मुजफ्फरनगर में राकेश टिकैत के साथ धक्का-मुक्की: जन आक्रोश रैली विवाद और पंचायत का आयोजन
मुजफ्फरनगर, 3 मई 2025: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में शुक्रवार को आयोजित जन आक्रोश रैली उस समय विवादों के केंद्र में आ गई, जब भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत के साथ धक्का-मुक्की की घटना सामने आई। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सियासी और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। राकेश टिकैत की पगड़ी उतरने और उनके साथ हुए व्यवहार के विरोध में भारतीय किसान यूनियन ने शनिवार को मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में एक आपातकालीन महापंचायत का आयोजन किया। इस पंचायत में किसानों और जाट समुदाय के लोगों ने भारी संख्या में हिस्सा लिया, जिसमें इस घटना को किसान सम्मान और जाट पहचान पर हमला करार दिया गया।
जन आक्रोश रैली का पृष्ठभूमि
मुजफ्फरनगर में शुक्रवार को हिंदू संघर्ष समिति के तत्वावधान में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के विरोध में एक विशाल जन आक्रोश रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली में स्थानीय लोग, व्यापारी संगठन, और 168 हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता शामिल थे। रैली का उद्देश्य पहलगाम हमले में मारे गए 25 निर्दोष लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करना और पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश प्रदर्शित करना था। इस आयोजन को व्यापक समर्थन मिला, और टाउन हॉल मैदान में हजारों की भीड़ एकत्रित हुई।
राकेश टिकैत, जो भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं, इस रैली में शामिल होने पहुंचे थे। भारतीय किसान यूनियन ने पहले ही इस रैली को समर्थन देने की घोषणा की थी। हालांकि, टिकैत के मंच पर पहुंचते ही कुछ लोगों ने उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। “राकेश टिकैत वापस जाओ” और “देश के गद्दारों को, गोली मारो…” जैसे नारे लगाए गए। स्थिति तब और बिगड़ गई, जब भीड़ ने टिकैत के साथ धक्का-मुक्की की, और इस दौरान उनकी पगड़ी जमीन पर गिर गई। कुछ लोगों ने उन पर झंडे के डंडे से वार करने का भी प्रयास किया।

विवाद का कारण: टिकैत का बयान
इस घटना की जड़ राकेश टिकैत के हाल ही में दिए गए एक बयान में छिपी है। टिकैत ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर कथित तौर पर कहा था कि “असली अपराधी वे लोग हैं, जो भारत के भीतर हिंसा से लाभान्वित हो रहे हैं।” इस बयान को कई हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों ने पाकिस्तान को क्लीन चिट देने वाला और देशविरोधी करार दिया। टिकैत के इस बयान ने पहले ही सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं जन्म दी थीं, और रैली में उनकी मौजूदगी ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया।
इसके अलावा, राकेश टिकैत के भाई और भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने भी हाल ही में भारत सरकार द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के फैसले पर आपत्ति जताई थी। नरेश टिकैत ने कहा था कि यह फैसला किसानों के हित में नहीं है, क्योंकि पानी सभी किसानों की जरूरत है। इस बयान को भी कुछ लोगों ने पाकिस्तान के समर्थन में माना, जिसने राकेश टिकैत के खिलाफ माहौल को और गरमा दिया।
पुलिस की भूमिका और टिकैत की सुरक्षा
जैसे ही रैली में स्थिति तनावपूर्ण हुई, पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया। भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद, भीड़ को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण रहा। पुलिस ने राकेश टिकैत को सुरक्षा घेरे में लेकर टाउन हॉल के दूसरे गेट से सुरक्षित बाहर निकाला। पुलिस अधीक्षक (नगर) सत्यनारायण प्रजापत ने स्पष्ट किया कि टिकैत पर डंडों से हमला होने की खबरें गलत हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने टिकैत का विरोध किया, और धक्का-मुक्की के दौरान उनकी पगड़ी गिर गई। सीसीटीवी फुटेज और वीडियो रिकॉर्ड्स की जांच में किसी हिंसक हमले की पुष्टि नहीं हुई।
टिकैत की प्रतिक्रिया: “नए हिंदू बने लोग देश को बांट रहे हैं”
घटना के बाद राकेश टिकैत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे एक सुनियोजित साजिश करार देते हुए कहा, “कुछ नए हिंदू बने लोग देश को मजहब और जात-पात में बांटने की कोशिश कर रहे हैं। यह विरोध किसी पार्टी विशेष के इशारे पर हुआ। अगर यह जनता का गुस्सा होता, तो इतना संगठित नहीं होता।” टिकैत ने यह भी ऐलान किया कि जल्द ही मुजफ्फरनगर में एक बड़ा ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा, जो इस तरह की “नफरती सोच” को जवाब देगा। उन्होंने कहा, “हम डरपोक नहीं हैं। इस घटना का जवाब हमारी एकता से दिया जाएगा।”
महापंचायत का आयोजन और किसानों का आक्रोश
राकेश टिकैत के साथ हुई बदसलूकी के विरोध में भारतीय किसान यूनियन ने तुरंत एक आपातकालीन बैठक बुलाई। इस बैठक में भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत भी शामिल हुए। नरेश टिकैत ने इस घटना को किसान समुदाय और जाट सम्मान पर हमला बताया। उन्होंने भावुक स्वर में कहा, “पगड़ी सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि हमारी इज्जत और पहचान का प्रतीक है। हम अनुशासित हैं, वरना इस घटना पर धरती लाल हो जाती।” नरेश टिकैत ने इसे एक राजनीतिक साजिश करार देते हुए कहा कि कुछ लोग किसान आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
शनिवार को मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित महापंचायत में हजारों किसान और जाट समुदाय के लोग एकत्र हुए। पंचायत में वक्ताओं ने सवाल उठाया कि यदि जन आक्रोश रैली में सभी लोग पहलगाम हमले के विरोध में आए थे, तो सिर्फ राकेश टिकैत का ही विरोध क्यों हुआ? वक्ताओं ने इसे सुनियोजित और किसानों की एकता को तोड़ने की साजिश करार दिया। पंचायत में ट्रैक्टर मार्च और आगे की रणनीति पर भी चर्चा की गई।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं|
इस घटना ने राजनीतिक माहौल को भी गरमा दिया है। समाजवादी पार्टी के सांसद हरेंद्र मलिक और राष्ट्रीय लोकदल के विधायक राजपाल बालियान ने टिकैत से मुलाकात की और इस घटना की निंदा की। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया। वहीं, कुछ लोग इस घटना को योगी-मोदी समर्थकों से जोड़कर देख रहे हैं, क्योंकि रैली में “योगी-मोदी जिंदाबाद” के नारे भी लगे थे।
सोशल मीडिया पर बहस
सोशल मीडिया पर यह घटना व्यापक चर्चा का विषय बनी हुई है। कुछ लोग टिकैत के बयान को देशविरोधी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जबकि अन्य लोग इस घटना को किसानों और जाट समुदाय के अपमान से जोड़कर देख रहे हैं। एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “राकेश टिकैत पर हमला न केवल एक किसान नेता का अपमान था, बल्कि पगड़ी को निशाना बनाना हमारी संस्कृति पर हमला है।”
आगे क्या?
मुजफ्फरनगर में राकेश टिकैत के साथ हुई यह घटना न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी किसान आंदोलन और सामाजिक एकता के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। भारतीय किसान यूनियन ने इस घटना को किसानों की एकता पर हमला करार देते हुए इसे एक बड़े आंदोलन का रूप देने की बात कही है। दूसरी ओर, कुछ लोग इसे टिकैत के विवादित बयानों का परिणाम मान रहे हैं।
यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर बयानबाजी को लेकर अधिक संवेदनशीलता की जरूरत है? साथ ही, यह भी सवाल उठता है कि क्या इस तरह की घटनाएं समाज में ध्रुवीकरण को और बढ़ावा देंगी? फिलहाल, मुजफ्फरनगर का माहौल तनावपूर्ण है, और सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि भाकियू की महापंचायत में क्या फैसले लिए जाएंगे।
