‘आजम खान हमारी पार्टी की बुनियाद, झूठे मुकदमे लगाए गए…’, मुलाकात के बाद अखिलेश यादव का पहला बयान
8 अक्टूबर 2025: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को रामपुर में जेल से रिहा आजम खान से पहली मुलाकात की, जो 23 महीनों के बाद हुई। मुलाकात के बाद अखिलेश ने आजम को ‘पार्टी की बुनियाद’ बताते हुए बीजेपी पर झूठे मुकदमों का आरोप लगाया। यह मुलाकात उपचुनावों के बीच सपा की एकजुटता का संकेत दे रही है, लेकिन बीजेपी मंत्रियों ने इसे ‘चुनावी स्टंट’ करार दिया। आजम का मुस्लिम वोटबैंक सपा के लिए क्यों अहम? मुलाकात के राजनीतिक मायने क्या हैं? आगे पढ़ें पूरी घटना।
रामपुर में भावुक मुलाकात: 23 महीनों बाद अखिलेश-अजम का मिलन
बुधवार दोपहर करीब 12:30 बजे अखिलेश यादव हेलीकॉप्टर से रामपुर के मौलाना जौहर विश्वविद्यालय पहुंचे। आजम खान ने हेलीपैड पर उनका स्वागत किया। दोनों ने आजम के आवास पर एक घंटे से ज्यादा बात की। अखिलेश ने कहा, ‘आजम खान सपा की बुनियाद हैं, सबसे पुराने नेता। उन पर झूठे मुकदमे लगाकर बीजेपी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना चाहती है।’ आजम ने भी कहा, ‘सपा के साथ मेरा रिश्ता मियां-बीवी जैसा है।’ यह मुलाकात आजम की 23 सितंबर 2025 को सीतापुर जेल से रिहाई के बाद पहली थी। आजम पर 100 से ज्यादा मुकदमे थे—डकैती, चोरी, जमीन हड़पने जैसे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी में जमानत दी। सपा के 37 सांसदों और 107 विधायकों में आजम का मुस्लिम चेहरा अहम है। मुलाकात के दौरान भारी सुरक्षा थी, और वीडियो में दोनों हाथ पकड़े नजर आए। यह सपा की आंतरिक एकता को मजबूत करने का प्रयास लगता।
बीजेपी मंत्रियों का तीखा प्रहार: ‘चुनावी डर से मिलन, 23 महीने में याद न आई
मुलाकात पर बीजेपी ने तुरंत हमला बोला। मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा, ‘अखिलेश आजम को किनारे करना चाहते थे, 23 महीने में एक बार भी न मिले। अब चुनाव आते ही याद आई, कहीं आजम-शिवपाल नई पार्टी न बना लें।’ परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह बोले, ‘बहुत देर कर दी, जेल से छूटे इतना समय हो गया।’ मुस्लिम चेहरा मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने इसे ‘स्टंट’ बताया, ‘जेल में याद न आई, अब मुसलमानों को गुमराह करने रामपुर पहुंचे। 2024 लोकसभा में मिले थे, वोटबैंक के लिए।’ भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा, ‘मिलना ठीक, लेकिन दिल मिले।’ झांसी में मंत्री संजय निशाद ने कहा, ‘हर किसी का अपना विचार, मिलना स्वाभाविक।’ ये बयान सपा पर ‘ओपोर्ट्यूनिस्ट’ होने का आरोप लगाते हैं। रामपुर उपचुनाव नजदीक हैं, जहां आजम का प्रभाव है।
सियासी मायने: सपा की एकजुटता, बीजेपी का पलटवार
यह मुलाकात सपा के लिए राहत है। आजम के रिहा होने पर अखिलेश ने कहा था, ‘झूठे मुकदमे वापस लेंगे जब सत्ता आएंगे।’ अफवाहें थीं कि आजम बीएसपी जॉइन कर सकते हैं, लेकिन मुलाकात ने खारिज कर दिया। आजम ने कहा, ‘अखिलेश से ही मिलूंगा, किसी और से नहीं।’ सपा के 34 मुस्लिम विधायकों में आजम की पकड़ रामपुर-मुरादाबाद में मजबूत। बीजेपी इसे ‘वोटबैंक पॉलिटिक्स’ बता रही, खासकर 2027 विधानसभा चुनाव से पहले। आजम ने शिवपाल सिंह से भी मुलाकात की अफवाहें खारिज कीं। यह घटना यूपी की सियासत को गर्मा रही, जहां मुस्लिम वोट (19%) सपा का आधार हैं। अखिलेश की यात्रा बरेली एयरपोर्ट से शुरू हुई, शाम को लखनऊ लौटे। आगे सपा की रणनीति पर असर पड़ेगा।