लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर गरमाई बहस: रिजिजू, गोगोई, प्रसाद और अखिलेश ने रखे अपने-अपने पक्ष
नई दिल्ली, 2 अप्रैल 2025: बुधवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा पेश किया गया। इस विधेयक पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने के उद्देश्य से लाया गया है, लेकिन विपक्ष ने इसे असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी करार देते हुए कड़ा विरोध जताया। चर्चा के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किया गया था, जिसमें कई प्रमुख नेताओं ने अपनी बात रखी।
किरेन रिजिजू ने शुरू की बहस
किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए कहा, “हमने जो विधेयक पेश किया है, उसमें संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की कई सिफारिशें शामिल हैं, जिन्हें हमने स्वीकार कर लिया है और इस विधेयक में शामिल कर लिया है। यह कहना गलत है कि जेपीसी की सिफारिशें इस विधेयक में शामिल नहीं की गई हैं।” उन्होंने दावा किया कि यह बिल वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए है, और इसका मकसद किसी धार्मिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करना नहीं है। रिजिजू ने विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि यह विधेयक गरीब मुस्लिमों, महिलाओं और बच्चों के हित में है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह संशोधन न लाया जाता, तो संसद भवन और दिल्ली हवाई अड्डा जैसी संपत्तियां भी वक्फ की संपत्ति घोषित हो सकती थीं। रिजिजू ने इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि जेपीसी ने इस बिल पर देशव्यापी परामर्श किया, जिसमें 97 लाख से अधिक याचिकाएं और सुझाव प्राप्त हुए।
गौरव गोगोई का जवाब
कांग्रेस की ओर से लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई ने बहस में हिस्सा लेते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे पर हमला है। सरकार इस बिल के जरिए अल्पसंख्यक समुदाय को बदनाम करना, विभाजन करना और उनके अधिकारों को छीनना चाहती है।” गोगोई ने रिजिजू के 2013 के दावों को भ्रामक करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि यूपीए सरकार ने वक्फ नियमों में बदलाव किया था। गोगोई ने तर्क दिया कि जेपीसी में खंड-दर-खंड चर्चा नहीं हुई और यह बिल संविधान विरोधी है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि आज मुस्लिम समुदाय की जमीन पर नजर है, कल किसी और समुदाय की बारी आ सकती है।
रविशंकर प्रसाद का पक्ष
भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सरकार का बचाव करते हुए कहा, “यह देश मुस्लिम समुदाय का उतना ही है जितना हिंदुओं का। इसमें कोई शक नहीं है।” उन्होंने कांग्रेस पर राजनीतिक तुष्टिकरण का आरोप लगाया और कहा कि विपक्ष वास्तव में संशोधन चाहता है, लेकिन मजबूरी में इसका विरोध कर रहा है। प्रसाद ने जोर देकर कहा कि वक्फ एक धार्मिक निकाय नहीं, बल्कि एक वैधानिक संस्था है, और इस बिल का मकसद इसके प्रबंधन को बेहतर करना है। उन्होंने यह भी कहा कि यह विधेयक लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है, जिसमें वक्फ बोर्ड में महिलाओं को शामिल करना शामिल है।

अखिलेश यादव का तंज
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “जब भी भाजपा कोई नया बिल लाती है, वह अपनी नाकामियों को छिपाने की कोशिश करती है। यह वक्फ बिल भी उनकी विफलताओं पर पर्दा डालने का प्रयास है।” अखिलेश ने नोटबंदी, बढ़ती कीमतों, बेरोजगारी और किसानों की आय जैसे मुद्दों को उठाया और पूछा कि क्या गंगा-यमुना साफ हुईं या स्मार्ट सिटी बनीं। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर तंज कसते हुए कहा, “दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी अपने अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पाई।” जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने हल्के अंदाज में कहा, “अखिलेश जी ने मुस्कुराते हुए टिप्पणी की, तो मैं भी उसी अंदाज में जवाब दूंगा।”
बिल के प्रमुख प्रावधान और विवाद
वक्फ संशोधन विधेयक में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिलाओं को शामिल करने, संपत्ति पंजीकरण के लिए केंद्रीय पोर्टल बनाने और विवादित संपत्तियों के निपटारे के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों को शक्ति देने जैसे प्रावधान हैं। इसे अब “यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) बिल” नाम दिया गया है। विपक्ष का कहना है कि यह वक्फ की स्वायत्तता को कम करता है और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है।
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