• October 14, 2025

यूपी भाजपा अध्यक्ष पर फैसला अटका, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर जोर; सामाजिक समीकरण साधने की चुनौती

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित 22 राज्यों में अपने प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा कर दी है। हालांकि, देश के सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अभी तक प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर कोई फैसला नहीं हो सका है। सूत्रों के मुताबिक, यूपी में अध्यक्ष के चयन में देरी हो सकती है, क्योंकि पार्टी नेतृत्व सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने के साथ-साथ एक ऐसे नेता की तलाश में है, जो समाजवादी पार्टी (सपा) के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति का मुकाबला कर सके।
ब्राह्मण समाज की नाराजगी का लाभ उठाने की रणनीति
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी इटावा प्रकरण के बाद ब्राह्मण समाज में सपा के प्रति कथित नाराजगी का भी फायदा उठाना चाहती है। इसके लिए एक ऐसे नेता को अध्यक्ष बनाए जाने पर विचार हो रहा है, जो इन समीकरणों को संतुलित कर सके। चर्चा है कि स्वतंत्रदेव सिंह और धर्मपाल सिंह लोधी जैसे नेताओं के नाम इस रेस में आगे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से जुड़ा पेंच
भाजपा के संगठनात्मक नियमों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव है, जब कम से कम आधे राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चयन हो जाए। देश भर में भाजपा की 37 प्रदेश इकाइयों में से 22 में अध्यक्षों का चयन हो चुका है, जिससे राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का कोरम पूरा हो गया है। ऐसे में पार्टी मॉनसून सत्र से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराने पर जोर दे रही है। इस वजह से यूपी के अध्यक्ष के चयन में और समय लग सकता है।
यूपी सरकार में फेरबदल की संभावना
यदि योगी आदित्यनाथ सरकार में शामिल किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाता है, तो सरकार में भी फेरबदल करना पड़ सकता है। केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी सरकार में कुछ सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण साध लिए जाएं। यही कारण है कि यूपी में अध्यक्ष के चयन पर अभी सहमति नहीं बन पा रही है।
चुनाव प्रक्रिया में लगेगा समय
यूपी में भाजपा अध्यक्ष के चयन के लिए पहले वोटर लिस्ट तैयार करनी होगी, फिर नामांकन और नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी होगी। यदि एकमात्र उम्मीदवार होता है, तो नाम की घोषणा हो जाएगी, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम चार दिन का समय लगेगा। भाजपा के नियमों के अनुसार, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से एक सदस्य वोट देता है। यूपी में 403 विधानसभाओं के अलावा 20% सांसद और विधायक भी वोटिंग में हिस्सा लेते हैं। जिलाध्यक्ष चुनाव में मौजूद रहते हैं, लेकिन उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होता। इतनी बड़ी संख्या में वोटर लिस्ट तैयार करना और मतदान कराना एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है।
फिलहाल, यूपी में भाजपा अध्यक्ष के चयन को लेकर सस्पेंस बरकरार है, और पार्टी नेतृत्व सामरिक और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर फैसला लेने की तैयारी में है।
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Rama Niwash Pandey

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