गोरखपुर चिड़ियाघर में हाल ही में पीलीभीत से लाए गए बाघ ‘केसरी’ की रविवार को मृत्यु हो गई।
31 मार्च 2025 उत्तर प्रदेश के गोरखपुर चिड़ियाघर में हाल ही में पीलीभीत से लाए गए बाघ ‘केसरी’ की रविवार को मृत्यु हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मेनिनजाइटिस के कारण उसके मस्तिष्क में पानी भरने की पुष्टि हुई है।
‘केसरी’ का नामकरण और इतिहास:
पीलीभीत टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू कर गोरखपुर लाए गए इस बाघ का नाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘केसरी’ रखा था। पीलीभीत में इसे ‘पंपिंग टाइगर’ के नाम से जाना जाता था, जहां इसने लगभग 13 लोगों पर हमला किया था।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं:
गोरखपुर में आने के बाद, ‘केसरी’ को शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान के अस्पताल में रखा गया था। उसका वजन लगभग 280 किलो था, जो चिड़ियाघर के अन्य बाघों से अधिक था। जंगल से आने के कारण वह क्वारंटीन सेल में बेचैन रहता था, लेकिन धीरे-धीरे उसका व्यवहार शांत हुआ और उसे क्रॉल में छोड़ दिया गया। 20 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसका नामकरण करते हुए बाड़े में छोड़ा था।
मृत्यु के कारण:
शनिवार को ‘केसरी’ अचानक उग्र हो गया था और बाड़े की ग्रिल तोड़ने का प्रयास कर रहा था। उसकी निगरानी के बाद दवा दी गई, लेकिन रविवार की सुबह उसकी मृत्यु हो गई। पोस्टमॉर्टम में उसके मस्तिष्क में लगभग 100 एमएल पानी भरने की पुष्टि हुई, जिसे मेनिनजाइटिस कहा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह पानी धीरे-धीरे भरता है, जिससे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या उत्पन्न होती है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
चिड़ियाघर प्रशासन ने ‘केसरी’ की मृत्यु के कारणों की विस्तृत जांच के लिए सैंपल बरेली भेजे हैं। यह चिड़ियाघर में किसी रेस्क्यू किए गए बाघ की पहली मृत्यु है, जिससे प्रशासन चिंतित है
‘केसरी’ की मृत्यु से चिड़ियाघर प्रशासन और वन्यजीव प्रेमियों में शोक की लहर है, क्योंकि वह अपनी ताकत और विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध था।
