रायबरेली में साइबर अपराध का सनसनीखेज खुलासा: दुर्गेश और संजय पांडेय का पाकिस्तानी रहीम और लखनऊ के अब्दुल से गठजोड़, 60 करोड़ रुपये का लेनदेन
रायबरेली, 30 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में साइबर अपराध का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने स्थानीय पुलिस, साइबर क्राइम सेल और खुफिया एजेंसियों को हाई अलर्ट पर ला दिया है। जिले के कुख्यात साइबर अपराधी दुर्गेश और संजय पांडेय के तार न केवल पाकिस्तान के संदिग्ध व्यक्ति रहीम से जुड़े पाए गए हैं, बल्कि लखनऊ में सक्रिय अब्दुल नामक शख्स के साथ भी इनका गहरा संबंध उजागर हुआ है। जांच में पता चला है कि पिछले एक वर्ष में दुर्गेश ने करीब 60 करोड़ रुपये का अवैध लेनदेन किया, जिसमें बिहार के संदिग्ध युवाओं के बैंक खातों में राशि जमा की गई और अब्दुल को नकद भुगतान किया गया। यह राशि मुख्य रूप से अयोध्या और गोंडा भेजी गई, जिससे खुफिया एजेंसियों में हड़कंप मच गया है। आशंका जताई जा रही है कि लखनऊ में बैठा अब्दुल अयोध्या में किसी बड़ी साजिश की तैयारी में जुटा हो सकता है।
साइबर अपराध का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क
रायबरेली पुलिस और साइबर क्राइम सेल की संयुक्त जांच में इस जटिल अपराध नेटवर्क की परतें खुलनी शुरू हुईं, जब दुर्गेश और संजय पांडेय की गतिविधियों पर संदेह गहराया। दोनों पहले से ही साइबर ठगी, फर्जी बैंक खातों के इस्तेमाल और अवैध धन हस्तांतरण जैसे अपराधों में लिप्त रहे हैं। जांच के दौरान पता चला कि दुर्गेश ने बिहार के कई युवाओं के बैंक खातों का दुरुपयोग किया, जिन्हें छोटे-मोटे लालच देकर उनके दस्तावेज हासिल किए गए थे। इन खातों में बड़ी रकम जमा की गई और फिर उसे अब्दुल के माध्यम से अयोध्या और गोंडा के विभिन्न खातों में हस्तांतरित किया गया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस नेटवर्क में पाकिस्तान के रहीम की भूमिका बेहद संदिग्ध है। रहीम के साथ दुर्गेश और संजय की बातचीत व्हाट्सएप, टेलीग्राम और अन्य एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के जरिए होती थी। खुफिया एजेंसियां इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि क्या रहीम इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड है और क्या वह किसी बड़े आतंकी या आपराधिक संगठन से जुड़ा है। रहीम के निर्देश पर ही दुर्गेश और संजय ने लखनऊ के अब्दुल को नकद भुगतान किए, जो इस साजिश का एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है।

60 करोड़ रुपये का लेनदेन और अयोध्या कनेक्शन
जांच में सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि दुर्गेश ने एक वर्ष में लगभग 60 करोड़ रुपये का लेनदेन किया। यह राशि विभिन्न चैनलों के माध्यम से अब्दुल तक पहुंचाई गई, जिसने इसे अयोध्या और गोंडा के खातों में वितरित किया। अयोध्या, जो धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है, में इस तरह के बड़े पैमाने पर अवैध धन का हस्तांतरण खुफिया एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
पुलिस को आशंका है कि अब्दुल, जो लखनऊ में रहकर इस नेटवर्क को संचालित कर रहा है, अयोध्या में किसी बड़ी आपराधिक या असामाजिक गतिविधि की योजना बना रहा हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, इस राशि का उपयोग अवैध गतिविधियों, हथियारों की खरीद, या अन्य संदिग्ध कार्यों के लिए किया जा सकता है। अयोध्या में हाल के वर्षों में बढ़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद, इस तरह के खुलासे स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करते हैं।
पुलिस और खुफिया एजेंसियों की कार्रवाई
रायबरेली पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। साइबर क्राइम सेल ने दुर्गेश और संजय पांडेय के ठिकानों पर छापेमारी की और उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल फोन और दस्तावेज जब्त किए। इन उपकरणों से प्राप्त डेटा की फॉरेंसिक जांच की जा रही है, ताकि रहीम और अब्दुल के साथ उनके संबंधों का और विस्तृत ब्योरा मिल सके। इसके अलावा, बिहार के उन बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है, जिनमें दुर्गेश ने राशि जमा की थी।
लखनऊ पुलिस को भी इस मामले में शामिल किया गया है, और अब्दुल की तलाश में विशेष टीमें गठित की गई हैं। खुफिया एजेंसियां रहीम के पाकिस्तानी कनेक्शन की जांच कर रही हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या यह नेटवर्क किसी अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन से जुड़ा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी इस मामले की जानकारी दी गई है, क्योंकि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण की आशंका है।
साइबर अपराध की बढ़ती चुनौती
यह मामला उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध की बढ़ती चुनौती को रेखांकित करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश देश में साइबर अपराध के मामलों में शीर्ष पर है, जहां सालाना लाखों लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं। रायबरेली में पहले भी साइबर ठगी के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल कर लोगों से धोखाधड़ी की गई। हाल ही में, रायबरेली पुलिस ने एक अन्य साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया था, जो दुबई से संचालित हो रहा था।
इस मामले ने यह भी उजागर किया है कि साइबर अपराधी अब न केवल व्यक्तिगत ठगी तक सीमित हैं, बल्कि वे बड़े पैमाने पर अवैध धन हस्तांतरण और संदिग्ध गतिविधियों के लिए संगठित नेटवर्क का हिस्सा बन रहे हैं। बिहार के युवाओं के खातों का दुरुपयोग इस बात का संकेत है कि अपराधी कमजोर वर्गों को आसानी से निशाना बना रहे हैं।
जनता के लिए सावधानी और सुझाव
पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे अनजान व्यक्तियों से लेनदेन करने और अपने बैंक खाते या दस्तावेज साझा करने से बचें। साइबर अपराधियों द्वारा अक्सर नौकरी, निवेश या अन्य लालच देकर लोगों को फंसाया जाता है। इसके अलावा, संदिग्ध कॉल या मैसेज प्राप्त होने पर तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें।
