लखनऊ न्यूज: क्वीन मेरी अस्पताल में बच्चा बदलने का सनसनीखेज आरोप, दंपती ने मचाया हंगामा, डीएनए जांच की मांग
लखनऊ, 20 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित क्वीन मेरी अस्पताल में एक दंपती ने बच्चा बदलने का गंभीर आरोप लगाकर हंगामा मचा दिया। दंपती का दावा है कि प्रसव के बाद अस्पताल ने उन्हें उनका बच्चा देने के बजाय किसी और का बच्चा थमा दिया। इस मामले ने न केवल अस्पताल प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया, बल्कि स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों में भी आक्रोश पैदा कर दिया। दंपती ने बच्चे की सही पहचान के लिए डीएनए जांच की मांग की है, जिसके बाद पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। यह घटना सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बनी हुई है।
घटना का विवरण: बच्चा बदलने का आरोप
डहरपुर क्षेत्र के रहने वाले रामेश्वर और उनकी पत्नी संगीता ने बताया कि संगीता को प्रसव के लिए 18 अप्रैल को क्वीन मेरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। संगीता ने 19 अप्रैल को एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। दंपती के मुताबिक, प्रसव के बाद अस्पताल कर्मियों ने उन्हें बच्ची दिखाई और कहा कि उसे कुछ देर के लिए नवजात शिशु देखभाल इकाई (NICU) में रखा जाएगा। लेकिन जब बच्ची को वापस लाया गया, तो दंपती को संदेह हुआ कि यह उनकी बच्ची नहीं है।
रामेश्वर ने कहा, “जब हमने बच्ची को देखा, तो उसका चेहरा और शारीरिक बनावट हमारी बच्ची से अलग थी। हमने तुरंत अस्पताल कर्मियों से सवाल किया, लेकिन वे हमें समझाने की कोशिश करने लगे। हमें यकीन है कि हमारी बच्ची को किसी और के साथ बदल दिया गया है।” संगीता ने रोते हुए कहा, “हमने अपनी बच्ची को सिर्फ कुछ मिनट के लिए देखा था, लेकिन एक मां को अपनी बच्ची की पहचान हो जाती है। यह बच्ची हमारी नहीं है।”
अस्पताल में हंगामा: परिजनों का आक्रोश
बच्चा बदलने के आरोप के बाद रामेश्वर और संगीता के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैये का आरोप लगाया। दंपती के रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों ने अस्पताल के प्रसव वार्ड के बाहर नारेबाजी की और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की। हंगामे की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस बल तैनात किया गया ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, “दंपती और उनके परिजन बहुत गुस्से में थे। वे बार-बार कह रहे थे कि अस्पताल ने उनकी बच्ची को बदल दिया। अस्पताल कर्मी उन्हें शांत करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन परिजन कुछ सुनने को तैयार नहीं थे।”

डीएनए जांच की मांग
दंपती ने अपनी शंका को दूर करने के लिए बच्चे की डीएनए जांच कराने की मांग की है। रामेश्वर ने कहा, “हमें अपनी बच्ची चाहिए। अगर अस्पताल का दावा है कि यह हमारी बच्ची है, तो डीएनए टेस्ट करवाएं। हम सच जानना चाहते हैं।” संगीता ने भी पुलिस से गुहार लगाई कि उनकी बच्ची की तलाश की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
इस मांग ने हाल ही में झांसी के एक अस्पताल में हुए हादसे की याद दिला दी, जहां नवजात शिशुओं की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट की मांग उठी थी। झांसी में एक अस्पताल के NICU में आग लगने के बाद कई माता-पिता ने अपने बच्चों की सही पहचान के लिए डीएनए जांच की मांग की थी।
अस्पताल प्रशासन का जवाब
क्वीन मेरी अस्पताल के प्रशासन ने बच्चा बदलने के आरोपों को खारिज किया है। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. विनय कुमार ने कहा, “हमारे यहां बच्चे की पहचान के लिए सख्त प्रोटोकॉल हैं। प्रत्येक नवजात को जन्म के तुरंत बाद एक विशेष बैंड पहनाया जाता है, जिसमें माता-पिता का नाम और अन्य विवरण दर्ज होता है। इस मामले में कोई गलती नहीं हुई है। फिर भी, हम दंपती की शंकाओं को दूर करने के लिए जांच कर रहे हैं।”
डॉ. विनय ने यह भी कहा कि दंपती को बच्ची के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी, और अस्पताल कर्मियों ने उन्हें समझाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने दंपती से शांत रहने और जांच में सहयोग करने की अपील की।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
हंगामे की सूचना मिलने के बाद गोमती नगर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने दंपती और उनके परिजनों को शांत कराया और मामले की प्रारंभिक जांच शुरू की। थाना प्रभारी राजेश वर्मा ने बताया, “दंपती ने बच्चा बदलने का आरोप लगाया है और डीएनए जांच की मांग की है। हमने अस्पताल प्रशासन से बात की है और सभी पक्षों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
पुलिस ने यह भी कहा कि डीएनए जांच की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अदालत की अनुमति ली जाएगी। इसके लिए बच्ची, ममता और रामेश्वर के नमूने लिए जाएंगे, जिन्हें फॉरेंसिक लैब में भेजा जाएगा।
सोशल मीडिया पर चर्चा
यह मामला सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गया है। कई यूजर्स ने क्वीन मेरी अस्पताल के प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं, जबकि कुछ ने दंपती के साथ सहानुभूति जताई। एक यूजर ने लिखा, “यह बहुत गंभीर मामला है। अगर बच्चा बदल गया है, तो यह माता-पिता के लिए कितना बड़ा सदमा होगा। डीएनए टेस्ट जल्द से जल्द होना चाहिए।” वहीं, कुछ यूजर्स ने अस्पतालों में पारदर्शिता और सख्त नियमों की जरूरत पर जोर दिया।
पहले भी विवादों में रहा क्वीन मेरी अस्पताल
क्वीन मेरी अस्पताल पहले भी कई बार विवादों में रहा है। पिछले साल प्रसव के दौरान एक महिला की मृत्यु के बाद परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया था। इसके अलावा, अस्पताल में स्टाफ की कमी और मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण कई बार अव्यवस्था की शिकायतें सामने आई हैं। इस घटना ने एक बार फिर अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं।
कानूनी और सामाजिक पहलू
बच्चा बदलने का यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी संवेदनशील है। डीएनए जांच से यह तो स्पष्ट हो जाएगा कि बच्ची दंपती की है या नहीं, लेकिन अगर आरोप सही साबित हुए, तो यह अस्पताल प्रशासन की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करेगा। साथ ही, यह सवाल भी उठता है कि क्या अस्पतालों में नवजात शिशुओं की पहचान के लिए और सख्त प्रणाली की जरूरत है।
कानून के जानकारों का कहना है कि अगर बच्चा बदलने की बात सिद्ध होती है, तो यह आपराधिक मामला बन सकता है, और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है। इसके अलावा, दंपती को मानसिक और भावनात्मक नुकसान के लिए मुआवजा भी मिल सकता है।
सरकार और प्रशासन की भूमिका
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जो स्वास्थ्य विभाग भी संभालते हैं, ने इस मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को तत्काल जांच के निर्देश दिए हैं। पाठक ने कहा, “हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। दंपती की शिकायत की निष्पक्ष जांच होगी, और अगर कोई दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
आगे की राह
फिलहाल, दंपती और उनके परिजन डीएनए जांच के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि मामले की तह तक जाया जाएगा। इस बीच, क्वीन मेरी अस्पताल में सुरक्षा और निगरानी बढ़ा दी गई है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
