संभल में दशहरे पर बुलडोजर का दबदबा: अवैध निर्माण ध्वस्त, मस्जिद को मिला समय
संभल, 2 अक्टूबर 2025: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में दशहरा पर्व के ठीक दिन एक बड़ा प्रशासनिक एक्शन ने सुर्खियां बटोर ली हैं। रावण दहन की धूम के बीच बुलडोजरों की गर्जना गूंज रही है, जहां सरकारी जमीन पर बने अवैध ढांचों को ध्वस्त किया जा रहा है। भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच यह कार्रवाई राया बुजुर्ग गांव में हो रही है, लेकिन क्या यह सिर्फ कानूनी प्रक्रिया है या राजनीतिक संदेश? मालिक की दलीलें और प्रशासन का सख्त रुख—यह विवाद कई सवाल खड़े कर रहा है। क्या इससे अवैध कब्जों पर लगाम लगेगी? पूरी घटना की परतें और इसके प्रभाव आगे खुलेंगे।
बुलडोजर एक्शन की शुरुआत: दशहरे पर सरकारी जमीन पर छापा
दशहरे के पावन अवसर पर संभल के राया बुजुर्ग गांव में प्रशासन ने सुबह 11 बजे बुलडोजर चला दिया। सरकारी तालाब की जमीन पर अवैध रूप से बने मैरेज होम (बारात घर) को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया। एसडीएम संतोष त्रिपाठी के अनुसार, यह कार्रवाई प्लॉट नंबर 691 (2160 वर्ग मीटर, तालाब क्षेत्र) और 469 (592 वर्ग मीटर) पर की गई। निर्माण कम से कम 10-15 वर्ष पुराना था, जिसे मिंजार हुसैन ने कराया था। उधर, मस्जिद को स्वैच्छिक ध्वस्तीकरण के लिए चार दिन का समय दिया गया है। एसपी केके बिश्नोई ने बताया कि 30 दिनों का नोटिस नोटिस के बावजूद कोई कार्रवाई न होने पर यह कदम उठाया गया। ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
कानूनी प्रक्रिया: नोटिस से आदेश तक का सफर
प्रशासन का दावा है कि पूरी कार्रवाई कानूनी है। 26 जून 2025 को धारा 54 उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (UPRC) के तहत नोटिस जारी किया गया था। इसके बाद 2 सितंबर 2025 को ध्वस्तीकरण का आदेश पारित हुआ, जिसमें न्यायालय में आपत्तियां भी सुनी गईं। एसडीएम ने कहा, “दोनों ढांचे सरकारी संपत्ति पर बने थे। विधिक रूप से उचित नोटिस दिए गए, और कोई अपील नहीं की गई।” यह एक्शन यूपी सरकार की अवैध कब्जा हटाओ अभियान का हिस्सा है, जो पिछले वर्षों से चल रहा है। हालांकि, विपक्षी नेता समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बरक ने इसे “असंवैधानिक” बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करार दिया।
मिंजार की दलीलें: पुरानी मस्जिद और आर्थिक मजबूरी
मालिक मिंजार हुसैन ने कार्रवाई पर निराशा जताई। उन्होंने कहा, “मैरेज हॉल बहुत पुराना है। शुरू में खाली था, फिर जैसे-जैसे पैसा और लोग बढ़े, हमने इसे बनाया। मस्जिद हमारे बड़ों-बुजुर्गों की देन है, उतनी पुरानी नहीं लेकिन धार्मिक महत्व की। हम बाहर गाड़ी चलाते थे, इसलिए नोटिस की जानकारी नहीं हुई, लेकिन नाम पर तो आया।” मिंजार का कहना है कि यह उनके परिवार की आजीविका का स्रोत था। स्थानीय निवासियों में कुछ असंतोष है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि सार्वजनिक जमीन को मुक्त करना जरूरी है। यह विवाद धार्मिक संवेदनशीलता को भी छू रहा है, खासकर मस्जिद को लेकर।
सुरक्षा इंतजाम और राजनीतिक निहितार्थ
कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी सुरक्षा बल तैनात है। पैरामिलिट्री फोर्स की कई कंपनियां, स्थानीय पुलिस और ड्रोन निगरानी के साथ प्रशासन मुस्तैद है। एसपी बिश्नोई ने कहा, “यह बड़ा क्षेत्र है, कई बीघा जमीन पर कब्जा था। कोई तोड़फोड़ नहीं होने दी जाएगी।” यह एक्शन संभल में पिछले विवादों (जैसे नवंबर 2024 की हिंसा) की याद दिलाता है, जहां अवैध निर्माण और धार्मिक स्थलों पर छापों से तनाव बढ़ा था। राजनीतिक रूप से, योगी सरकार इसे “शासन का दृढ़ संकल्प” बता रही है, जबकि विपक्ष “न्यायिक हस्तक्षेप की कमी” पर सवाल उठा रहा है। क्या यह अभियान अन्य जिलों में फैलेगा? आने वाले दिनों में स्थिति पर नजर बनी रहेगी।
