• April 19, 2025

कानपुर: फीस जमा नहीं करने पर परीक्षा देने से रोका, परेशान छात्रा ने किया आत्मदाह का प्रयास

कानपुर, 17 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के चौबेपुर क्षेत्र में एक नर्सिंग कॉलेज में फीस जमा न करने के कारण एक छात्रा को परीक्षा से वंचित किए जाने का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। इस घटना से आहत छात्रा ने कॉलेज के गेट के सामने पेट्रोल डालकर आत्मदाह का प्रयास किया। सौभाग्य से, साथी छात्राओं और पुलिस की त्वरित कार्रवाई के कारण उसकी जान बच गई। इस घटना ने न केवल कॉलेज प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक दबाव और मानसिक उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर किया है।
घटना का विवरण
घटना चौबेपुर के साईं नर्सिंग कॉलेज की है, जहां जेएनएम (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी) द्वितीय वर्ष की एक छात्रा को बैक पेपर परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया। छात्रा की ओर से बताए गए तथ्यों के अनुसार, कॉलेज प्रबंधन ने बैक पेपर के लिए 2,000 रुपये की अतिरिक्त फीस की मांग की थी, जो वह आर्थिक तंगी के कारण जमा नहीं कर पाई। गुरुवार, 17 अप्रैल 2025, को बैक पेपर परीक्षा का अंतिम दिन था, और फीस न जमा होने के कारण छात्रा को परीक्षा हॉल में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
इस अपमान और अपने करियर पर मंडराते खतरे से परेशान छात्रा ने हताशा में कॉलेज गेट के सामने पेट्रोल की बोतल लेकर आत्मदाह का प्रयास किया। वह सुबह कॉलेज पहुंची और गेट पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगाने की कोशिश की। साथी छात्राओं ने तुरंत उसे रोक लिया और पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने छात्रा को शांत कराया और कॉलेज प्रबंधन के साथ बातचीत कर मामले के समाधान का आश्वासन दिया।
कॉलेज प्रबंधन का पक्ष
कॉलेज के प्राचार्य राजेश कुमार यादव ने दावा किया कि छात्रा की नियमित फीस बकाया थी, और बैक पेपर के लिए अतिरिक्त शुल्क कॉलेज की नीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कॉलेज ने छात्रा को फीस जमा करने के लिए पर्याप्त समय दिया था, और इस मामले में कोई अनुचित व्यवहार नहीं किया गया। प्राचार्य ने यह भी बताया कि छात्रा के साथ बातचीत कर समाधान का प्रयास किया जा रहा है।
हालांकि, छात्रा और उसके साथियों का आरोप है कि कॉलेज प्रबंधन ने फीस के नाम पर अनावश्यक दबाव बनाया और उसे अपमानित किया। यह भी बताया गया कि कॉलेज ने पहले भी कई छात्राओं को इसी तरह की समस्याओं का सामना करने के लिए मजबूर किया है।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
चौबेपुर थाने के प्रभारी निरीक्षक राजकुमार सिंह राठौर ने बताया कि पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने में बुलाकर बातचीत शुरू की है। उन्होंने कहा कि छात्रा की शिकायत पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है, और कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी यदि कोई गलती पाई गई। इसके अतिरिक्त, जिला प्रशासन ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
जिलाधिकारी ने एक जांच समिति गठित करने का निर्देश दिया है, जो कॉलेज की फीस नीति, छात्रों के साथ व्यवहार, और इस घटना के कारणों की गहराई से जांच करेगी। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब कानपुर या उत्तर प्रदेश में फीस से संबंधित विवादों ने छात्रों को मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित किया है।
तुलना अन्य घटनाओं से
यह घटना हाल के वर्षों में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में फीस न जमा होने के कारण छात्रों द्वारा उठाए गए चरम कदमों की श्रृंखला में एक और कड़ी है। उदाहरण के लिए:
  • प्रतापगढ़, मार्च 2025: कक्षा 9 की छात्रा रिया प्रजापति को 800 रुपये की बकाया फीस के कारण कमला शरण यादव इंटर कॉलेज में परीक्षा से रोक दिया गया। अपमानित होने के बाद रिया ने घर जाकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस मामले में प्रिंसिपल सहित पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।

  • प्रतापगढ़, फरवरी 2025: 12वीं कक्षा के छात्र शिवम सिंह को 5,000 रुपये की बकाया फीस के कारण साधुरी शिरोमणि इंटर कॉलेज में प्रवेश पत्र नहीं दिया गया। निराश होकर शिवम ने आत्महत्या कर ली।

  • सूरत, जनवरी 2025: गुजरात के सूरत में आठवीं कक्षा की एक छात्रा को फीस न जमा होने के कारण परीक्षा से रोका गया और कक्षा के बाहर खड़ा किया गया। उसने घर जाकर आत्महत्या कर ली।

  • हरियाणा, दिसंबर 2024: भिवानी में एक दलित छात्रा को बीए अंतिम वर्ष की परीक्षा में फीस न जमा होने के कारण प्रवेश से वंचित किया गया, जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली।

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि फीस से संबंधित दबाव और अपमान छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई युवा चरम कदम उठा रहे हैं।
सामाजिक और नीतिगत मुद्दे
यह घटना कई गंभीर सामाजिक और नीतिगत सवाल उठाती है:
  1. शिक्षा का अधिकार: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत शिक्षा एक मौलिक अधिकार है। फिर भी, निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा फीस के नाम पर छात्रों को परीक्षा से वंचित करना इस अधिकार का उल्लंघन है।

  2. आर्थिक असमानता: गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए निजी कॉलेजों की ऊंची फीस और अतिरिक्त शुल्क एक बड़ा बोझ हैं। इस मामले में छात्रा की आर्थिक तंगी ने उसे मानसिक रूप से तोड़ दिया।

  3. मानसिक स्वास्थ्य: छात्रों पर फीस, परीक्षा, और सामाजिक अपमान का दबाव उनके मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। स्कूलों और कॉलेजों में काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य सहायता की कमी एक बड़ी समस्या है।
  4. निजी संस्थानों की जवाबदेही: निजी कॉलेजों और स्कूलों की फीस नीतियों और छात्रों के साथ व्यवहार पर कोई सख्त नियामक ढांचा नहीं है। मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में फीस न जमा होने पर परीक्षा से रोकने पर प्रतिबंध है, लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसी नीति का अभाव है।

सामाजिक प्रतिक्रियाएं और मांगें
इस घटना ने सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। एक एक्स पोस्ट में यूजर ने लिखा, “शिक्षा के नाम पर छात्रों को अपमानित करना और उनके भविष्य से खिलवाड़ करना बंद होना चाहिए। साईं नर्सिंग कॉलेज के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।” स्थानीय पंचायत सदस्यों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना की निंदा की है और कॉलेज की फीस नीति की जांच की मांग की है।
प्रतापगढ़ की घटना का जिक्र करते हुए वकील मोहम्मद आरिफ ने कहा, “अगर शिक्षा के नाम पर छात्रों को इस हद तक धकेला जाता है, तो प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।”
भविष्य के लिए सुझाव
इस घटना के बाद कुछ कदम उठाए जाने की जरूरत है:
  1. फीस नीति में सुधार: निजी कॉलेजों को बकाया फीस के लिए छात्रों को परीक्षा से वंचित करने के बजाय किश्तों में भुगतान या अंडरटेकिंग जैसे विकल्प देने चाहिए। मध्य प्रदेश की नीति को उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जा सकता है।

  2. मानसिक स्वास्थ्य सहायता: स्कूलों और कॉलेजों में काउंसलिंग सेंटर स्थापित किए जाने चाहिए, ताकि छात्र तनाव और अपमान से निपट सकें।
  3. कानूनी कार्रवाई: कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ मानसिक उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे आरोपों की गहन जांच होनी चाहिए

  4. जागरूकता अभियान: सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को शिक्षा के अधिकार और आर्थिक सहायता योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए।
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