बनारस में मौसम का मिजाज बदला: धूल भरी आंधी और झमाझम बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता
वाराणसी, 13 अप्रैल 2025: पवित्र नगरी वाराणसी में आज मौसम ने अचानक करवट लेते हुए लोगों को चौंका दिया। सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे, और दोपहर होते-होते तेज हवाओं के साथ धूल भरी आंधी ने शहर को अपनी चपेट में ले लिया। इसके बाद शुरू हुई झमाझम बारिश ने तापमान को और नीचे ला दिया, जिससे ठंड का एहसास होने लगा। हालांकि यह बारिश शहरवासियों के लिए राहत लेकर आई, लेकिन आसपास के ग्रामीण इलाकों में किसानों के चेहरों पर मायूसी छा गई। मौसम के इस अप्रत्याशित बदलाव ने फसलों, खासकर रबी की फसलों जैसे गेहूं और चना, को नुकसान पहुंचाने की आशंका बढ़ा दी है।
मौसम का बदला मिजाज
मौसम विभाग के अनुसार, वाराणसी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में पश्चिमी विक्षोभ और स्थानीय चक्रवाती हवाओं के प्रभाव से मौसम में यह बदलाव देखने को मिला है। आज सुबह तक शहर का अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास था, लेकिन दोपहर में आंधी और बारिश के बाद यह 33 डिग्री तक गिर गया। न्यूनतम तापमान भी 21 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले 24 घंटों में हल्की बारिश और बादल छाए रहने की संभावना है, जिससे तापमान में और कमी आ सकती है।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि दोपहर करीब 1 बजे अचानक तेज हवाएं चलने लगीं, और धूल का गुबार पूरे शहर में फैल गया। कई जगहों पर पेड़ों की टहनियां टूटने और बिजली के तारों के प्रभावित होने की खबरें भी सामने आईं। इसके बाद शुरू हुई बारिश ने सड़कों को जलमग्न कर दिया, जिससे यातायात भी प्रभावित हुआ। बनारस के घाटों पर पर्यटकों की भीड़ बारिश के कारण कम देखी गई, और कई लोग छाता लेकर या पेड़ों की छांव में बारिश का आनंद लेते नजर आए।
किसानों की बढ़ती चिंता
शहर में जहां बारिश ने गर्मी से राहत दी, वहीं वाराणसी के ग्रामीण इलाकों में यह मुसीबत बनकर आई। इस समय रबी फसलों की कटाई और भंडारण का काम जोरों पर है। गेहूं, चना, मसूर और सरसों जैसी फसलों को बारिश और आंधी से भारी नुकसान होने का खतरा है। वाराणसी जिले के चिरईगांव, पिंडरा और राजातालाब जैसे इलाकों में किसानों ने बताया कि खेतों में कटी हुई फसलें बारिश में भीग गईं, जिससे अनाज की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
स्थानीय किसान रामधनी यादव ने बताया, “हमने बड़ी मेहनत से गेहूं की फसल तैयार की थी। कटाई का काम लगभग पूरा हो चुका था, लेकिन यह बारिश सब बर्बाद कर सकती है। अगर फसल भीग गई तो बाजार में उसकी कीमत कम हो जाएगी।” इसी तरह, चिरईगांव के एक अन्य किसान श्यामलाल ने कहा, “आंधी की वजह से खेतों में खड़ी फसलें भी गिर गई हैं। अब बारिश ने और मुश्किल बढ़ा दी। सरकार को चाहिए कि नुकसान का आकलन करके हमें मुआवजा दे।”
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की बारिश फसलों के लिए नुकसानदायक हो सकती है, खासकर तब जब अनाज पक चुका हो और कटाई के लिए तैयार हो। गीले अनाज में फफूंद और कीट लगने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के कृषि विभाग के प्रोफेसर डॉ. रमेश सिंह ने बताया, “इस समय किसानों को चाहिए कि वे अपनी फसलों को बारिश से बचाने के लिए तिरपाल या अन्य साधनों का उपयोग करें। साथ ही, सरकार को तुरंत नुकसान का सर्वेक्षण शुरू करना चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके।”

शहर पर प्रभाव
मौसम के इस बदलाव का असर वाराणसी के दैनिक जीवन पर भी पड़ा है। बारिश और आंधी के कारण कई जगहों पर बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई। शहर के कुछ हिस्सों में पेड़ गिरने की घटनाएं भी सामने आईं, जिससे सड़कें अवरुद्ध हो गईं। नगर निगम की टीमें तुरंत हरकत में आईं और सड़कों को साफ करने का काम शुरू किया।
बनारस के प्रसिद्ध घाटों, जैसे दशाश्वमेध और अस्सी, पर बारिश के कारण पर्यटकों की संख्या में कमी देखी गई। कई नाविकों ने बताया कि बारिश और तेज हवाओं के कारण गंगा में नाव चलाना मुश्किल हो रहा है। पर्यटक सूरज शर्मा, जो दिल्ली से बनारस घूमने आए थे, ने कहा, “हम गंगा आरती देखने आए थे, लेकिन बारिश ने सारा मजा किरकिरा कर दिया। फिर भी, बनारस का मौसम और माहौल अपने आप में अनोखा है।”
सोशल मीडिया पर चर्चा
सोशल मीडिया पर भी बनारस के मौसम को लेकर खूब चर्चा हो रही है। कई लोगों ने बारिश और आंधी के वीडियो और तस्वीरें शेयर कीं, जिसमें सड़कों पर पानी और धूल भरे माहौल को देखा जा सकता है। कुछ यूजर्स ने इस मौसम को गर्मी से राहत के रूप में देखा, तो कुछ ने किसानों के नुकसान पर चिंता जताई। एक यूजर ने लिखा, “बनारस में बारिश ने मौसम तो सुहाना कर दिया, लेकिन खेतों में फसलें डूब रही हैं। किसानों के लिए यह मुश्किल वक्त है।”
आगे की संभावना
मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक वाराणसी और आसपास के इलाकों में हल्की बारिश और बादल छाए रहने की संभावना जताई है। हालांकि, भारी बारिश की आशंका कम है, लेकिन किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। विभाग ने यह भी कहा कि तापमान में और कमी आ सकती है, जिससे अप्रैल के मध्य में ठंड का एहसास बना रहेगा।
सरकारी कदम और अपील
किसानों की चिंताओं को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने नुकसान के आकलन के लिए टीमें गठित करने की बात कही है। जिला प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे अपने नुकसान की जानकारी नजदीकी कृषि कार्यालय में दर्ज कराएं ताकि उन्हें उचित मुआवजा मिल सके। साथ ही, मौसम के प्रति सतर्क रहने और फसलों को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी गई है।
