गोरखपुर में मिलावट का खेल: खराब सिंघाड़े से बना रहे आटा, तिन्नी का चावल भी केमिकल वाला – ऐसे करें पहचान
गोरखपुर, 2 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में खाद्य पदार्थों में मिलावट का खेल एक बार फिर सुर्खियों में है। नवरात्रि और अन्य धार्मिक अवसरों के नजदीक आते ही मिलावटखोर सक्रिय हो गए हैं। इस बार खराब सिंघाड़े से आटा बनाने और तिन्नी (समक) के चावल में केमिकल मिलाने की शिकायतें सामने आई हैं। यह न केवल लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ है, बल्कि व्रत और धार्मिक आस्था को भी प्रभावित कर रहा है। खाद्य विभाग ने इस मामले में सख्ती बरतने का दावा किया है, लेकिन बाजार में मिलावटी सामान की बिक्री जारी है। आइए जानते हैं कि यह खेल कैसे चल रहा है और आप इसकी पहचान कैसे कर सकते हैं।
खराब सिंघाड़े से आटा बनाने का धंधा
सिंघाड़े का आटा व्रत के दौरान खास तौर पर इस्तेमाल होता है। यह पौष्टिक और हल्का होता है, लेकिन गोरखपुर के कुछ व्यापारी मुनाफे के चक्कर में खराब और सड़े हुए सिंघाड़े से आटा तैयार कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये व्यापारी सस्ते दामों पर खराब सिंघाड़ा खरीदते हैं और इसे पीसकर पैकेट में बेचते हैं। कई बार इसमें नमी की वजह से फफूंद लग जाती है, जिसे छिपाने के लिए केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा आटा खाने से पेट में इंफेक्शन, उल्टी और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
स्थानीय निवासी रमेश यादव ने बताया, “पिछले साल नवरात्रि में हमने पैकेट वाला सिंघाड़े का आटा खरीदा था। उसे गूंथते वक्त अजीब सी गंध आई और खाने के बाद परिवार के कई लोगों को पेट दर्द हुआ।” ऐसे कई मामले सामने आने के बाद लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है।
तिन्नी का चावल भी केमिकल से तैयार
तिन्नी या समक का चावल भी व्रत में खाया जाने वाला प्रमुख खाद्य पदार्थ है। यह एक प्रकार का घास का बीज है, जो प्राकृतिक रूप से हल्का और पौष्टिक होता है। लेकिन गोरखपुर के बाजारों में मिलने वाला तिन्नी का चावल अब शुद्ध नहीं रहा। मिलावटखोर इसे चमकदार और आकर्षक बनाने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट और ब्लीचिंग एजेंट जैसे हानिकारक केमिकल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ मामलों में सस्ते अनाज को रंगकर तिन्नी के चावल के रूप में बेचा जा रहा है।
खाद्य विशेषज्ञ डॉ. अनिल मिश्रा के अनुसार, “केमिकल युक्त तिन्नी का चावल खाने से लीवर और किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। यह पाचन तंत्र को भी नुकसान पहुंचाता है।” उन्होंने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है।
मिलावट का खेल कैसे चल रहा है?
गोरखपुर के कुछ थोक व्यापारी और छोटे दुकानदार इस धंधे में शामिल हैं। खराब सिंघाड़े को सस्ते दामों पर खरीदकर उसे सुखाया जाता है और फिर पीसकर पैक किया जाता है। कई बार इसमें मैदा या सस्ता स्टार्च मिलाकर वजन बढ़ाया जाता है। वहीं, तिन्नी के चावल को चमक देने के लिए केमिकल ट्रीटमेंट किया जाता है। पैकेट पर “शुद्ध” और “प्राकृतिक” जैसे लेबल लगाकर इसे ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। नवरात्रि जैसे त्योहारों के दौरान डिमांड बढ़ने पर यह खेल और तेज हो जाता है।
पहचान कैसे करें?
मिलावटी सिंघाड़े का आटा और तिन्नी का चावल खरीदने से बचने के लिए आप कुछ आसान तरीके अपना सकते हैं। ये तरीके घर पर ही आजमाए जा सकते हैं:
सिंघाड़े के आटे की पहचान
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रंग की जांच: शुद्ध सिंघाड़े का आटा हल्का पीला या भूरा होता है। अगर यह सफेद या बहुत चमकदार दिखे, तो मिलावट की संभावना है।
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गंध टेस्ट: आटे को सूंघें। शुद्ध आटे में हल्की प्राकृतिक खुशबू होती है, जबकि मिलावटी आटे से केमिकल या खराब गंध आती है।
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गूंथकर देखें: थोड़ा सा आटा गूंथें। शुद्ध आटा आसानी से गूंथा जाता है और बिखरता नहीं। मिलावटी आटा लसलसा या टूटने वाला होता है।
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पानी टेस्ट: एक गिलास पानी में थोड़ा आटा डालें। अगर ऊपर मैदा या स्टार्च तैरने लगे और आटा नीचे बैठ जाए, तो यह मिलावटी है।
तिन्नी के चावल की पहचान
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दिखावट: शुद्ध तिन्नी का चावल हल्का भूरा और प्राकृतिक होता है। अगर यह बहुत सफेद या चमकदार दिखे, तो केमिकल की संभावना है।
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पानी में भिगोएं: चावल को 10-15 मिनट पानी में भिगोएं। अगर पानी का रंग बदल जाए या उसमें अजीब गंध आए, तो यह मिलावटी है।
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स्वाद टेस्ट: थोड़ा सा चावल चबाएं। शुद्ध तिन्नी में हल्का मीठापन होता है, जबकि केमिकल वाला चावल कड़वा या बेस्वाद लगता है।
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उबालकर जांच: चावल को उबालें। अगर यह बहुत जल्दी गल जाए या चिपचिपा हो जाए, तो इसमें मिलावट हो सकती है।
खाद्य विभाग की कार्रवाई
गोरखपुर के खाद्य सुरक्षा अधिकारी अजय सिंह ने बताया, “हमने पिछले महीने कई दुकानों से नमूने लिए थे। कुछ की रिपोर्ट में मिलावट की पुष्टि हुई है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने लोगों से अपील की कि वे पैकेट बंद सामान खरीदते वक्त FSSAI मार्क और लेबल की जांच करें। हालांकि, स्थानीय लोग शिकायत करते हैं कि त्योहारों के समय कार्रवाई ढीली पड़ जाती है।
जनता में आक्रोश
गोरखपुर के निवासी और व्रत रखने वाले लोग इस मिलावट से परेशान हैं। एक गृहिणी शालिनी तिवारी ने कहा, “हम व्रत के लिए शुद्ध चीजें खरीदते हैं, लेकिन अगर ये मिलावटी हों तो हमारी सेहत और आस्था दोनों पर चोट पड़ती है। सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए।”
