पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के बाहर घायल गोवंश की अनदेखी, महीनों से नहीं लिया गया कोई सुध
कानपुर, 21 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के कानपुर में पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के बाहर एक घायल गोवंश की दयनीय स्थिति ने प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है। यह गोवंश पिछले कई महीनों से कार्यालय के आसपास घायल अवस्था में घूम रहा है, लेकिन न तो पशु चिकित्सा विभाग और न ही स्थानीय प्रशासन ने इसकी सुध लेने की जहमत उठाई। इस घटना ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है, जो गो-संरक्षण के सरकारी दावों पर सवाल उठा रहे हैं।
घायल गोवंश की दयनीय हालत
कानपुर के नौबस्ता क्षेत्र में स्थित पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के बाहर यह गोवंश गंभीर रूप से घायल अवस्था में देखा गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गोवंश के शरीर पर गहरे जख्म हैं, और वह चलने-फिरने में भी असमर्थ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पशु कई महीनों से इसी हालत में कार्यालय के आसपास भटक रहा है। कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने कई बार पशु चिकित्सा अधिकारियों को इसकी जानकारी दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कानपुर के नौबस्ता क्षेत्र में स्थित पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के बाहर यह गोवंश गंभीर रूप से घायल अवस्था में देखा गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गोवंश के शरीर पर गहरे जख्म हैं, और वह चलने-फिरने में भी असमर्थ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पशु कई महीनों से इसी हालत में कार्यालय के आसपास भटक रहा है। कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने कई बार पशु चिकित्सा अधिकारियों को इसकी जानकारी दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
स्थानीय लोगों का आक्रोश
इस मामले ने स्थानीय समुदाय में नाराजगी को जन्म दिया है। एक स्थानीय निवासी, रमेश यादव, ने कहा, “यह शर्मनाक है कि जिस कार्यालय का काम पशुओं का इलाज करना है, उसी के बाहर एक गोवंश इतने समय से तड़प रहा है। सरकार गो-संरक्षण की बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन हकीकत सबके सामने है।” कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले को सोशल मीडिया पर भी उठाया है, जिसके बाद प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बढ़ रहा है।
इस मामले ने स्थानीय समुदाय में नाराजगी को जन्म दिया है। एक स्थानीय निवासी, रमेश यादव, ने कहा, “यह शर्मनाक है कि जिस कार्यालय का काम पशुओं का इलाज करना है, उसी के बाहर एक गोवंश इतने समय से तड़प रहा है। सरकार गो-संरक्षण की बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन हकीकत सबके सामने है।” कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले को सोशल मीडिया पर भी उठाया है, जिसके बाद प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बढ़ रहा है।
पशु चिकित्सा विभाग की चुप्पी
जब इस मामले में पशु चिकित्सा कार्यालय के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कार्यालय में स्टाफ और संसाधनों की कमी है, जिसके कारण कई बार त्वरित कार्रवाई नहीं हो पाती। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी जाएगी।
जब इस मामले में पशु चिकित्सा कार्यालय के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कार्यालय में स्टाफ और संसाधनों की कमी है, जिसके कारण कई बार त्वरित कार्रवाई नहीं हो पाती। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी जाएगी।

गो-संरक्षण नीतियों पर सवाल
उत्तर प्रदेश सरकार ने गो-संरक्षण और गोशालाओं के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं इन नीतियों की जमीनी हकीकत को उजागर करती हैं। हाल के वर्षों में, सड़कों पर घूमने वाले आवारा गोवंश और उनकी देखभाल की कमी को लेकर कई बार सवाल उठे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पशु चिकित्सा विभाग को और अधिक संसाधन और जिम्मेदारी देने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
उत्तर प्रदेश सरकार ने गो-संरक्षण और गोशालाओं के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं इन नीतियों की जमीनी हकीकत को उजागर करती हैं। हाल के वर्षों में, सड़कों पर घूमने वाले आवारा गोवंश और उनकी देखभाल की कमी को लेकर कई बार सवाल उठे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पशु चिकित्सा विभाग को और अधिक संसाधन और जिम्मेदारी देने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
सामाजिक संगठनों की मांग
कानपुर के कुछ पशु कल्याण संगठनों ने इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। पशु प्रेमी संगठन के सदस्य अनिल शर्मा ने कहा, “हम इस गोवंश को तत्काल चिकित्सा सुविधा दिलाने की कोशिश करेंगे। साथ ही, हम प्रशासन से मांग करते हैं कि ऐसी लापरवाही दोबारा न हो।” संगठन ने स्थानीय गोशालाओं से भी संपर्क किया है, ताकि घायल गोवंश को आश्रय और इलाज मिल सके।
कानपुर के कुछ पशु कल्याण संगठनों ने इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। पशु प्रेमी संगठन के सदस्य अनिल शर्मा ने कहा, “हम इस गोवंश को तत्काल चिकित्सा सुविधा दिलाने की कोशिश करेंगे। साथ ही, हम प्रशासन से मांग करते हैं कि ऐसी लापरवाही दोबारा न हो।” संगठन ने स्थानीय गोशालाओं से भी संपर्क किया है, ताकि घायल गोवंश को आश्रय और इलाज मिल सके।
प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव
इस मामले के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जिला प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। कुछ स्थानीय नेताओं ने भी इस मुद्दे को उठाने का वादा किया है। कानपुर के डीएम को इस मामले की जानकारी दी गई है, और उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
इस मामले के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जिला प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। कुछ स्थानीय नेताओं ने भी इस मुद्दे को उठाने का वादा किया है। कानपुर के डीएम को इस मामले की जानकारी दी गई है, और उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
