‘रामपुर की सरजमीं पर पुश्तैनी हक’: सपा सांसद नदवी का आजम खान पर तीखा प्रहार
रामपुर, 10 अक्टूबर 2025: समाजवादी पार्टी के रामपुर सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने वरिष्ठ नेता आजम खान पर जोरदार हमला बोला है, दावा किया कि रामपुर आने से कोई उन्हें रोक नहीं सकता। नदवी ने अपनी पुश्तैनी जड़ों का हवाला देते हुए कहा कि उनकी सात पीढ़ियों की कब्रें यहीं हैं, जबकि आजम के दादा बिजनौर से आए थे। यह बयान आजम की ओर से लगातार तंजों के जवाब में आया, जो लोकसभा टिकट विवाद से उपजा है। अखिलेश यादव की मध्यस्थता की कोशिश नाकाम रही, जब उन्होंने वन-टू-वन मुलाकात की शर्त पर नदवी को रास्ते में ही छोड़ दिया। सपा के अंदर यह खुली जंग पार्टी की एकजुटता पर सवाल खड़ी कर रही है। आइए, इस सियासी तनाव की पूरी परतें खोलते हैं।
पुश्तैनी जड़ों का दावा: नदवी का जोरदार जवाब
रामपुर लोकसभा सीट से सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने आजम खान के तंजों का मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि रामपुर की सरजमीं पर उनकी गहरी जड़ें हैं। “मेरी सात पुश्तों की कब्रें यहां दफन हैं, जबकि आजम खान के दादा बिजनौर से यहां आए थे। रामपुर में कोई ऐसा पैदा नहीं हुआ जो मुझे यहां आने से रोक सके,” नदवी ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने जोड़ा कि रामपुर की जनता ने उन्हें चुना है, और जो कोई उन्हें अनदेखा करने की कोशिश करेगा, उसे जनता का जवाब मिलेगा। यह बयान सपा के अंदर तुर्क और पठान समुदायों की पुरानी रंजिश को उजागर करता है, जहां नदवी तुर्क समुदाय से हैं। नदवी ने साफ शब्दों में कहा कि वे अवाम के बीच रहेंगे और किसी के दबाव में नहीं झुकेंगे। यह हमला न केवल व्यक्तिगत है, बल्कि सपा की आंतरिक राजनीति को नई दिशा दे सकता है।
सब्र का बांध टूटा: आजम के तंजों से भड़के नदवी
मोहिबुल्लाह नदवी का यह तीखा बयान आजम खान के बार-बार कसे तंजों का नतीजा है। नदवी ने कहा, “मैंने लंबे समय तक सब्र किया, लेकिन आजम खान ने सब्र का पैमाना तोड़ दिया।” उन्होंने जेल से रिहाई के बाद आजम से मुलाकात की कोशिश की, यहां तक कि अब्दुल्ला आजम को फोन भी किया, लेकिन न तो आजम ने समय दिया और न ही फोन उठाया। नदवी ने कुरान का हवाला देते हुए चेतावनी दी कि “जो शख्स दूसरों पर तंज कसे, वह बर्बाद हो जाता है।” यह विवाद लोकसभा चुनाव में नदवी को टिकट दिए जाने से शुरू हुआ, जब आजम इसके खिलाफ थे। नदवी ने पहले भी आजम पर तंज कसे थे, जैसे “सुधार गृह में हैं, उम्मीद है सुधरकर बाहर आएंगे।” आजम ने नदवी को “पहचानने से इनकार” कर दिया, कहा कि वे रामपुर सांसद से वाकिफ नहीं। यह आपसी नफरत सपा के मुस्लिम वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है।
मध्यस्थता की नाकामी: अखिलेश की कोशिश बेकार
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने दोनों नेताओं के बीच सुलह कराने की पूरी कोशिश की, लेकिन यह नाकाम रही। बुधवार को अखिलेश रामपुर पहुंचे, लेकिन आजम ने वन-टू-वन मुलाकात की शर्त रखी और किसी तीसरे को साथ न लाने को कहा। नतीजतन, अखिलेश ने नदवी को बरेली में ही छोड़ दिया और अकेले आजम से मिले। बंद कमरे में दो घंटे तक चली इस बातचीत का कोई खुलासा नहीं हुआ। अखिलेश ने बाहर आकर आजम को “पार्टी का दरख्त” बताया, लेकिन नदवी की मौजूदगी से बचने का यह कदम पार्टी में नया विवाद खड़ा कर गया। आजम की नाराजगी टिकट विवाद से जुड़ी है, जहां उन्होंने अखिलेश को चुनाव लड़ाने की सलाह दी थी, लेकिन नदवी को चुना गया। यह घटना सपा की आंतरिक कलह को उजागर करती है, खासकर 2027 विधानसभा चुनावों से पहले। पार्टी के एकजुट रहने की चुनौती अब और बढ़ गई है।
