वाराणसी: दो बच्चों के पिता ने लगाया फंदा, चाय लेकर पहुंची पत्नी लाश देख बेसुध, मासूम बच्चे बिलख पड़े
वाराणसी, 23 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में मंगलवार रात एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां आर्थिक तंगी और बेरोजगारी से जूझ रहे दो बच्चों के पिता ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना चोलापुर थाना क्षेत्र के गौरा गांव की है, जहां 32 वर्षीय रमेश यादव ने अपने घर में पंखे से फांसी लगाकर जान दे दी। सुबह चाय लेकर कमरे में पहुंची पत्नी ने पति का शव लटकता देखा तो वह बेसुध हो गई, वहीं मासूम बच्चों की चीख-पुकार से पूरे गांव में मात coeffम छा गया।
घटना का विवरण
पुलिस के अनुसार, रमेश यादव पिछले कुछ महीनों से बेरोजगारी के कारण गहरे तनाव में थे। वह मजदूरी और छोटे-मोटे काम करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे, लेकिन हाल के दिनों में उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा था। रमेश के परिवार में उनकी पत्नी राधिका (28), 8 वर्षीय बेटा अंकित, और 5 वर्षीय बेटी रिया शामिल हैं। मंगलवार रात रमेश ने परिवार के साथ खाना खाया और सामान्य व्यवहार करते हुए अपने कमरे में चले गए।
बुधवार सुबह करीब 6 बजे राधिका चाय लेकर रमेश को जगाने कमरे में गई। वहां पंखे से लटकता उनका शव देखकर वह चीख पड़ी और बेहोश हो गई। बच्चों ने मां की चीख सुनी तो वे भी कमरे की ओर दौड़े और पिता को फंदे पर लटकता देख बिलखने लगे। पड़ोसियों ने शोर सुनकर मौके पर पहुंचकर पुलिस को सूचना दी। चोलापुर थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
परिवार का दर्द और आर्थिक तंगी
रमेश के परिवार के अनुसार, वह पिछले कुछ समय से काम की तलाश में इधर-उधर भटक रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद से उनके लिए रोजगार के अवसर बेहद कम हो गए थे। पड़ोसियों ने बताया कि रमेश अक्सर अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित रहते थे और परिवार के भविष्य की चिंता उन्हें सताती थी। उनकी पत्नी राधिका ने बताया, “वह हर दिन काम की तलाश में निकलते थे, लेकिन खाली हाथ लौटते थे। कल रात भी वह उदास थे, लेकिन हमें नहीं पता था कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेंगे।”
रमेश के 8 वर्षीय बेटे अंकित और 5 वर्षीय बेटी रिया अभी इस सदमे से उबर नहीं पाए हैं। पड़ोसियों ने बताया कि बच्चे बार-बार अपने पिता को याद कर रो रहे हैं। एक पड़ोसी, श्यामलाल, ने कहा, “रमेश बहुत मेहनती इंसान थे, लेकिन बेरोजगारी ने उन्हें तोड़ दिया। उनके बच्चों का रोना देखकर कोई भी अपने आंसू नहीं रोक सकता।”

पुलिस की जांच और प्रारंभिक जानकारी
चोलापुर थाना प्रभारी राजेश त्रिपाठी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है। उन्होंने कहा, “घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, लेकिन परिवार और पड़ोसियों के बयानों से पता चलता है कि रमेश आर्थिक तंगी और बेरोजगारी से परेशान थे।” पुलिस ने रमेश के शव का पंचनामा भरकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है।
पुलिस ने यह भी बताया कि रमेश की पत्नी और बच्चों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अन्य कारण तो इस घटना के पीछे नहीं है। थाना प्रभारी ने कहा, “हम सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं। फिलहाल, यह आर्थिक तंगी के कारण उठाया गया कदम लगता है।”
प्रशासन की ओर से सहायता
जिला प्रशासन ने रमेश के परिवार के लिए तत्काल सहायता की घोषणा की है। वाराणसी के जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने कहा, “यह एक दुखद घटना है। हम पीड़ित परिवार को सरकारी योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता और अन्य मदद प्रदान करेंगे।” प्रशासन ने राधिका और उनके बच्चों के लिए अस्थायी राहत के रूप में खादyan सामग्री और नकद सहायता की व्यवस्था की है। इसके अलावा, रमेश की पत्नी को मनोवैज्ञानिक परामर्श देने के लिए एक टीम भेजी गई है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी लोगों का ध्यान खींचा है। एक्स पर कई यूजर्स ने रमेश के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की और सरकार से बेरोजगारी के मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की मांग की। एक यूजर ने लिखा, “रमेश जैसे लाखों लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। सरकार को रोजगार सृजन पर ध्यान देना होगा, वरना ऐसी त्रासदियां बढ़ती रहेंगी।”
समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता ने इस घटना को सरकार की नीतियों की विफलता करार दिया और कहा, “युवाओं को रोजगार न मिलने के कारण परिवार तबाह हो रहे हैं। रमेश की मौत एक चेतावनी है।” वहीं, बीजेपी के स्थानीय विधायक ने पीड़ित परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
बेरोजगारी और मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल
यह घटना एक बार फिर बेरोजगारी और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को सामने लाती है। मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रीति मिश्रा ने कहा, “आर्थिक तंगी और बेरोजगारी से होने वाला तनाव कई बार लोगों को इतना निराश कर देता है कि वे आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। समाज और सरकार को मिलकर ऐसे लोगों की मदद के लिए काउंसलिंग सेंटर और रोजगार योजनाएं शुरू करनी चाहिए।”
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल सिंह ने कहा, “मलिन बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी एक बड़ा संकट है। सरकार को छोटे स्तर पर रोजगार सृजन और कौशल विकास पर ध्यान देना होगा ताकि रमेश जैसे लोग अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें।”
