योगी सरकार लाएगी नया अधिनियम, जल्द मिलेगी घरौनी में संशोधन की सुविधा; पढ़ें पूरी जानकारी
लखनऊ, 7 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के मालिकाना हक को और पारदर्शी बनाने के लिए एक नया अधिनियम लाने की तैयारी कर रही है। इस प्रस्तावित कानून के तहत ग्रामीण घरौनी (घर का स्वामित्व प्रमाण पत्र) में संशोधन की प्रक्रिया को आसान और समयबद्ध किया जाएगा। यह कदम ग्रामीणों को उनकी संपत्ति के दस्तावेजों में त्रुटियों को सुधारने और विवादों को हल करने में मदद करेगा। सरकार का दावा है कि इस पहल से ग्रामीणों को अपनी संपत्ति का मालिकाना हक स्पष्ट रूप से मिल सकेगा, जिससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत होगी।
घरौनी योजना का महत्व
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 में स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों में सर्वेक्षण शुरू किया था। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को उनकी आवासीय संपत्ति का मालिकाना हक प्रदान करना था। इसके लिए सरकार ने ड्रोन सर्वे के जरिए संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया और घरौनी प्रमाण पत्र जारी किए। इन प्रमाण पत्रों के जरिए ग्रामीण अपनी संपत्ति का उपयोग बैंक लोन, सरकारी योजनाओं, या अन्य कानूनी कार्यों के लिए कर सकते हैं।
हालांकि, कई मामलों में घरौनी के दस्तावेजों में गलतियां सामने आईं, जैसे मालिक का नाम, पता, या संपत्ति का क्षेत्रफल गलत दर्ज होना। इसके अलावा, वरासत (उत्तराधिकार) या अन्य विवादों के कारण भी संशोधन की जरूरत पड़ी। पहले इस तरह के संशोधनों में समय और जटिल प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है।
नए अधिनियम की मुख्य विशेषताएं
प्रस्तावित उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक के तहत घरौनी में संशोधन की प्रक्रिया को सरल करने के लिए कई अहम प्रावधान शामिल किए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
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समयबद्ध आपत्ति दर्ज करने की सुविधा: नए कानून के तहत घरौनी प्रमाण पत्र जारी होने के छह महीने के भीतर कोई भी व्यक्ति उसमें त्रुटि या विवाद को लेकर आपत्ति दर्ज करा सकेगा। इससे पुराने दस्तावेजों में गलतियों को ठीक करने का मौका मिलेगा।
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सहायक रिकॉर्ड अफसर की नियुक्ति: आपत्तियों की सुनवाई और संशोधन की प्रक्रिया को तेज करने के लिए सहायक रिकॉर्ड अफसर नियुक्त किए जाएंगे। ये अधिकारी स्थानीय स्तर पर शिकायतों की जांच करेंगे और समयबद्ध तरीके से उनका निपटारा करेंगे।
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डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग: सरकार इस प्रक्रिया को डिजिटल बनाने पर भी जोर दे रही है। लोग ऑनलाइन पोर्टल के जरिए अपनी शिकायतें या संशोधन के लिए आवेदन कर सकेंगे। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार की आशंका कम होगी।
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वरासत प्रक्रिया में सुधार: नए अधिनियम में वरासत से जुड़े मामलों को भी शामिल किया जाएगा। अगर किसी परिवार में मालिक की मृत्यु के बाद संपत्ति का हस्तांतरण करना हो, तो यह प्रक्रिया आसान और तेज होगी।
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विवाद निपटान के लिए तंत्र: संपत्ति से जुड़े छोटे-मोटे विवादों को निपटाने के लिए स्थानीय स्तर पर एक तंत्र स्थापित किया जाएगा, ताकि लोगों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर न काटने पड़ें।
सरकार का उद्देश्य
योगी सरकार का कहना है कि यह अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के मालिकाना हक को और मजबूत करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा, “हमारी सरकार का लक्ष्य है कि हर ग्रामीण को उसकी संपत्ति का स्पष्ट और कानूनी दस्तावेज मिले। यह न केवल उनकी आर्थिक उन्नति में मदद करेगा, बल्कि संपत्ति विवादों को भी कम करेगा।” सरकार का मानना है कि इस अधिनियम से ग्रामीणों को अपनी संपत्ति का उपयोग व्यवसाय शुरू करने, लोन लेने, या अन्य विकास कार्यों के लिए करने में आसानी होगी।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
इस प्रस्तावित कानून को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। हरदोई के एक किसान रामलाल ने कहा, “मेरी घरौनी में गलत नाम दर्ज हो गया था। इसे ठीक कराने के लिए कई बार तहसील के चक्कर काटने पड़े। अगर नया कानून आता है, तो शायद यह काम आसान हो जाए।” वहीं, कुछ लोग इस बात को लेकर सतर्क हैं कि नई प्रक्रिया लागू होने में समय लग सकता है और स्थानीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा।
चुनौतियां और आलोचना
हालांकि सरकार का यह कदम सराहनीय है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी सामने हैं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि सरकार इस तरह के कानूनों का इस्तेमाल केवल प्रचार के लिए करती है, जबकि जमीनी स्तर पर अमल में देरी होती है। समाजवादी पार्टी के एक नेता ने कहा, “घरौनी योजना को लागू हुए कई साल हो गए, लेकिन अभी भी कई गांवों में सर्वे पूरा नहीं हुआ। अब नया अधिनियम लाने की बात हो रही है, लेकिन इसे लागू करने में कितना समय लगेगा, यह देखना होगा।”
इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल जागरूकता की कमी और स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है। फिर भी, सरकार का दावा है कि वह इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है।
आगे की राह
प्रस्तावित उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक को जल्द ही राज्य विधानसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है। इसके बाद इसे कानून का रूप देने की प्रक्रिया शुरू होगी। सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि इस अधिनियम के लागू होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में स्वामित्व योजना को और तेजी से लागू किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सके।
