लखनऊ में रेलवे ट्रैक पर लकड़ी का टुकड़ा मिलने से हड़कंप, साजिश की आशंका
लखनऊ, 17 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक बार फिर रेलवे ट्रैक पर संदिग्ध वस्तु मिलने से हड़कंप मच गया है। रहीमाबाद और दिलावर नगर रेलवे स्टेशनों के बीच ट्रैक पर ढाई फीट लंबा और छह इंच मोटा लकड़ी का टुकड़ा, आम की हरी डालियां, और एक नारंगी गमछा मिला, जिस पर ‘राम’ लिखा हुआ था। यह घटना मंगलवार देर रात (15 अप्रैल 2025) की है, जब सहरसा-आनंद विहार गरीब रथ एक्सप्रेस (05577) सुबह 2:43 बजे इस ट्रैक से गुजरने वाली थी। काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस के लोको पायलट की सतर्कता और समय पर दी गई सूचना ने एक बड़े हादसे को टाल दिया। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और उत्तर प्रदेश पुलिस ने इसे ट्रेन पलटाने की साजिश मानते हुए अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस घटना ने रेलवे सुरक्षा और क्षेत्र में बढ़ती संदिग्ध गतिविधियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
घटना का विवरण
घटना रहीमाबाद थाना क्षेत्र के कैथुलिया और सभाखेड़ा गांवों के बीच रेलवे ट्रैक पर हुई। मंगलवार रात, अज्ञात शरारती तत्वों ने रेलवे ट्रैक पर एक भारी लकड़ी का टुकड़ा रखा, जिसकी लंबाई ढाई फीट और मोटाई छह इंच थी। इसके साथ, आम के पेड़ की हरी डालियां और एक नारंगी गमछा भी रखा गया था, जिस पर ‘राम’ नाम छपा हुआ था। इस गमछे को लकड़ी को छिपाने के लिए इस्तेमाल किया गया माना जा रहा है, ताकि ट्रैक पर रखी वस्तु आसानी से नजर न आए।
उसी ट्रैक से कुछ समय पहले काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस गुजरी थी, जिसके लोको पायलट ने ट्रैक पर संदिग्ध वस्तु देखी और तुरंत रहीमाबाद स्टेशन मास्टर ओम प्रकाश को सूचित किया। स्टेशन मास्टर ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गरीब रथ एक्सप्रेस को मलिहाबाद स्टेशन पर रोक दिया, जिससे ट्रेन संभावित हादसे से बच गई। आरपीएफ इंस्पेक्टर हुकुम सिंह और गैंगमैन राजेश रंजन ने मौके पर पहुंचकर ट्रैक की जांच की और लकड़ी, डालियां, और गमछा हटाया।
इस घटना के कारण रेलवे ट्रैक पर करीब एक घंटे तक संचालन बाधित रहा, जिससे कई ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा, लेकिन समय पर कार्रवाई से सैकड़ों यात्रियों की जान बच गई।

साजिश की आशंका
रेलवे प्रशासन और पुलिस ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और इसे ट्रेन पलटाने की सुनियोजित साजिश माना जा रहा है। आरपीएफ के राजेश रंजन ने बताया कि लकड़ी का टुकड़ा इतना भारी था कि यह चलती ट्रेन को पटरी से उतार सकता था। हरी डालियां और गमछा ट्रैक पर रखी वस्तुओं को छिपाने की कोशिश का हिस्सा प्रतीत होते हैं। घटनास्थल से कुछ दूरी पर और लकड़ियां भी बिखरी मिलीं, जो साजिश की गंभीरता को दर्शाती हैं।
रहीमाबाद थाने में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की गंभीर धाराओं और रेलवे अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरपीएफ और उत्तर प्रदेश पुलिस की संयुक्त टीम जांच में जुटी है, जिसमें सीसीटीवी फुटेज, स्थानीय गतिविधियों, और पुराने मामलों की पड़ताल शामिल है। खुफिया एजेंसियों को भी इस घटना की जानकारी दी गई है, और ट्रैक पर मिली वस्तुओं की फॉरेंसिक जांच की जाएगी।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब लखनऊ या उत्तर प्रदेश में रेलवे ट्रैक पर संदिग्ध वस्तु रखकर ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की गई हो। दिलावर नगर और मलिहाबाद क्षेत्र में यह छह महीने के भीतर दूसरी ऐसी घटना है। 24 अक्टूबर 2024 को मलिहाबाद में बरेली-वाराणसी एक्सप्रेस के ट्रैक पर दो फीट लंबा और 10 किलो वजनी लकड़ी का टुकड़ा मिला था, जो ट्रेन के इंजन में फंस गया था। उस मामले में भी साजिश की आशंका जताई गई थी, लेकिन मलिहाबाद पुलिस ने जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस बंद कर दिया था।
पिछले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में ऐसी घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। उदाहरण के लिए:
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कानपुर, सितंबर 2024: कालिंदी एक्सप्रेस के ट्रैक पर एलपीजी सिलेंडर, पेट्रोल, और बारूद मिला था।
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रायबरेली, अक्टूबर 2024: एक मालगाड़ी सीमेंटेड स्लीपर से टकराई थी।
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बरेली, नवंबर 2024: सैंथल स्टेशन के पास ट्रैक पर सीमेंट की टूटी बेंच रखी गई थी।
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फर्रुखाबाद, अगस्त 2024: युवकों ने ट्रैक पर लकड़ी का टुकड़ा रखा था।
इन घटनाओं ने रेलवे सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं और यह संकेत दिया है कि शरारती तत्व या संगठित समूह रेलवे नेटवर्क को निशाना बना रहे हैं।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना ने सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। एक्स पर कई यूजर्स ने इसे गंभीर साजिश करार देते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है। एक यूजर ने लिखा, “लखनऊ में फिर से ट्रेन पलटाने की साजिश? यह कोई छोटी-मोटी शरारत नहीं, बल्कि सुनियोजित अपराध है।” कुछ यूजर्स ने क्षेत्र के नामों का हवाला देकर सामाजिक टिप्पणियां भी कीं, लेकिन पुलिस ने ऐसी अटकलों पर ध्यान न देने की सलाह दी है।
राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे को उठाया है। कांग्रेस नेता सैयद नसीर हुसैन ने उत्तर प्रदेश में बढ़ती रेल हादसों की साजिशों पर सवाल उठाते हुए भाजपा सरकार को नाकाम बताया। उन्होंने स्वतंत्र जांच की मांग की है।
रेलवे प्रशासन की कार्रवाई
रेलवे प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा शुरू कर दी है। मंडल रेल प्रबंधक राजकुमार सिंह ने बताया कि ट्रैक की निगरानी बढ़ा दी गई है, और क्षेत्र में गश्त तेज कर दी गई है। रेलवे ने लोको पायलट्स और स्टेशन मास्टरों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
इसके अलावा, रेलवे ने स्थानीय समुदायों को जागरूक करने का अभियान शुरू किया है, ताकि ट्रैक के आसपास संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत सूचना दी जाए। रेलवे सुरक्षा बल, सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी), और सिविल पुलिस मिलकर संयुक्त गश्त कर रही हैं।
सामाजिक और सुरक्षा संबंधी चिंताएं
यह घटना रेलवे नेटवर्क की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती है। उत्तर प्रदेश में रेलवे ट्रैक पर बार-बार होने वाली ऐसी घटनाएं दर्शाती हैं कि शरारती तत्व या संगठित समूह रेलवे को निशाना बना रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी साजिशें न केवल यात्रियों की जान को खतरे में डालती हैं, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता को भी प्रभावित कर सकती हैं।
लखनऊ-नई दिल्ली रेल मार्ग एक व्यस्त और महत्वपूर्ण रेल कॉरिडोर है, जिस पर रोजाना हजारों यात्री सफर करते हैं। ऐसी घटनाएं रेलवे की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं और यात्रियों में भय पैदा करती हैं। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा, “रेलवे ट्रैक पर बार-बार ऐसी साजिशें हो रही हैं। क्या सरकार और रेलवे प्रशासन इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाएंगे?”
भविष्य के लिए सुझाव
इस घटना के बाद रेलवे और प्रशासन को कई कदम उठाने की जरूरत है:
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उन्नत निगरानी प्रणाली: रेलवे ट्रैकों पर सीसीटीवी और ड्रोन निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए।
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खुफिया तंत्र को मजबूत करना: संदिग्ध गतिविधियों की पहले से जानकारी के लिए खुफिया एजेंसियों की सक्रियता बढ़ानी होगी।
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कानूनी कार्रवाई: दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और त्वरित सजा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
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सामुदायिक सहयोग: स्थानीय लोगों को रेलवे सुरक्षा के लिए जागरूक और शामिल किया जाना चाहिए।
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तकनीकी उन्नयन: ट्रैक पर बाधा डिटेक्शन सेंसर जैसे उपकरण लगाए जा सकते हैं।
