यूपी: पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी के गोरखपुर, लखनऊ, मुंबई सहित दस ठिकानों पर छापे, ईडी ने की कार्रवाई
लखनऊ, 7 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक और समाजवादी पार्टी (सपा) नेता विनय शंकर तिवारी एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निशाने पर आ गए हैं। सोमवार सुबह ईडी ने उनके गोरखपुर, लखनऊ, नोएडा और मुंबई सहित देश भर में करीब दस ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई करोड़ों रुपये के कथित बैंक लोन घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में की गई है, जिसमें विनय शंकर तिवारी और उनकी कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज लिमिटेड मुख्य रूप से शामिल हैं। इस छापेमारी ने उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है, और इसे सपा नेता के खिलाफ चल रही जांच का एक और बड़ा कदम माना जा रहा है।
छापेमारी की शुरुआत और जगहें
सोमवार की सुबह करीब 5 बजे ईडी की टीमों ने एक साथ कई शहरों में कार्रवाई शुरू की। गोरखपुर में विनय शंकर तिवारी के पैतृक आवास ‘तिवारी हाता’ पर छापा मारा गया, जहां केंद्रीय सुरक्षा बलों की भारी तैनाती देखी गई। इसके अलावा, लखनऊ के महानगर इलाके में गंगोत्री इंटरप्राइजेज के कार्यालय, नोएडा में कंपनी के दफ्तर और निदेशकों के आवास, मुंबई में उनके ठिकानों, और अन्य शहरों जैसे अहमदाबाद और गोरखपुर में ईडी की छापेमारी से सनसनी, विनय शंकर तिवारी के ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई
गुरुग्राम में भी ईडी ने दी दस्तक। इस ऑपरेशन में ईडी की कई टीमें शामिल थीं, जो सुबह से ही अलग-अलग ठिकानों पर तलाशी ले रही थीं। सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में सात बैंकों के कंसोर्टियम से लिए गए 1129.44 करोड़ रुपये के लोन से जुड़ी है, जिसमें से 754.24 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया। ईडी का दावा है कि इस राशि का बड़े पैमाने पर डायवर्जन और दुरुपयोग किया गया।

विनय शंकर तिवारी और गंगोत्री इंटरप्राइजेज का मामला
विनय शंकर तिवारी, जो पूर्वांचल के बाहुबली नेता और पूर्व मंत्री स्वर्गीय हरि शंकर तिवारी के बेटे हैं, पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से चिल्लूपार विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। बाद में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। उनकी कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज लिमिटेड सड़क निर्माण, टोल प्लाजा संचालन और सरकारी ठेकों के काम में शामिल है। कंपनी के मुख्य प्रमोटर विनय शंकर तिवारी, उनकी पत्नी रीता तिवारी और सहयोगी अजीत पांडे हैं।
ईडी की जांच में सामने आया है कि गंगोत्री इंटरप्राइजेज ने 2012 से 2016 के बीच बैंकों से लिए गए लोन का इस्तेमाल गलत तरीके से किया। जांच एजेंसी का कहना है कि कंपनी ने बैंकिंग मानदंडों का उल्लंघन करते हुए धोखाधड़ी से क्रेडिट सुविधाओं का लाभ उठाया और बाद में इस राशि का दुरुपयोग किया। इससे बैंकों को 754.24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
यह पहली बार नहीं है जब विनय शंकर तिवारी ईडी के रडार पर आए हैं। इससे पहले नवंबर 2023 में ईडी ने उनकी 72.08 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया था। ये संपत्तियां गोरखपुर, लखनऊ और महराजगंज में थीं, जिनमें खेती की जमीन, वाणिज्यिक परिसर और आवासीय भूखंड शामिल थे। इसके बाद फरवरी 2024 में भी ईडी ने उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की थी और मार्च 2024 में उनकी 30.86 करोड़ रुपये की 12 और संपत्तियां जब्त की गई थीं। अब तक ईडी इस मामले में कुल 102.94 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर चुकी है।
ईडी ने इस मामले में विनय शंकर तिवारी से कई बार पूछताछ भी की है। मार्च 2024 में लखनऊ स्थित ईडी के जोनल कार्यालय में उनसे करीब आठ घंटे तक सवाल-जवाब किए गए थे। सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने उनकी चार्जशीट भी तैयार कर ली है, जिसे जल्द ही कोर्ट में पेश किया जा सकता है।
सियासी हलचल और प्रतिक्रियाएं
इस छापेमारी ने उत्तर प्रदेश की सियासत में हड़कंप मचा दिया है। सपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने इसे केंद्र सरकार की ओर से विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने की साजिश करार दिया है। गोरखपुर में तिवारी के आवास के बाहर सपा कार्यकर्ताओं ने सरकार विरोधी नारे लगाए और कार्रवाई का विरोध जताया। वहीं, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कार्रवाई विनय शंकर तिवारी की सियासी हैसियत को कमजोर करने की कोशिश हो सकती है।
दूसरी ओर, ईडी का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी और सबूतों के आधार पर की जा रही है। एजेंसी के सूत्रों का दावा है कि छापेमारी के दौरान कई अहम दस्तावेज और सबूत बरामद हुए हैं, जो इस मामले में आगे की जांच को मजबूत करेंगे।
जांच का आधार
ईडी की यह कार्रवाई केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक एफआईआर पर आधारित है। सीबीआई ने 19 अक्टूबर 2020 को बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर विनय शंकर तिवारी, उनकी पत्नी रीता तिवारी और कंपनी के निदेशक अजीत पांडे के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके बाद जनवरी 2021 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत जांच शुरू की थी। जांच में यह भी सामने आया कि लोन की राशि को सहयोगी कंपनियों में डायवर्ट कर निजी संपत्तियां खरीदी गई थीं।
आगे क्या?
ईडी की इस कार्रवाई के बाद अब सबकी नजर इस बात पर है कि जांच का अगला कदम क्या होगा। सूत्रों के मुताबिक, विनय शंकर तिवारी को जल्द ही फिर से पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। साथ ही, उनकी पत्नी रीता तिवारी को भी नोटिस जारी किया जा सकता है, जो अभी तक पूछताछ के लिए नहीं पहुंची हैं। इसके अलावा, ईडी द्वारा जब्त संपत्तियों की संख्या और मूल्य में और इजाफा होने की संभावना है।
कानूनी जानकारों का कहना है कि अगर ईडी अपनी चार्जशीट कोर्ट में पेश करती है और सबूत मजबूत होते हैं, तो विनय शंकर तिवारी और उनके सहयोगियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है। इसमें जेल की सजा से लेकर संपत्तियों की स्थायी जब्ती तक शामिल हो सकता है।
