प्रयागराज में आवारा कुत्तों पर सख्ती: दोबारा काटने वाले कुत्तों को मिलेगी ‘उम्रकैद’ जैसी सजा!
प्रयागराज, 16 सितंबर 2025: शहरों में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। बच्चे, बूढ़े और आम लोग सड़कों पर चलते समय डरते हैं कि कहीं कोई कुत्ता हमला न कर दे। इसी समस्या से निपटने के लिए प्रयागराज नगर निगम ने एक अनोखा कदम उठाया है। अब अगर कोई आवारा कुत्ता किसी इंसान को दो बार काट लेता है, तो उसे ‘उम्रकैद’ जैसी सजा दी जाएगी। मतलब, उस कुत्ते को जिंदगी भर एक खास केंद्र में रखा जाएगा, जहां से वह बाहर न निकल सके। यह फैसला इंसानों की सुरक्षा के लिए लिया गया है और पूरे उत्तर प्रदेश के नगर निकायों में लागू होगा।यह खबर सुनकर कई लोग हैरान हो गए हैं। कुत्तों को उम्रकैद? लेकिन यह सजा इंसानों वाली जेल जैसी नहीं है। यहां कुत्तों के लिए एक सुरक्षित जगह बनाई गई है, जहां वे रह सकें बिना किसी को नुकसान पहुंचाए। प्रयागराज के करेली इलाके में एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर को इस काम के लिए तैयार किया गया है। यहां कुत्तों के लिए बैरक और आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं, जो जेल की कोठरियों जैसी दिखती हैं। लेकिन इनमें कुत्तों को अच्छा खाना, पानी और देखभाल मिलेगी। यह केंद्र पशु प्रेमियों और डॉक्टरों की निगरानी में चलेगा।
इस फैसले के पीछे कई दर्दनाक घटनाएं हैं। हाल ही में प्रयागराज और आसपास के इलाकों में कुत्तों के हमलों की खबरें सुर्खियां बनीं। एक तरफ जहां बच्चे स्कूल जाते समय डरते हैं, वहीं बूढ़े लोग पार्क में टहलने से कतराते हैं। याद कीजिए, कुछ महीने पहले ग्रेटर नोएडा में एक बुजुर्ग महिला को आवारा कुत्ते ने काट लिया था। वह इतनी बुरी तरह घायल हुई कि अस्पताल में कई दिनों तक इलाज चला। इसी तरह, पूर्णिया जिले में दो बच्चों की जान कुत्तों के हमले में चली गई। इन घटनाओं ने सबको झकझोर दिया। लोग प्रशासन से सख्त कदम की मांग कर रहे थे।प्रयागराज नगर निगम के अधिकारी बताते हैं कि पहले से ही कुत्तों को पकड़कर स्टरलाइजेशन (नसबंदी) किया जाता था। लेकिन कुछ कुत्ते दोबारा हमला करते हैं। अब नया नियम है: पहली बार काटने पर कुत्ते को पकड़कर नसबंदी कर छोड़ दिया जाएगा। लेकिन अगर वही कुत्ता दूसरी बार किसी को काटता पकड़ा गया, तो उसे एबीसी सेंटर में आजीवन रखा जाएगा। यहां वह कुत्ता घूम-फिर सकेगा, लेकिन बाहर नहीं निकलेगा। इससे सड़कों पर डॉग अटैक की घटनाएं कम होंगी।एबीसी सेंटर की व्यवस्था कैसी है? करेली में बने इस केंद्र में 50 से ज्यादा बैरक हैं। हर बैरक में 4-5 कुत्ते रह सकते हैं। इनमें ठंडे पानी की व्यवस्था, छायादार जगह और रोजाना डॉक्टर की जांच होगी। पशु चिकित्सक डॉ. राम कुमार कहते हैं, “हम कुत्तों को सजा नहीं दे रहे, बल्कि उन्हें सुरक्षित रख रहे हैं। कई कुत्ते रेबीज (कुत्ते के काटने की बीमारी) से पीड़ित होते हैं, जो इंसानों के लिए खतरनाक है। यहां उन्हें वैक्सीन देकर स्वस्थ रखा जाएगा।” केंद्र में वॉलंटियर्स भी काम करेंगे, जो कुत्तों को खिलाएंगे और साफ-सफाई रखेंगे।यह कदम क्यों जरूरी था? प्रयागराज जैसे शहरों में आबादी बढ़ रही है। सड़कें संकरी हैं और कचरा इधर-उधर बिखरा रहता है, जो कुत्तों को आकर्षित करता है। गर्मियों में भूखे-प्यासे कुत्ते चिड़चिड़े हो जाते हैं और हमला कर बैठते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में हर साल हजारों लोग कुत्तों के काटने से घायल होते हैं।
इनमें से कई को रेबीज का टीका लगवाना पड़ता है, जो महंगा और दर्दभरा होता है। खासकर बच्चे और महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं। एक सर्वे में पाया गया कि 70 प्रतिशत हमले सुबह या शाम के समय होते हैं, जब लोग बाहर निकलते हैं।नगर निगम ने इस योजना के लिए बजट भी आवंटित किया है। करेली सेंटर को पहले ही चालू कर दिया गया है। अब दूसरे इलाकों में भी ऐसे केंद्र बनाए जाएंगे। पशु प्रेमी संगठनों ने इसकी तारीफ की है। वे कहते हैं कि यह क्रूरता नहीं, बल्कि मानवता का काम है। लेकिन कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि सभी कुत्तों को सजा देने से पशु संतुलन बिगड़ सकता है। एक एनजीओ के सदस्य ने कहा, “कुत्तों को मारना गलत है, लेकिन इंसानों की जान बचाना भी जरूरी। यह बीच का रास्ता अच्छा है।”प्रयागराज के निवासियों की प्रतिक्रिया क्या है? करेली की रहने वाली रानी देवी बताती हैं, “मेरा पोता स्कूल जाता है, तो हमेशा डर लगता है। अब अच्छा लग रहा है कि कुछ किया जा रहा है।” वहीं, एक युवक अजय कहते हैं, “कुत्तों को भी अधिकार हैं, लेकिन हमारी सुरक्षा पहले।” शहर के पार्कों और बाजारों में लोग अब थोड़े राहत महसूस कर रहे हैं।
नगर निगम ने जागरूकता अभियान भी शुरू किया है। लोगो बोर्ड लगाए गए हैं: “आवारा कुत्ता देखें तो निगम को सूचना दें।”यह योजना सफल होगी या नहीं, समय बताएगा। लेकिन प्रयागराज ने एक मिसाल कायम की है। अन्य शहर जैसे लखनऊ, कानपुर और वाराणसी भी इसे अपना सकते हैं। डॉग अटैक की समस्या पूरे देश में है। दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में भी ऐसी घटनाएं आम हैं। अगर हर जगह ऐसे कदम उठाए जाएं, तो लोग बेफिक्र होकर घूम सकेंगे।अंत में, यह फैसला इंसान और जानवर दोनों के लिए फायदेमंद है। कुत्तों को मारने की बजाय उन्हें संरक्षित रखना बेहतर है। प्रयागराज नगर निगम को बधाई, जो इस दिशा में आगे बढ़ा। उम्मीद है कि जल्द ही डॉग अटैक की खबरें कम सुनाई देंगी।
