बरेली: आईवीआरआई रोड पर भाजपा नेता की मार्केट ध्वस्त, बीडीए पर सांठगांठ के आरोप
बरेली, 29 अप्रैल 2025: बरेली के इज्जतनगर थाना क्षेत्र में स्थित गुलजार मेंशन, आईवीआरआई रोड पर शनिवार (26 अप्रैल 2025) को बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने एक बड़ी ध्वस्तीकरण कार्रवाई को अंजाम दिया। इस कार्रवाई में 20 से अधिक दुकानों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया, जिसके बाद व्यापारियों में भारी आक्रोश देखा गया। व्यापारियों ने बीडीए अधिकारियों पर भवन स्वामी और स्थानीय भाजपा नेता हरिशंकर गंगवार के साथ सांठगांठ करने का गंभीर आरोप लगाया है। उनका दावा है कि बीडीए ने नोटिस में दुकानदारों को सामान हटाने के लिए 15 दिन का समय दिया था, लेकिन मात्र दो दिन में ही बुलडोजर चला दिया गया। इस कार्रवाई ने न केवल व्यापारियों के बीच तनाव पैदा किया, बल्कि स्थानीय स्तर पर राजनीतिक विवाद को भी जन्म दे दिया।
ध्वस्तीकरण की कार्रवाई और व्यापारियों का विरोध
बरेली विकास प्राधिकरण ने शनिवार सुबह गुलजार मेंशन मार्केट में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की, जिसमें एक दर्जन से अधिक बुलडोजर लगाए गए। यह मार्केट करीब 40 साल पुरानी बताई जा रही है और इसमें कई छोटे-बड़े व्यापारी अपने व्यवसाय चला रहे थे। बीडीए का दावा है कि मार्केट का निर्माण अवैध था और इसे हटाने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। हालांकि, व्यापारियों ने इस कार्रवाई को “अन्यायपूर्ण” और “जल्दबाजी” में की गई कार्रवाई करार दिया।
व्यापारियों का कहना है कि उनकी दुकानों के नक्शे बीडीए से स्वीकृत थे और इस मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई भी चल रही थी। इसके बावजूद, बीडीए ने बिना पर्याप्त समय दिए कार्रवाई को अंजाम दे दिया। व्यापारियों ने आरोप लगाया कि उन्हें अपना सामान निकालने का मौका तक नहीं दिया गया, जिससे उनका लाखों रुपये का नुकसान हुआ। कार्रवाई के दौरान पुलिस और व्यापारियों के बीच तीखी नोकझोंक और झड़पें भी हुईं। कई व्यापारी दुकानों के मलबे के बीच रोते हुए देखे गए।
बीडीए पर सांठगांठ के आरोप
इस कार्रवाई का सबसे बड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब व्यापारियों ने बीडीए पर भवन स्वामी और स्थानीय भाजपा नेता हरिशंकर गंगवार के साथ सांठगांठ का आरोप लगाया। व्यापारियों का दावा है कि हरिशंकर गंगवार ने हाल ही में इस मार्केट को खरीदा था और बीडीए के साथ मिलकर इसे ध्वस्त करवाया ताकि इस जमीन पर नया निर्माण कराया जा सके। व्यापारियों ने बीडीए अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और पक्षपात का भी आरोप लगाया।
एक व्यापारी, रमेश कुमार (बदला हुआ नाम), ने कहा, “हमें 15 दिन का नोटिस दिया गया था, लेकिन दो दिन में ही बुलडोजर ले आए। यह सब भाजपा नेता और बीडीए की मिलीभगत से हुआ है। हमारी दुकानें तोड़ दी गईं, लेकिन हमारा सामान तक नहीं निकालने दिया गया। यह अन्याय है।” व्यापारियों ने यह भी बताया कि वे इस मामले को लेकर पहले ही बीडीए कार्यालय में विरोध दर्ज करा चुके थे और अधिकारियों से मार्केट न तोड़ने की गुहार लगा चुके थे।

बीडीए का पक्ष
बीडीए अधिकारियों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। बीडीए के उपाध्यक्ष (वीसी) ने कहा कि गुलजार मेंशन मार्केट का निर्माण नियमों के उल्लंघन में किया गया था और इसे हटाने के लिए सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया। उन्होंने दावा किया कि व्यापारियों को नोटिस जारी किया गया था और उन्हें पर्याप्त समय दिया गया था। बीडीए के एक अधिकारी ने कहा, “यह कार्रवाई अवैध निर्माण को हटाने के लिए थी। हमने किसी के साथ कोई सांठगांठ नहीं की है। व्यापारियों के दावों की जांच की जाएगी, लेकिन हमारा काम पूरी तरह पारदर्शी है।”
हालांकि, व्यापारियों ने बीडीए के इस दावे पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अगर नक्शे स्वीकृत थे और मामला कोर्ट में था, तो इतनी जल्दबाजी में कार्रवाई क्यों की गई? व्यापारियों ने यह भी आरोप लगाया कि बीडीए ने नोटिस की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी नहीं रखा और कई दुकानदारों तक नोटिस पहुंचा ही नहीं।
व्यापारियों का प्रदर्शन और पुलिस की भूमिका
शनिवार सुबह जैसे ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू हुई, व्यापारी बीडीए कार्यालय पहुंचे और अधिकारियों का घेराव किया। इस दौरान बीडीए वीसी और व्यापारियों के बीच जमकर नोकझोंक हुई। व्यापारी धरने पर बैठ गए और कार्रवाई को रोकने की मांग की, लेकिन बीडीए ने उनकी मांगों को अनसुना कर दिया। कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल तैनात था, जिसमें कई थानों की पुलिस, सीओ सिटी, और मजिस्ट्रेट मौजूद थे। पुलिस ने व्यापारियों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन तनावपूर्ण माहौल बना रहा।
राजनीतिक विवाद और प्रतिक्रियाएं
यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी (सपा), ने इस कार्रवाई को लेकर बीडीए और भाजपा पर निशाना साधा है। सपा के स्थानीय नेताओं ने कहा कि यह कार्रवाई छोटे व्यापारियों के खिलाफ “साजिश” है और बीडीए का यह कदम बड़े कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए उठाया गया। सपा नेता शहजिल इस्लाम ने कहा, “बीडीए की कार्रवाई पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है। व्यापारियों की आजीविका छीन ली गई, और यह सब भाजपा के इशारे पर हुआ है। हम इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे।”
दूसरी ओर, भाजपा ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। पार्टी के एक स्थानीय नेता ने कहा कि बीडीए ने नियमों के तहत कार्रवाई की है और इसमें किसी तरह की सांठगांठ नहीं है। उन्होंने कहा, “विपक्ष इस मामले को तूल देकर राजनीति कर रहा है। बीडीए का काम अवैध निर्माण को रोकना है, और यह उसी दिशा में उठाया गया कदम है।”
व्यापारियों की मांग और भविष्य की रणनीति
ध्वस्तीकरण के बाद व्यापारियों ने बीडीए और प्रशासन के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। व्यापारी मंडल ने घोषणा की कि वे इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर करेंगे और बीडीए के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग करेंगे। इसके अलावा, व्यापारियों ने मुआवजे की मांग भी की है, ताकि उनका नुकसान कम हो सके।
एक व्यापारी नेता ने कहा, “हमारी जिंदगी भर की कमाई इन दुकानों में थी। बीडीए ने हमें बर्बाद कर दिया। हम कोर्ट जाएंगे और इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएंगे।” व्यापारियों ने यह भी मांग की कि बीडीए के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो, जिन्होंने कथित तौर पर जल्दबाजी में यह कार्रवाई की।
