• October 14, 2025

लखनऊ: पहलगाम घटना के विरोध में मुसलमानों ने फूंका पाकिस्तान का झंडा, कहा- उस देश को मिट्टी में मिलाने का समय

लखनऊ, 25 अप्रैल 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, के विरोध में लखनऊ में मुस्लिम समुदाय ने आज जोरदार प्रदर्शन किया। आसिफी मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद सैकड़ों लोगों ने पाकिस्तान का झंडा जलाया और “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने इस हमले को अमानवीय और इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने की मांग की।
आसिफी मस्जिद में प्रदर्शन और मौलाना की अपील
जुमे की नमाज के बाद आसिफी मस्जिद के बाहर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एकत्र होकर अपनी नाराजगी जाहिर की। मौलाना कल्बे जव्वाद ने इस मौके पर कहा, “पहलगाम में आतंकियों ने धर्म के नाम पर 26 बेगुनाह लोगों की हत्या की, जिसमें एक नेपाली नागरिक और एक स्थानीय मुस्लिम पोर्टर भी शामिल था। यह इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है। पाकिस्तान और इजरायल को आतंकी देश घोषित करना चाहिए।” उन्होंने सरकार से मांग की कि पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं और आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जाए।
प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने गुस्से में कहा, “पाकिस्तान को मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। यह देश आतंकवाद का गढ़ बन चुका है और इसे बख्शा नहीं जाना चाहिए।” प्रदर्शनकारियों ने काले पट्टे बांधे और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई।
पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरण वैली में आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें 26 लोग मारे गए और 20 से ज्यादा घायल हुए। यह हमला 2008 के मुंबई हमले के बाद सबसे घातक आतंकी घटनाओं में से एक है। द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), जो पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का एक सहयोगी संगठन है, ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। आतंकियों ने पुरुष पर्यटकों को निशाना बनाया और कुछ को कथित तौर पर उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मारी। हमले में मारे गए लोगों में ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे, लेकिन एक नेपाली नागरिक और एक स्थानीय मुस्लिम पोर्टर भी शामिल थे।
लखनऊ में पहले भी हुए प्रदर्शन
इससे पहले, 23 और 24 अप्रैल को भी लखनऊ में पहलगाम हमले के खिलाफ कई प्रदर्शन हुए। विश्व हिंदू रक्षा परिषद ने 23 अप्रैल को पाकिस्तान का पुतला जलाया और “पाकिस्तान मुर्दाबाद” के नारे लगाए। 24 अप्रैल को लखनऊ के ट्रैवल ट्रेड एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (TTAUP) ने ताज रेजिडेंसी से 1090 क्रॉसिंग तक एक मूक कैंडल मार्च निकाला। उसी दिन, लखनऊ व्यापार मंडल ने हजरतगंज में मशाल जुलूस निकाला और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
मुस्लिम समुदाय की एकजुटता
लखनऊ में मुस्लिम समुदाय ने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। लखनऊ ईदगाह के इमाम, मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने 23 अप्रैल को दरुल उलूम फरंगी महल और शाहीन अकादमी के छात्रों के साथ विशेष दुआ का आयोजन किया और कहा, “हम इस आतंकी हमले की सबसे कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। यह एकता और अखंडता के खिलाफ साजिश है।” जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी शुक्रवार को अपने संबोधन में आतंकवाद को इस्लाम के खिलाफ बताया और एकता की अपील की।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी मुस्लिम समुदाय से अपील की थी कि वे जुमे की नमाज के दौरान काले पट्टे बांधकर आतंकवाद की निंदा करें। लखनऊ में कई मुस्लिम संगठनों ने इस अपील का समर्थन किया और प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ 1960 के सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया और अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया। भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए और राजनयिक संबंधों को भी कम कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “इस जघन्य कृत्य के पीछे जो भी हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।” वहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया और इसे भारत की आंतरिक समस्या बताया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, पूर्व ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक, और बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता दिखाई। हालांकि, पाकिस्तान के इनकार पर भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया और इसे आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला देश करार दिया।
आगे की चुनौतियां
यह हमला कश्मीर में शांति और पर्यटन पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। हमले के बाद कश्मीर से पर्यटकों का पलायन शुरू हो गया है, और 35% बुकिंग्स रद्द हो चुकी हैं। स्थानीय लोगों और पर्यटन से जुड़े व्यवसायियों में डर का माहौल है। साथ ही, सोशल मीडिया पर कश्मीरी और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत भरे संदेशों की बाढ़ आ गई है, जिससे तनाव और बढ़ गया है।
लखनऊ में मुस्लिम समुदाय का यह प्रदर्शन न केवल आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि भारत का मुस्लिम समुदाय शांति और भाईचारे में विश्वास रखता है। हालांकि, इस घटना ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है, और आने वाले दिनों में हालात और गंभीर हो सकते हैं।
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Rama Niwash Pandey

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