माता-पिता की उपेक्षा पर सैलरी कट: तेलंगाना में नया कानून, क्या होगा असर?
हैदराबाद, 19 अक्टूबर 2025: तेलंगाना में परिवारिक जिम्मेदारियों को मजबूत करने की दिशा में एक नया कदम उठने वाला है। मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने शनिवार को घोषणा की कि राज्य सरकार सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सख्त कानून लाने की तैयारी कर रही है, जो माता-पिता की अनदेखी पर उनके वेतन में कटौती का प्रावधान करेगा। यह प्रस्ताव नई भर्ती के ग्रुप-II कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र सौंपते हुए दिया गया। रेड्डी ने कहा कि यह कानून न केवल वृद्धाश्रमों में बढ़ते मामलों को रोकने का प्रयास है, बल्कि पारिवारिक बंधनों को मजबूत करेगा। लेकिन क्या यह कदम वाकई प्रभावी साबित होगा, या सिर्फ एक राजनीतिक बयानबाजी? आइए, इस प्रस्तावित कानून की पूरी कहानी को तीन हिस्सों में समझते हैं।
मुख्यमंत्री का बयान: कानून का खाका
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने हैदराबाद में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “हम एक कानून ला रहे हैं। अगर कोई सरकारी कर्मचारी अपने माता-पिता की उपेक्षा करता है, तो उसके वेतन का 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा काटकर माता-पिता के बैंक खाते में जमा कर दिया जाएगा।” उन्होंने नई भर्ती के ग्रुप-II कर्मचारियों से अपील की कि वे खुद इस कानून का मसौदा तैयार करें। रेड्डी ने मुख्य सचिव रामकृष्ण राव को अधिकारियों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया, ताकि कानून जल्द तैयार हो सके। उनका कहना था, “जिस तरह आपको मासिक वेतन मिलता है, उसी तरह माता-पिता को भी इससे मासिक आय मिलेगी।” यह घोषणा राज्य में बढ़ते बुजुर्ग उपेक्षा के मामलों को ध्यान में रखते हुए की गई, जहां कई परिवारों में बच्चे माता-पिता को घर से निकाल देते हैं। रेड्डी ने जोर दिया कि यह कदम ‘तेलंगाना राइजिंग 2047’ विजन का हिस्सा है।
कर्मचारियों को संदेश: दयालुता और जिम्मेदारी
नियुक्ति पत्र सौंपने से पहले सभा में रेड्डी ने नवचयनित ग्रुप-II कर्मचारियों से कहा कि वे उन लोगों के प्रति दयालु रहें, जो समस्याएं लेकर आते हैं। उन्होंने पूर्व बीआरएस सरकार की आलोचना की, जो 10 वर्षों में ग्रुप-I और II की अधिसूचनाएं जारी नहीं कर पाई, जिससे बेरोजगारी बढ़ी। रेड्डी ने कहा कि वर्तमान सरकार ने टीजीपीएससी को यूपीएससी की तर्ज पर पारदर्शी बनाया है। कानून के संदर्भ में, उन्होंने कर्मचारियों को चेतावनी दी कि माता-पिता की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं होगी। यह प्रस्ताव उन सैकड़ों मामलों से प्रेरित है, जहां सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद बच्चे माता-पिता को भूल जाते हैं। रेड्डी ने जोर दिया कि अधिकारी राज्य के विकास में योगदान दें, लेकिन परिवारिक कर्तव्यों से समझौता न करें। जल्द ही ग्रुप-III और IV के 11,000 नियुक्तियां भी होंगी।
माता-पिता को लाभ: न्याय और सुखमय जीवन
अगर यह कानून पारित हो जाता है, तो उपेक्षित माता-पिता को सीधा वित्तीय समर्थन मिलेगा, जो उनके जीवन को बदल सकता है। कई मामलों में बच्चे माता-पिता को घर से निकाल देते हैं, खाना-पानी नहीं देते या फिर शारीरिक अत्याचार करते हैं। इस कानून से ऐसे मामलों पर लगाम लगेगी, क्योंकि वेतन कटौती की धमकी से कर्मचारी जिम्मेदार बनेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम बुजुर्गों के लिए वृद्धावस्था पेंशन से अलग एक मजबूत सुरक्षा कवच बनेगा। हालांकि, चुनौतियां भी हैं, जैसे शिकायतों की जांच कैसे होगी और क्या निजी क्षेत्र पर भी लागू होगा? फिर भी, यह कानून पारिवारिक मूल्यों को पुनर्जीवित कर सकता है, ताकि माता-पिता का जीवन सुखमय हो। तेलंगाना सरकार का यह प्रयास अन्य राज्यों के लिए मिसाल बन सकता है।
