कानपुर: भैरव घाट पंपिंग स्टेशन में मुख्य पाइपलाइन फटी, 20 लाख लोगों को पानी की किल्लत का सामना
कानपुर, 19 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में भैरव घाट पंपिंग स्टेशन पर शुक्रवार देर रात एक बड़ा हादसा हो गया। यहां रॉ वॉटर सप्लाई करने वाली मुख्य पाइपलाइन अचानक फट गई, जिससे लाखों लीटर पानी बर्बाद हो गया और पंपिंग स्टेशन के बाहर की सड़क नहर में तब्दील हो गई। इस घटना से शहर के करीब 20 लाख लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, जल संस्थान ने दावा किया है कि पानी की आपूर्ति पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन विशेषज्ञों ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं।
घटना का विवरण
घटना शुक्रवार रात करीब 11 बजे की है, जब भैरव घाट पंपिंग स्टेशन से बेनाझावर क्षेत्र में रॉ वॉटर सप्लाई करने वाली मुख्य पाइपलाइन अचानक फट गई। इससे पंपिंग स्टेशन पर हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि पाइपलाइन फटने की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के इलाकों में लोग डर गए। देखते ही देखते सड़क पर पानी भर गया और सैकड़ों लीटर पानी बहकर बर्बाद हो गया। इस पाइपलाइन के जरिए भैरव घाट से रोजाना 200 मिलियन लीटर प्रतिदिन (MLD) पानी की सप्लाई होती है, जो कानपुर के कई इलाकों की जरूरतों को पूरा करता है।
जल संस्थान के अधिकारियों ने तुरंत मरम्मत कार्य शुरू कर दिया, लेकिन पाइपलाइन की मरम्मत में देरी के कारण पानी की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। स्थानीय निवासी रामलाल ने बताया, “पानी की सप्लाई पहले से ही कम थी, और अब यह घटना हो गई। हमें टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जो बहुत महंगे हैं।”
पानी की किल्लत का खतरा
कानपुर की आबादी करीब 60 लाख है, और शहर में पहले से ही पानी की कमी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। भैरव घाट पंपिंग स्टेशन शहर के लिए पानी का मुख्य स्रोत है, जो गंगा नदी से पानी खींचकर सप्लाई करता है। 2009 में प्रकाशित गुवाहाटी मेट्रोपॉलिटन एरिया के मास्टर प्लान के अनुसार, 2025 तक शहर को 425 MLD पानी की जरूरत होगी, लेकिन वर्तमान में कानपुर जल संस्थान केवल 350 MLD पानी ही सप्लाई कर पा रहा है। भैरव घाट पंपिंग स्टेशन इस सप्लाई का एक बड़ा हिस्सा (200 MLD) पूरा करता है। ऐसे में पाइपलाइन फटने से करीब 20 लाख लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।
पहले भी भैरव घाट पंपिंग स्टेशन की कार्यक्षमता पर सवाल उठते रहे हैं। बिजली की कमी और ड्रेजिंग कार्य में देरी के कारण यह स्टेशन अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाता। 2003 में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भैरव घाट पर ड्रेजिंग कार्य के लिए 14 घंटे की जरूरत होती है, लेकिन कर्मचारियों को असामाजिक तत्वों के हमले के डर से केवल 3-4 घंटे ही काम करना पड़ता है। इस बार पाइपलाइन फटने से स्थिति और गंभीर हो गई है।

जल संस्थान का दावा और विशेषज्ञों की राय
कानपुर जल संस्थान के एक अधिकारी ने दावा किया कि मरम्मत कार्य जल्द पूरा कर लिया जाएगा और पानी की सप्लाई पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, “हमने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत ट्यूबवेल और हैंडपंप से पानी की आपूर्ति बढ़ा दी है। शहरवासियों को परेशानी नहीं होगी।” हालांकि, विशेषज्ञ इस दावे से सहमत नहीं हैं।
जल आपूर्ति विशेषज्ञ प्रो. अशोक शर्मा ने कहा, “भैरव घाट पंपिंग स्टेशन पहले से ही दबाव में है। अगर मरम्मत में देरी हुई, तो कई इलाकों में पानी की सप्लाई पूरी तरह ठप हो सकती है। कानपुर में पहले से ही 650 MLD की मांग के मुकाबले केवल 350 MLD पानी की सप्लाई हो रही है। ऐसे में यह घटना स्थिति को और बदतर कर सकती है।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिलाधिकारी (डीएम) कानपुर ने घटना की जानकारी मिलते ही जल संस्थान को तुरंत मरम्मत कार्य पूरा करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, “हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। पानी की कमी को दूर करने के लिए टैंकरों की व्यवस्था की जा रही है।” इसके अलावा, नगर निगम ने भी प्रभावित इलाकों में पानी के टैंकर भेजने का आश्वासन दिया है।
कानपुर में पानी की समस्या का इतिहास
कानपुर में पानी की समस्या कोई नई बात नहीं है। शहर की तेजी से बढ़ती आबादी, पुरानी पाइपलाइनों, और प्रदूषण ने इस संकट को और गहरा दिया है। 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, गंगा नदी में भैरव घाट पर बैक्टीरिया की मात्रा 3,100 MPN प्रति 100 मिलीलीटर थी, जो स्वीकार्य सीमा (2,500 MPN) से अधिक है। इसके अलावा, अनियोजित शहरीकरण और औद्योगिक कचरे ने भी पानी की गुणवत्ता को प्रभावित किया है।
पिछले कुछ वर्षों में भैरव घाट और अन्य घाटों पर गंगा का जलस्तर बढ़ने से भी कई बार पंपिंग स्टेशन प्रभावित हुए हैं। सितंबर 2024 में भारी बारिश के कारण गंगा का जलस्तर बढ़ गया था, जिससे भैरव घाट सहित कई घाट डूब गए थे। इस बार पाइपलाइन फटने से स्थिति और जटिल हो गई है।
