जौनपुर की दरगाह पर गंगा-जमुनी एकता: प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य के लिए चादर चढ़ाई, दुआओं का सैलाब
जौनपुर, 17 अक्टूबर 2025: उत्तर प्रदेश के जौनपुर शहर में शुक्रवार की शाम एक ऐसा नजारा दिखा, जो सांप्रदायिक सद्भाव की अनोखी मिसाल बन गया। प्राचीन दरगाह हजरत हमजा चिश्ती पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एक हिंदू संत के लिए चादर चढ़ाई और दुआ मांगी। वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज किशोरी जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना में यह आयोजन हुआ, जो देश भर में फैली उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है। लेकिन यह सिर्फ एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि इंसानियत की जीत का प्रतीक है। आखिर क्यों लाखों लोग, चाहे किसी भी धर्म के, संत की दीर्घायु के लिए हाथ उठा रहे हैं? और जौनपुर की यह सरजमीं कैसे सदियों से प्रेम और भाईचारे का संदेश देती आई है? आइए, इस हृदयस्पर्शी घटना की परतें खोलते हैं, जो समाज को एकजुट करने वाली शक्ति को उजागर करती है।
दरगाह पर चादरपोशी: संत के स्वास्थ्य के लिए मुस्लिम भाईयों का भावुक संदेश
जौनपुर की प्रसिद्ध दरगाह हजरत हमजा चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह पर शुक्रवार शाम को मुस्लिम समुदाय के श्रद्धालुओं ने एकजुट होकर वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज किशोरी जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ और दीर्घायु की दुआ मांगी। चादर चढ़ाने का यह अनुष्ठान न केवल धार्मिक महत्व रखता था, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी बन गया। अरशद कुरैशी, पूर्व अध्यक्ष मरकजी सीरत कमेटी जौनपुर, ने बताया कि यह आयोजन प्रेमानंद महाराज के मानवता और इंसानियत के पैगाम को सम्मान देने का माध्यम था। “शिराज-ए-हिंद जौनपुर हमेशा से गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल रहा है। यहां हर धर्म के लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं,” उन्होंने कहा। दरगाह परिसर में उपस्थित लोगों ने संत के जीवन को सभी के लिए प्रेरणा बताया, जो सदैव समाज को जोड़ने का काम करते रहे हैं। यह घटना मथुरा पुलिस के 9 अक्टूबर के स्पष्टीकरण के बाद भी हुई, जब उन्होंने महाराज की तबीयत ठीक होने की पुष्टि की थी और अफवाहों पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी। फिर भी, भक्तों का स्नेह थमने का नाम नहीं ले रहा। स्थानीय लोग इस चादरपोशी को इंसानियत की जीत बता रहे हैं, जो देश के अन्य हिस्सों जैसे लखनऊ की दादा मियां दरगाह में हुई समान घटनाओं से प्रेरित लगती है। कुल मिलाकर, यह पल समाज को याद दिलाता है कि संत का संदेश सीमाओं से परे है।
प्रेमानंद महाराज का योगदान: मानवता का पुल जोड़ने वाले संत
प्रेमानंद महाराज किशोरी जी का नाम वृंदावन से जुड़ा है, जहां वे राधावल्लभ संप्रदाय के प्रमुख संत हैं। उनका जीवन सादगी, आध्यात्मिकता और सेवा का प्रतीक रहा है। वे सत्संगों के माध्यम से गीता और भक्ति के संदेश फैलाते हैं, बिना किसी भेदभाव के। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने दरगाह पर कहा कि महाराज सदैव मानवता और इंसानियत का पैगाम देते रहे हैं। अरशद कुरैशी ने जोर देकर कहा, “उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणा है। धर्म कोई दीवार नहीं, बल्कि प्रेम का पुल है।” यह दुआ उनकी कुशलता के लिए ही नहीं, बल्कि उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी थी। हाल ही में स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने 2 अक्टूबर से अपनी रात्रि पदयात्रा अस्थायी रूप से रोक दी थी, जिससे देशभर में भक्त चिंतित हो गए। लखनऊ, प्रयागराज और यहां तक कि मदीना शरीफ तक से दुआएं आ रही हैं। जौनपुर में यह चादरपोशी उसी श्रृंखला का हिस्सा बनी, जहां हिंदू-मुस्लिम एकता की झलक दिखी। दरगाह पर खादिम शमशेर कुरैशी, विशाल खत्री, अमन कुरैशी सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे, जिन्होंने ईश्वर से संत की लंबी आयु की प्रार्थना की। यह घटना संत की लोकप्रियता को दर्शाती है, जो सेलिब्रिटी से लेकर आम आदमी तक सबको जोड़ती है। उनकी शिक्षाएं भ्रष्टाचार-मुक्त राजनीति और युवाओं को प्रेरित करने पर केंद्रित रहती हैं। जौनपुर की यह सरजमीं, जो शिराज-ए-हिंद के नाम से जानी जाती है, ने एक बार फिर साबित किया कि सच्चा भाईचारा धर्म से ऊपर है।
सामाजिक सद्भाव की मिसाल: दुआओं से मजबूत होता एकता का बंधन
इस चादरपोशी ने जौनपुर को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया, जहां गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल देखने को मिली। दरगाह पर उपस्थित सभी ने प्रेमानंद महाराज के शीघ्र स्वस्थ होने और समाज में प्रेम, एकता व सेवा का संदेश फैलाने की कामना की। अरशद कुरैशी ने कहा कि यह दुआ संदेश को मजबूत करती है कि धर्म विभाजन नहीं, बल्कि जोड़ने का माध्यम है। कार्यक्रम के बाद स्थानीय श्रद्धालुओं ने बताया कि संत जैसे व्यक्तित्व समाज को नफरत की खाई पर पुल बनाने में मदद करते हैं। यह घटना लखनऊ की दादा मियां दरगाह में हुई समान प्रार्थनाओं से जुड़ती है, जहां सपा नेता मोहम्मद अखलाक ने भी चादर चढ़ाई थी। वहां मुस्लिम भाइयों ने संत की तस्वीरें हाथ में थामकर दुआ मांगी, जो वायरल हो गई। जौनपुर में भी माहौल भावुक था, जहां सभी ने एक स्वर में प्रार्थना की। मथुरा पुलिस के स्पष्टीकरण के बावजूद यह स्नेह दर्शाता है कि भक्तों का विश्वास अटल है। भविष्य में ऐसी घटनाएं सामाजिक सद्भाव को और मजबूत करेंगी। जौनपुर की यह पहल पूरे देश के लिए प्रेरणा बनेगी, जहां धर्म के नाम पर बंटवारे के बजाय एकता का संदेश फैलेगा। कुल मिलाकर, यह दुआ का सैलाब संत के मिशन को अमर बनाएगा।
