लखनऊ, 6 अक्टूबर 2025: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीली ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप से 14 बच्चों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश ने भी इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने चेतावनी जारी की है कि दुकानदारों को बिक्री न करने के सख्त निर्देश हैं। FSDA की टीमें लखनऊ समेत कई जिलों में छापे मार रही हैं, जिसमें लोहिया अस्पताल के पास भी रेड पड़ी। केंद्रीय स्तर पर CDSCO ने जांच शुरू की है। क्या यह बैन बच्चों की जान बचाएगा? आइए, इस संकट की पूरी कहानी जानते हैं।
छिंदवाड़ा त्रासदी: 14 मौतें, DEG टॉक्सिन की घातक मौजूदगी
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में अगस्त से सितंबर के बीच 14 बच्चों (ज्यादातर 5 साल से कम उम्र के) की किडनी फेलियर से मौत हो गई। सभी ने ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप का सेवन किया था, जो बुखार-खांसी के लिए दिया गया। तमिलनाडु की लैब टेस्टिंग में सिरप में 48.6% डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG)—एक जहरीला इंडस्ट्रियल केमिकल—मिलने की पुष्टि हुई। यह केमिकल किडनी फेलियर और मौत का कारण बनता है। सिरप का मैन्युफैक्चरर श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स (कांचीपुरम, तमिलनाडु) पर कार्रवाई हो रही है। MP सरकार ने 4 अक्टूबर को पूर्ण बैन लगा दिया, और CM मोहन यादव ने प्रत्येक परिवार को 4 लाख मुआवजा घोषित किया। तमिलनाडु, केरल और राजस्थान ने भी बैन किया। यह घटना 2022 के जहरीली कफ सिरप कांड की याद दिलाती है, जब 70 बच्चों की मौत हुई थी।
UP में त्वरित बैन: छापेमारी और सैंपल टेस्टिंग पर जोर
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने 5 अक्टूबर को कहा, “यह दुखद है कि बच्चों ने सिरप पीने से जान गंवाई। UP सरकार ने कभी ऐसा सिरप नहीं खरीदा, लेकिन एहतियात में बैन लगा दिया।” सहायक औषधि आयुक्त ने सभी इंस्पेक्टर्स को निर्देश दिए कि सरकारी-निजी संस्थानों से श्रीसन के सभी प्रोडक्ट्स के सैंपल कलेक्ट करें और लखनऊ लैब में टेस्ट कराएं। आयात-निर्यात पर रोक। FSDA ने लखनऊ में दुकानों पर रेड की, जहां स्टॉक जब्त किया गया। लोहिया अस्पताल के पास भी छापा पड़ा, जहां प्रतिबंधित सिरप बरामद हुआ। पाठक ने लोगों से अपील की, “ऐसे सिरप न लें। डॉक्टर की सलाह पर ही दवा दें।” UP में दवा नियंत्रण को सख्ती से लागू करने के आदेश हैं, ताकि आगे नुकसान न हो।
केंद्रीय जांच और भविष्य की चिंताएं: क्या बैन काफी?
CDSCO ने श्रीसन के खिलाफ सबसे सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया। एक मल्टीडिसिप्लिनरी टीम (NIV, ICMR, NEERI, AIIMS-नागपुर) सैंपल्स की जांच कर रही है। MP में 11 मौतें कन्फर्म, जबकि अन्य सैंपल्स (एंटीबायोटिक्स आदि) सेफ पाए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि DEG सस्ता ग्लाइकॉल का विकल्प होता है, जो प्रोडक्शन में मिलाया जाता है। NCRB डेटा बताता है कि दवा से जुड़ी मौतें बढ़ रही हैं। क्या सख्त लाइसेंसिंग और रेगुलर टेस्टिंग से इसे रोका जा सकता है? सरकारों की एडवाइजरी जारी है, लेकिन जागरूकता अभियान तेज करने की जरूरत।