CLAT 2025: दिल्ली हाईकोर्ट ने परिणाम संशोधन के लिए दिया चार सप्ताह का समय, संशोधित परिणाम जल्द होंगे जारी
नई दिल्ली, 23 अप्रैल 2025: दिल्ली हाईकोर्ट ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) 2025 के परिणामों में उत्तर कुंजी (आंसर की) की त्रुटियों के कारण संशोधन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (NLUs) के कंसोर्टियम को मार्कशीट संशोधित करने और अंतिम चयनित उम्मीदवारों की सूची चार सप्ताह के भीतर दोबारा प्रकाशित करने का आदेश दिया है। यह फैसला CLAT UG 2025 के परिणामों को चुनौती देने वाली 11 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 23 अप्रैल 2025 को दोपहर 2:30 बजे मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की डिवीजन बेंच द्वारा सुनाया गया।
पृष्ठभूमि और कोर्ट का फैसला
CLAT 2025 का आयोजन 1 दिसंबर 2024 को हुआ था, और परिणाम 7 दिसंबर 2024 को घोषित किए गए थे। हालांकि, कई उम्मीदवारों ने उत्तर कुंजी में कथित त्रुटियों और सामान्यीकरण प्रक्रिया में अनियमितताओं का हवाला देते हुए विभिन्न हाईकोर्ट्स में याचिकाएं दायर की थीं। 6 फरवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी CLAT 2025 से संबंधित याचिकाओं को एकसमान निर्णय सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था।
20 दिसंबर 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट के एकल जज, जस्टिस ज्योति सिंह ने 17 वर्षीय CLAT उम्मीदवार आदित्य सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि CLAT UG 2025 के सेट A में प्रश्न संख्या 14 और 100 के उत्तर गलत थे। कोर्ट ने कंसोर्टियम को निर्देश दिया कि प्रश्न 14 के लिए सभी उम्मीदवारों को, जिन्होंने विकल्प ‘C’ चुना था, अंक दिए जाएं और प्रश्न 100 को मूल्यांकन से हटा दिया जाए। कोर्ट ने कहा, “प्रश्न 14 और 100 में त्रुटियां स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं, और इन्हें नजरअंदाज करना याचिकाकर्ता के साथ अन्याय होगा।”
कंसोर्टियम ने इस आदेश के खिलाफ अपील की, लेकिन 24 दिसंबर 2024 को डिवीजन बेंच ने एकल जज के फैसले में कोई प्रारंभिक त्रुटि नहीं पाई और अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। 23 अप्रैल 2025 को अंतिम सुनवाई के बाद, डिवीजन बेंच ने कुछ याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों को स्वीकार किया और कंसोर्टियम को निर्देश दिया कि वह चार सप्ताह के भीतर परिणाम संशोधित करे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन उम्मीदवारों ने आपत्ति दर्ज करने की समय सीमा के भीतर शिकायत नहीं की, उनकी आपत्तियों पर विचार नहीं किया जाएगा।

संशोधन का विवरण
दिल्ली हाईकोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश दिए:
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प्रश्न 14 (सेट A): विकल्प ‘C’ को सही माना जाए, और सभी उम्मीदवारों को, जिन्होंने यह विकल्प चुना, पूर्ण अंक दिए जाएं।
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प्रश्न 100 (सेट A): इस प्रश्न को मूल्यांकन से हटा दिया जाए, क्योंकि कोई भी विकल्प सही नहीं था।
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कंसोर्टियम को सभी उम्मीदवारों की मार्कशीट संशोधित करने और नई मेरिट सूची प्रकाशित करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है
हालांकि, याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए अन्य प्रश्नों (जैसे प्रश्न 37, 67, और 68) पर कोर्ट ने एकल जज के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें इन आपत्तियों को खारिज किया गया था।
परिणामों और काउंसलिंग पर प्रभाव
CLAT 2025 की काउंसलिंग प्रक्रिया, जो मूल रूप से 11 दिसंबर 2024 से शुरू होने वाली थी, कोर्ट के आदेश के कारण स्थगित कर दी गई थी। पहली प्रवेश सूची, जो 26 दिसंबर 2024 को जारी होने वाली थी, भी टल गई है। संशोधित परिणामों के प्रकाशन के बाद कंसोर्टियम जल्द ही नया काउंसलिंग शेड्यूल जारी करेगा। उम्मीदवारों को सलाह दी गई है कि वे आधिकारिक वेबसाइट (consortiumofnlus.ac.in) पर अपडेट्स देखते रहें।
CLAT UG 2025 के संशोधित परिणामों से उम्मीदवारों की रैंकिंग में बदलाव हो सकता है, जिसका असर शीर्ष NLUs में दाखिले पर पड़ेगा। उदाहरण के लिए, याचिकाकर्ता आदित्य सिंह ने दावा किया था कि उत्तर कुंजी में सुधार से उनका स्कोर 87 से 93.25 हो सकता है, जिससे उनकी रैंकिंग में सुधार होगा।
CLAT PG 2025 पर स्थिति
CLAT PG 2025 से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई 2 मई 2025 को निर्धारित की गई है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्नातक (UG) और स्नातकोत्तर (PG) मामलों को अलग-अलग सुना जाएगा, क्योंकि UG प्रवेश की तात्कालिकता अधिक है।
सामाजिक और शैक्षणिक प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ यूजर्स ने कोर्ट के फैसले की सराहना की, इसे उम्मीदवारों के लिए न्यायपूर्ण बताया। एक यूजर ने लिखा, “दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है। गलत उत्तर कुंजी से हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर था।” दूसरी ओर, कुछ ने काउंसलिंग में देरी पर चिंता जताई, क्योंकि इससे शैक्षणिक सत्र प्रभावित हो सकता है।
शैक्षणिक विशेषज्ञों ने कंसोर्टियम को सलाह दी है कि भविष्य में ऐसी त्रुटियों से बचने के लिए बेहतर प्रश्न पत्र तैयार करने वालों को नियुक्त किया जाए। कोर्ट ने भी अपनी टिप्पणी में कहा था, “कंसोर्टियम को भविष्य में बेहतर पेपर सेटर्स नियुक्त करने चाहिए।
