सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में ढक्कन न होने से 20 फुट गहरे टैंक में गिरा 8 साल का बच्चा, परिवार में मचा कोहराम
लखनऊ, 22 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार शाम एक दिल दहला देने वाले हादसे ने एक परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। गोमती नगर थाना क्षेत्र के एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में खेलते समय 8 वर्षीय रितेश 20 फुट गहरे टैंक में गिर गया। टैंक का ढक्कन खुला होने के कारण यह हादसा हुआ। बच्चे को बचाने के लिए आरक्षी अवधेश ने अपनी जान जोखिम में डालकर टैंक में उतरने की बहादुरी दिखाई, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद रितेश की जान नहीं बच सकी। इस घटना ने नगर निगम और प्रशासन की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसे का विवरण
घटना सोमवार, 21 अप्रैल 2025 की शाम करीब 5:30 बजे गोमती नगर के एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पास हुई। रितेश, जो कक्षा 3 का छात्र था, अपने बड़े भाई रूपेश (12 वर्ष) और दो बहनों, रीना (10 वर्ष) और प्रिया (6 वर्ष) के साथ प्लांट के पास खेल रहा था। यह प्लांट गोमती नगर के रिहायशी इलाके के करीब स्थित है, जहां बच्चे अक्सर खेलने जाते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रितेश खेलते-खेलते प्लांट की रेलिंग पर चढ़ गया। रेलिंग पर असंतुलन होने के कारण वह सीधे 20 फुट गहरे सीवेज टैंक में गिर गया। टैंक का ढक्कन न होने के कारण बच्चे को बचाने का कोई मौका नहीं मिला।
रूपेश और उसकी बहनों ने शोर मचाकर आसपास के लोगों को बुलाया। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस और दमकल विभाग को सूचित किया। गोमती नगर थाने से आरक्षी अवधेश मौके पर पहुंचे और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बिना देर किए अपनी जान जोखिम में डालकर टैंक में उतर गए। टैंक में जहरीली गैस और गंदे पानी के कारण बचाव कार्य बेहद जोखिम भरा था। अवधेश ने रस्सियों और स्थानीय लोगों की मदद से रितेश को बाहर निकाला, लेकिन तब तक बच्चे की सांसें थम चुकी थीं।
रितेश को तुरंत लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों के अनुसार, टैंक में जहरीली गैस के कारण दम घुटने और गहरे पानी में डूबने से रितेश की मौत हुई।

आरक्षी अवधेश की बहादुरी
आरक्षी अवधेश की इस घटना में दिखाई गई बहादुरी की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। टैंक में जहरीली गैस और खतरनाक परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए बच्चे को बचाने की कोशिश की। स्थानीय निवासी राजेश ने बताया, “अवधेश जी ने बिना सोचे-समझे टैंक में छलांग लगा दी। वह खुद भी बेहोश होने की कगार पर थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अगर ढक्कन होता, तो शायद यह नौबत ही न आती।”
अवधेश को बचाव कार्य के दौरान जहरीली गैस के संपर्क में आने के कारण हल्की चक्कर की शिकायत हुई, जिसके लिए उन्हें अस्पताल में प्राथमिक उपचार दिया गया। गोमती नगर थाना प्रभारी ने अवधेश की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा, “हमारे जवान ने अपनी जान जोखिम में डालकर मानवता की मिसाल पेश की। यह बेहद दुखद है कि बच्चे की जान नहीं बच सकी।”
परिवार का दर्द और गुस्सा
रितेश के परिवार में इस हादसे के बाद मातम छा गया। रितेश चार भाई-बहनों में सबसे کوچک था और परिवार का लाडला था। उसके पिता रामपाल, जो एक दिहाड़ी मजदूर हैं, और मां सुनीता इस सदमे से पूरी तरह टूट चुके हैं। सुनीता ने रोते हुए कहा, “मेरा बेटा सिर्फ खेलने गया था। अगर टैंक का ढक्कन होता या रेलिंग ऊंची होती, तो मेरा लाल आज मेरे पास होता। नगर निगम ने हमें अनाथ कर दिया।”
परिवार ने नगर निगम और प्लांट के रखरखाव करने वाली निजी कंपनी पर लापरवाही का आरोप लगाया। रामपाल ने कहा, “हम गरीब लोग हैं, लेकिन क्या हमारे बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं? हमने पहले भी शिकायत की थी कि प्लांट के आसपास सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं, लेकिन किसी ने नहीं सुना।”
ग्रामीणों और स्थानीय लोगों का आक्रोश
हादसे की खबर फैलते ही सैकड़ों स्थानीय लोग और ग्रामीण मौके पर जमा हो गए और नगर निगम के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। लोगों का कहना है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के आसपास कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं। टैंक का ढक्कन न होना, रेलिंग की कम ऊंचाई, और चेतावनी बोर्ड का अभाव इस हादसे की प्रमुख वजहें हैं।
स्थानीय निवासी संजय ने बताया, “यह प्लांट कई सालों से ऐसा ही है। बच्चे और जानवर अक्सर यहां आते हैं, लेकिन कोई सुरक्षा नहीं है। नगर निगम और ठेकेदार केवल पैसा कमाने में लगे हैं। अगर आज रितेश की जान गई, तो कल कोई और बच्चा इसका शिकार हो सकता है।” लोगों ने मांग की कि लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और पीड़ित परिवार को तत्काल मुआवजा दिया जाए।
प्रशासन और नगर निगम की प्रतिक्रिया
हादसे की सूचना मिलते ही गोमती नगर थाना पुलिस, दमकल विभाग, और जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया और मामले की जांच शुरू कर दी। गोमती नगर थाना प्रभारी अनिल शर्मा ने बताया, “हमने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। यह एक दुखद हादसा है। हम नगर निगम और संबंधित विभागों से बात कर रहे हैं ताकि लापरवाही के कारणों का पता लगाया जा सके।”
नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का रखरखाव एक निजी कंपनी के जिम्मे है। “हम इस मामले की गहन जांच करेंगे। टैंक का ढक्कन न होने की बात गंभीर है, और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों,” उन्होंने कहा।
जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवार को मुआवजे का आश्वासन दिया है। एक अधिकारी ने बताया, “हम राजस्व विभाग की टीम को नुकसान का आकलन करने का आदेश दे रहे हैं। पीड़ित परिवार को नियमानुसार मुआवजा प्रदान किया जाएगा।”
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस हादसे ने लखनऊ में सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भारी हंगामा खड़ा कर दिया है। सोशल मीडिया, विशेष रूप से X पर, लोग नगर निगम और प्रशासन की लापरवाही की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स में सुरक्षा मानकों का पूरी तरह अभाव है। कुछ ने इस हादसे को “प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम” करार दिया।
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम और राज्य सरकार ने सुरक्षा मानकों को लागू करने में पूरी तरह विफल रही है। विपक्षी नेता ने कहा, “यह कोई पहला हादसा नहीं है। हर साल ऐसी घटनाएं होती हैं, लेकिन सरकार केवल आश्वासन देती है। हम मांग करते हैं कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो और पीड़ित परिवार को तत्काल मुआवजा दिया जाए।” सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने जांच का आश्वासन देते हुए कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
बार-बार हो रही ऐसी घटनाएं
यह कोई पहला मामला नहीं है जब सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में सुरक्षा की कमी के कारण हादसा हुआ हो। हाल ही में मेरठ के लोहिया नगर में भी एक बच्चा इसी तरह के हादसे का शिकार हुआ था। उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों, जैसे कानपुर, वाराणसी, और आगरा में भी ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन हादसों ने नगर निगम और निजी ठेकेदारों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स में जहरीली गैस और गहरे टैंकों के कारण ये बेहद खतरनाक होते हैं। अगर इनमें ढक्कन, ऊंची रेलिंग, और चेतावनी बोर्ड जैसे बुनियादी सुरक्षा इंतजाम हों, तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।
भविष्य के लिए सबक
रितेश की मौत ने एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को उजागर किया है। इस घटना से कुछ महत्वपूर्ण सबक निकलते हैं:
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सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन: सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स में टैंकों पर ढक्कन, ऊंची रेलिंग, और चेतावनी बोर्ड अनिवार्य किए जाएं।
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नियमित निरीक्षण: नगर निगम और संबंधित विभागों को प्लांट्स का नियमित निरीक्षण करना चाहिए और रखरखाव की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए।
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जागरूकता अभियान: स्थानीय लोगों और बच्चों को खतरनाक स्थानों से दूर रहने के लिए जागरूक किया जाए।
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तेज कार्रवाई: लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर तत्काल कार्रवाई हो।
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मुआवजा और सहायता: पीड़ित परिवार को तुरंत मुआवजा और आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
