हाईकोर्ट: 30 साल से फरार मुजरिम की उम्रकैद पर मुहर, SSP को गिरफ्तारी का आदेश
लखनऊ, 15 अप्रैल 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 साल से फरार एक मुजरिम की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को उसे तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। यह मामला 1994 के एक हत्याकांड से जुड़ा है, जिसमें अभियुक्त को निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन वह सजा के बाद से फरार चल रहा था। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई और SSP को जल्द से जल्द अभियुक्त को पकड़ने के लिए कड़े निर्देश दिए।
मामले का विवरण
यह मामला उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का है, जहां 1994 में एक व्यक्ति की हत्या के मामले में निचली अदालत ने अभियुक्त राम सिंह (बदला हुआ नाम) को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने के बाद राम सिंह फरार हो गया और पिछले 30 साल से उसका कोई सुराग नहीं मिला। पीड़ित परिवार ने इस मामले को हाईकोर्ट में उठाया, जिसमें यह तर्क दिया गया कि पुलिस ने फरार अभियुक्त को पकड़ने में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया।
हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस विवेक वर्मा शामिल थे, ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए अभियुक्त की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। साथ ही, कोर्ट ने जौनपुर के SSP को आदेश दिया कि वह तीन महीने के भीतर अभियुक्त को गिरफ्तार करें और इसकी प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।
कोर्ट की टिप्पणी और निर्देश
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “30 साल तक एक दोषी का फरार रहना न केवल न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर संदेह पैदा करता है।” कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि:
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SSP एक विशेष टीम गठित करें, जो अभियुक्त की तलाश में प्रभावी कार्रवाई करे।
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पुलिस पिछले 30 साल की जांच की विस्तृत रिपोर्ट पेश करे, जिसमें यह बताया जाए कि अभियुक्त को पकड़ने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए।
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यदि तय समय में अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो SSP को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होकर जवाब देना होगा।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
इस मामले ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। पीड़ित पक्ष के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि अभियुक्त के फरार होने के बाद पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अभियुक्त स्थानीय प्रभाव के कारण छिपने में कामयाब रहा। कोर्ट ने इन आरोपों को गंभीरता से लिया और पुलिस से जवाब मांगा।
जौनपुर पुलिस ने इस मामले में कहा कि पुराने रिकॉर्ड की जांच की जा रही है और अभियुक्त की तलाश के लिए एक नई टीम गठित की गई है। SSP ने आश्वासन दिया कि कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए जल्द ही अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
सामाजिक और कानूनी प्रभाव
यह फैसला उन मामलों में एक मिसाल बन सकता है, जहां दोषी सजा के बाद फरार हो जाते हैं। सड़क सुरक्षा या अन्य संदर्भों से अलग, यह मामला आपराधिक न्याय व्यवस्था में लंबित मामलों और फरार अभियुक्तों की गिरफ्तारी में देरी को उजागर करता है। कोर्ट का यह सख्त रुख पुलिस को और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
पीड़ित परिवार की प्रतिक्रिया
पीड़ित परिवार ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। परिवार के एक सदस्य ने कहा, “30 साल बाद भी हमें इंसाफ की उम्मीद थी। कोर्ट ने हमारी बात सुनी और अब हमें भरोसा है कि दोषी को सजा मिलेगी।” उन्होंने पुलिस से जल्द कार्रवाई की मांग की ताकि अभियुक्त को जेल भेजा जा सके।
