर कि तेजस्वी को मुस्लिम वोट बैंक के लिए चुना गया, आजम ने तीखा जवाब दिया, “क्या मुसलमानों को समंदर में फेंक देना चाहिए?” यह बयान उनके पुराने अंदाज को दर्शाता है, जिसमें वह सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से बोलते हैं। आजम का यह रुख बिहार चुनाव में सपा की रणनीति और उनकी अपनी भूमिका पर सवाल उठाता है। उनके स्वास्थ्य और पार्टी में स्थिति को लेकर अनिश्चितता ने सपा के समर्थकों को सोच में डाल दिया है। क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य की बात है, या सपा में सबकुछ ठीक नहीं है?