काशी विश्वनाथ धाम: चक्र पुष्करिणी मणिकर्णिका कुंड के जल से बाबा विश्वनाथ का अभिषेक, अक्षय तृतीया पर विशेष पूजा
वाराणसी, 30 अप्रैल 2025: अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर काशी विश्वनाथ धाम में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का विशेष अभिषेक और पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। इस शुभ दिन पर चक्र पुष्करिणी मणिकर्णिका कुंड के पवित्र जल से बाबा विश्वनाथ का अभिषेक संपन्न हुआ, जो काशी की प्राचीन परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व ने काशी में आध्यात्मिक उत्साह और भक्ति का अनूठा संगम प्रस्तुत किया।
चक्र पुष्करिणी मणिकर्णिका कुंड का महत्व
मणिकर्णिका कुंड, जो काशी विश्वनाथ धाम के समीप स्थित है, का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत विशेष है। मान्यता है कि इस कुंड का जल अत्यंत पवित्र है और इसका उपयोग भगवान शिव के अभिषेक में करने से भक्तों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अक्षय तृतीया के दिन मणिकर्णिका कुंड के जल से बाबा विश्वनाथ का अभिषेक काशी की एक प्राचीन परंपरा है, जो भक्तों के बीच गहरी आस्था का प्रतीक है। इस कुंड को चक्र पुष्करिणी के नाम से भी जाना जाता है, और यह काशी के पौराणिक इतिहास से जुड़ा हुआ है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मणिकर्णिका कुंड वह स्थान है जहां माता पार्वती का कर्ण-कुंडल गिरा था, जिसके कारण इसका नाम पड़ा। इस कुंड के जल को गंगा के समान पवित्र माना जाता है, और यह मोक्ष प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है। अक्षय तृतीया के अगले दिन इस कुंड में स्नान की परंपरा भी है, जिसमें श्रद्धालु डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करते हैं।
अक्षय तृतीया पर विशेष पूजा और अभिषेक
अक्षय तृतीया के दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती के दौरान चक्र पुष्करिणी मणिकर्णिका कुंड के जल से श्री विश्वेश्वर महादेव का अभिषेक किया गया। यह अभिषेक पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) के साथ-साथ अन्य पवित्र सामग्रियों से भी संपन्न हुआ, जो भगवान शिव की पूजा में विशेष महत्व रखता है। मंदिर परिसर में भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप का भी भव्य श्रृंगार किया गया, और उनकी विशेष आरती का आयोजन हुआ।
इस अवसर पर बाबा विश्वनाथ को जलधारी फव्वारा अर्पित किया गया, और शीतल शृंगार के साथ मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया। मंदिर के पुजारियों ने प्राचीन वैदिक मंत्रों और श्री रुद्रम् के पाठ के साथ रुद्राभिषेक भी किया, जो भक्तों के लिए समृद्धि, शांति और पापमुक्ति का आशीर्वाद मांगता है। यह पूजा अक्षय तृतीया के दिन इसलिए और भी विशेष मानी जाती है, क्योंकि इस दिन किए गए कार्यों का फल स्थायी और अविनाशी होता है।

काशी विश्वनाथ धाम की भव्यता
2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटित काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर ने इस मंदिर की महत्ता को और बढ़ा दिया है। यह कॉरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी के मणिकर्णिका घाट से जोड़ता है, जिससे तीर्थयात्रियों को सुविधाजनक और भव्य दर्शन का अवसर मिलता है। 2023 में इस मंदिर में प्रतिदिन औसतन 45,000 श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे, और दो वर्षों में 12.9 करोड़ से अधिक भक्तों ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए।
अक्षय तृतीया के दिन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई, हालांकि कुछ भक्तों ने बताया कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव के कारण इस बार भीड़ पहले की तुलना में नियंत्रित थी। मंदिर प्रशासन ने ऑनलाइन दर्शन और पूजा बुकिंग की सुविधा भी प्रदान की, जिससे देश-विदेश के भक्त घर बैठे बाबा विश्वनाथ की पूजा में शामिल हो सके।
अक्षय तृतीया का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशियों में होते हैं, जिसके कारण इस दिन की गई पूजा, दान और कार्यों का फल अक्षय (अविनाशी) होता है। काशी में इस दिन भक्तों ने उत्साहपूर्वक दर्शन और पूजन किया, और कई लोगों ने सोना, चांदी और अन्य कीमती वस्तुओं की खरीदारी की, जो समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है।
इस दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में बेलपत्र, फूल, फल और अन्य सामग्रियों की पेशकश भी की गई, जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। मंदिर में लाख बेलपत्र पूजा (लक्ष बेलपत्र पूजा) का भी आयोजन हुआ, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा।
मंदिर की अन्य गतिविधियां और सुविधाएं
काशी विश्वनाथ धाम में अक्षय तृतीया के अवसर पर भक्तों के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। मंदिर में कतार-रहित दर्शन (Queue-Less Darshan) की व्यवस्था, शास्त्री सहायता, मुफ्त लॉकर और मेवालड्डू प्रसाद की सुविधा ने तीर्थयात्रियों का अनुभव और सुखद बनाया। इसके अलावा, मंदिर परिसर में प्रसादम रेस्तरां और रूफटॉप रेस्तरां ने भक्तों को शुद्ध शाकाहारी भोजन (बिना प्याज और लहसुन) का आनंद लेने का अवसर प्रदान किया।
मंदिर प्रशासन ने पंचकोशी परिक्रमा की भी व्यवस्था की, जो काशी की पांच पवित्र तीर्थस्थलों (कर्दमेश्वर, भीमचंडी, रामेश्वर, शिवपुर और कपिलधारा) की यात्रा है। यह परिक्रमा मणिकर्णिका घाट से शुरू और समाप्त होती है, और अक्षय तृतीया के समय इसे करने का विशेष महत्व है।
